"कलमा पढ़ने वालों को काफ़िर कहने वाले जहन्नुमी हैं"
https://parstoday.ir/hi/news/world-i51380
पाकिस्तानी धर्मगुरूओं और विद्वानों ने कहा है कि कलमा पढ़ने वालों को काफ़िर कहने वाले जहन्नुमी हैं।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Oct २२, २०१७ १८:१९ Asia/Kolkata

पाकिस्तानी धर्मगुरूओं और विद्वानों ने कहा है कि कलमा पढ़ने वालों को काफ़िर कहने वाले जहन्नुमी हैं।

जमीअते ओलमाए पाकिस्तान (नियाज़ी) द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस "तकफ़ीरियत से पाकिस्तान के सामने पैदा हुई चुनौतियां" शीर्षक के अंतर्गत आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता पीर मासूम हुसैन नक़वी ने की। इस अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में सभी धर्मगुरूओं और विद्वानों ने पाकिस्तान में बढ़ती तकफ़री विचारधारा पर गंभीर चिंता जताई और इस विचारधारा से मुक़ाबले के लिए सभी मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की।

पाकिस्तान के लाहौर में आयोजित दूसरी अंतर्राष्ट्रीय हुसैनी कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने स्पष्ट किया है कि किसी भी कलमा पढ़ने वाले मुसलमान को काफ़िर कहने वाला ख़ुद नरकवासी है। वक्ताओं ने कहा कि चरमपंथी सोच और कट्टरपंथ ने इस्लाम को गंभीर नुक़सान पहुंचाया है इसलिए इससे मुक़ाबले के लिए पूरे इस्लामी जगत और देशों को मुसलमानों की एकता के लिए अधिक प्रयास करना होगा।

अंतर्राष्ट्रीय हुसैनी कांफ्रेंस में कई वरिष्ठ सुन्नी धर्मगुरूओं ने भाग लिया। कांफ्रेंस में शामिल सुन्नी धर्मगुरूओं का कहना था कि एकेश्वरवाद पर आस्था, अंतिम ईश्वरीय दूत पर विश्वास और पैग़म्बरे इस्लाम के परिवार वालों से मोहब्बत किसी एक संप्रदाय का एकाधिकार नहीं है बल्कि यह सब मतों की विरासत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान में मुस्लिम परिभाषा का उल्लेख करके तमाम समस्या को हल कर दिया गया है, जिस पर सुन्नी, शिया, देवबंदी और अहले हदीस सब सहमत हैं और किसी को काफ़िर, मुशरिक, नास्तिक या मुर्तद कहना पूरी तरह ग़लत और असंवैधानिक है। (RZ)