होलोकास्ट की सच्चाई क्या है? आज़ादी का दम भरने वाले देशों में होलोकास्ट के बारे में सवाल करना भी क्यों अपराध है?
(last modified Tue, 27 Aug 2019 23:07:33 GMT )
Aug २८, २०१९ ०४:३७ Asia/Kolkata
  • होलोकास्ट की सच्चाई क्या है? आज़ादी का दम भरने वाले देशों में होलोकास्ट के बारे में सवाल करना भी क्यों अपराध है?

जर्मन सरकार 150 अरब मार्क से अधिक ज़ायोनियों को हर्जाना दे चुकी है।

दोस्तो मुझे पूरा विश्वास है कि आपने होलोकास्ट का नाम ज़रूर सुना होगा। सबसे पहले हम आपको होलोकास्ट का अर्थ बता देना चाहते हैं उसके बाद इससे जुड़े कुछ पहलुओं की चर्चा करेंगे।

होलोकास्ट का अर्थ होता है आग से पूरा जलाना। यह यूनानी शब्द है।  

यह बात भी आपको अवश्य मालूम होगी कि द्वितीय विश्व युद्ध में 6 करोड़ से अधिक लोग मारे गये थे जिनमें ईसाई, मुसलमान, यहूदी और दूसरे धर्मों के लोग भी थे। आपको यह भी ज़रूर पता होगा कि वर्ष 1990 में फ्रांस में एक कानून बना था जिसके अनुसार होलोकास्ट की घटना के बारे में संदेह करना अपराध है और जो भी इसके बारे में थोड़ा सा भी संदेह करेगा उसे कम से कम एक महीने से लेकर एक साल तक जेल की सज़ा होगी और दो हज़ार से लेकर तीन लाख फ्रांसीसी मुद्रा फ्रैंक का जुर्माना होगा। बाद में इसी कानून को अधिकांश यूरोपीय देशों में भी लागू कर दिया गया।

यही नहीं ज़ायोनियों ने एड़ी- चोटी का ज़ोर लगाकर राष्ट्रसंघ की महासभा में होलोकास्ट के समर्थन में एक प्रस्ताव भी पारित करवा लिया और 27 जनवरी को होलोकास्ट का नाम दिया गया।

जानकार हल्कों का मानना है कि ज़ायोनियों ने होलोकास्ट की जो कहानी गढ़ी या बनाई है उसके कई लक्ष्य हैं। पहला राजनीतिक लक्ष्य यह था।

वह इस प्रकार की ज़ायोनियों का कहना व मानना है कि चूंकि यहूदियों पर अत्याचार हुआ है इसलिए उनकी सरकार का गठन उनका कानूनी हक है। इसी को बहाना व आधार बनाकर वह इस्राईल के अवैध अस्तित्व का औचित्य दर्शाते हैं जबकि होलोकास्ट से ज़ायोनियों का दूसरा लक्ष्य यह है कि इसके माध्यम से वह स्वयं को मज़लूम दर्शा कर विश्व जनमत में अपने खिलाफ उठने वाली आवाज़ को दबाते हैं।   

यही नहीं होलोकास्ट से ज़ायोनियों का एक आर्थिक लक्ष्य भी है  क्योंकि बहुत से देश अब तक अरबों डालर का दान इस्राईल को दे चुके हैं और इसमें सबसे आगे अमेरिका है जो हर साल तीन अरब डालर से अधिक का दान इस्राईल को देता है।

जर्मन सरकार 150 अरब मार्क से अधिक ज़ायोनियों को हर्जाना दे चुकी है। थोड़े बहुत- अंतर के साथ यही हाल कुछ दूसरे यूरोपीय देशों का भी है।

बहरहाल अधिकांश अध्ययन व शोधकर्ताओं का मानना है कि होलोकास्ट मनगढ़ंत कहानी है और इसका एक लक्ष्य विश्व जनमत में यहूदियों व ज़ायोनियों के प्रति सहानुभूति पैदा करना है। इस संबंध में ये जानकार कुछ सवाल उठाते हैं जिनमें से हम कुछ को यहां बयान कर रहे हैं।

