बेचारे रोहिंग्या मुसलमानों का अब क्या होगाः राष्ट्रसंघ
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने म्यांमार की वर्तमान स्थिति के दृष्टिगत वहां के रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में गंभीर चिंता जताई है।
म्यांमार में सैन्य विद्रोह के बाद वहां पर बाक़ी रह जाने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति के संबन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। राष्ट्रसंघ ने चिंता जताई है कि म्यांमार में सैनिक विद्रोह से उत्पन्न होने वाली स्थिति, वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय रोहिंग्या के लिए समस्याएं खड़ी कर सकती है।
इस संबन्ध में राष्ट्रसंघ के महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन डुजैरिक ने कहा है कि हालिया परिवर्तन, बांग्लादेश से रोहिंग्या मुसलमानों की स्वदेश वापसी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार इस समय म्यांमार के आराकान प्रांत में कम से कम छह लाख रोहिंग्या मुसलमान जीवन गुज़ार रहे हैं। राष्ट्रसंघ के महासचिव के प्रवक्ता ने कहा कि वे स्वतंत्रता के साथ आ-जा नहीं सकते। उन्होंने कहा कि म्यांमार में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानो के पास स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत चीज़ों की भी कमी है।
उल्लेखनीय है कि सन 2007 में म्यांमार की सेना ने रोहिग्या मुसलमानों का जनसंहार किया था जिसके बाद छह से सात लाख रोहिंग्या मुसलमान डर के कारण बांग्लाेदश पलायन कर गए थे। पिछले पांच वर्षों के दौरान म्यांमार के सत्ताधारी दल ने इस देश में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध कई अमानवीय कार्य किये थे जिससे उनका जीना दूभर हो गया था।