आपको याद होगा कि हमने इमाम हसन अलैहिस्सलाम के जीवन की समीक्षा में यह बताया कि उनके लिए यह मुमकिन न था कि वह भ्रष्ट उमवी व्यवस्था, अन्याय तथा धर्म में अलग से शामिल की जा रही बातों के संबंध में ख़ामोश बैठे रहें क्योंकि वह अपने पिता हज़रत अली अलैहिस्सलाम के मार्ग का पालन कर रहे थे कि जिनका लक्ष्य न्याय पर आधारित व्यवस्था क़ायम करना, अत्याचारियों से संघर्ष करना, पीड़ितों के अधिकारों का समर्थन करना और क़ुरआन व पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के सम्मान की रक्षा करना था।