इन जानकारों का कहना है कि अगर हम थोड़ी देर के लिए यह मान भी लें कि होलोकास्ट की कहानी सही है तो सवाल यह उठता है कि आखिर अडोल्फ हिटलर ने यहूदियों को क्यों मारा उसे यहूदियों से इतनी नफरत और दुश्मनी क्यों थी? अगर होलोकास्ट का इंकार करने वाले ग़लत हैं तो सही कौन है? इसी प्रकार ये जानकार सवाल करते हैं कि होलोकास्ट स्मारक का निर्माण इस्लामी देश मोरक्को में क्यों हो रहा था? इसके जवाब में विशेषज्ञों का कहना है कि इसका लक्ष्य धीरे- धीरे इस्लामी देशों में ज़ायोनियों के प्रति नर्मगोशा पैदा करना और फ़िलिस्तीन में वे जो अपराध कर रहे हैं उससे आम- जनमत के ध्यान हो हटाना व भटकाना है।

इसी प्रकार इन जानकार हल्कों का मानना है कि अगर होलोकास्ट की घटना हुई भी थी तो जर्मनी में हुई थी न कि फ़िलिस्तीन में, इस आधार पर यहूदियों व ज़ायोनियों को जर्मनी या किसी पश्चिमी व यूरोपीय देश में बसाना चाहिये था न कि फ़िलिस्तीन में। होना तो यह चाहिये था कि अगर यूरोपीय और पश्चिमी देशों को यहूदियों से वास्तव में लगाव था तो उन्हें अपने यहां या अपने से निकट इलाके में बसाना चाहिये था।

अगर हिटलर ने यहूदियों को मारा था तो यहूदियों व ज़ायोनियों ने जर्मनी के खिलाफ मोर्चा क्यों नहीं खोला? आज़ादी का दावा करने वाले पश्चिमी देशों में ईश्वरीय दूतों का अपमान किया जाता है और जब इस पर एतराज़ किया जाता है तो पश्चिम की तरफ से यह कहा जाता है कि सबको अपनी बात कहने का हक़ है तो सवाल यह है कि जब ईश्वरीय दूतों का अपमान करना अपराध नहीं है तो होलोकास्ट के बारे में सवाल करना कैसे अपराध हो गया, क्या यहूदी ईश्वरीय दूतों से बढ़कर हैं? यही नहीं जो होलोकास्ट के बारे में सवाल करता है उसे जेल में क्यों बंद कर दिया जाता है? उसे भी अपनी बात कहने की आज़ादी होनी चाहिये।

उस समय आज़ादी कहां चली जाती है? होलोकास्ट का नाम लेते ही पश्चिमी और यूरोपीय देशों में कुछ लोगों का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच जाता है? अगर कोई इंसान आज यह कह दे कि मैं नहीं मानता कि ज़मीन या सूरज अपनी धुरी पर घुम रहे हैं बल्कि वे अपनी जगह पर स्थिर हैं तो क्या एसे इंसान को जेल में बंद कर दिया जायेगा? बिल्कुल नहीं। क्योंकि लोगों को पता है कि सच्चाई क्या है। अगर कोई सच्चाई के खिलाफ भी बात करे तब भी उसे जेल में बंद नहीं किया जा सकता। तो जिस चीज़ के बारे में संदेह है कि वह हुई है या नहीं तो उसके बारे में बेतरीके औला सवाल किया जा सकता है।

क्यों पश्चिमी व यूरोपीय देशों में होलोकास्ट की सच्चाई का पता लगाने की अनुमति नहीं दी जाती? द्वितीय विश्व युद्ध में कई करोड़ लोग मारे गये थे क्यों उनके बारे में कोई बात नहीं की जाती है? क्या वे इंसान नहीं थे, क्या सिर्फ यहूदियों का ख़ून लाल है? 

यही नहीं जानकार हल्कों का यह भी कहना है कि यहूदी जो यह दावा करते हैं कि हिटलर ने 60 यहूदियों को भट्ठी में जलाकर मारा है तो उनके इस दावे के ग़लत होने की एक दलील ख़ुद यही दावा है क्योंकि उस समय पूरे यूरोप और पश्चिमी देशों में यहूदियों की कुल जनसंख्या भी इतनी नहीं थी तो हिटलर ने कहां से 60 लाख यहूदियों को जर्मनी में ही मार दिया?

अगर मान भी लें कि हिटलर ने यहूदियों को मारा था तो हिटलर ने उन्हें जर्मनी में मारा था न कि फ़िलिस्तीन में। इसमें फ़िलिस्तीनियों का क्या दोष है?

बहरहाल यूरोपीय और पश्चिमी देशों में होलोकास्ट के बारे में सवाल करना अपराध है जो खुद इस बात की दलील है कि दाल में कुछ काला ज़रूर है बल्कि यूं कहूं कि पूरी दाल ही काली है तो अतिशयोक्ति व मुबालग़ा न होगा। MM