राष्ट्रीय परमाणु प्रौद्योगिकी दिवस
(last modified Sun, 09 Apr 2023 03:55:50 GMT )
Apr ०९, २०२३ ०९:२५ Asia/Kolkata
  • राष्ट्रीय परमाणु प्रौद्योगिकी दिवस

दोस्तो ईरान के राष्ट्रीय परमाणु प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम लेकर आपकी सेवा में उपस्थित हैं, ...और... का सलाम स्वीकार कीजिए। संगीत*

20 फ़रवरदीन 1385 हिजरी शम्सी का दिन ईरान की परमाणु प्रौद्योगिकी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन ईरान द्वारा शांतिपूर्ण परमाणु तकनीक को हासिल करने और यूरेनियम संवर्धन के चक्र को पूरा कर लेने की घोषणा की गई। कड़े प्रतिबंधों और समस्त ग़द्दारियों के बावजूद, ईरान ने परमाणु ईंधन के उत्पादन की तकनीक हासिल कर ली और नई नस्ल के सेंट्रीफ़्यूज़ों की स्थापना कर दी। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को इससे अवगत करवाया और इसी के साथ वह परमाणु तकनीक संपन्न देशों की फ़हरिस्त में शामिल हो गया। ईरानी वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि को सम्मान देने के लिए देश में 20 फ़रवरदीन या 9 अप्रैल की तारीख़ को राष्ट्रीय परमाणु प्रौद्योगिकी दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई।

इस्लाम के मुताबिक़, शिक्षा प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं है, बल्कि ज्ञान की प्राप्ति की अधिक से अधिक इच्छा रखना, उन कामों में से है, जिसे इस्लाम अच्छा समझता है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के मुताबिक़, ज्ञान जहां भी मिले उसे हासिल करो और पालने से लेकर क़ब्र तक ज्ञान हासिल करो। इस्लाम के इस दृष्टिकोण के आधार पर, ज्ञान प्राप्ति की सीमा निर्धारित करने का कोई अर्थ नहीं है, बल्कि एक सच्चे मुसलमान को हमेशा ख़ुद को एक छात्र समझना चाहिए।

आज जबकि साम्राज्यवादियों ने ज्ञान पर अपना एकाधिकार जमा रखा है और आधुनिक तकनीक से वे दूसरों को वंचित रखना चाहते हैं, मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है कि ज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भरपूर प्रयास करें। ईरान के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई देश में ज्ञान और तकनीक के प्रसार पर बहुत बल देते हैं। उन्होंने कई वर्ष पहले देश की प्रमुख संस्थाओं से कहा था कि देश में शिक्षा का व्यापक रोड मैप तैयार करें। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता हर साल छात्रों, शिक्षकों और शैक्षिक एवं सांस्कृतिक हस्तियों से मुलाक़ात करते हैं और उनकी ज़रूरतों एवं सुझावों पर कान धरते हैं।

शिक्षा ग्रहण के बारे में आम विचार के विपरीत, वरिष्ठ नेता शिक्षा ग्रहण को केवल रोज़गार प्राप्त करने, टेक्नॉलौजी में प्रगतिकरने और भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति से सीमित नहीं समझते हैं, बल्कि उनकी नज़र में इसका मुख्य कार्य गौरव प्राप्त करना है। यही कारण है कि आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई दुनिया के आधुनिक विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करके, शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक संस्थाओं का भरपूर समर्थन करते हैं। उनके इसी दृष्टिकोण के कारण, इस पिछड़े हुए क्षेत्र में प्रगति हुई है।

दूसरी ओर, ज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में वरिष्ठ नेता की तवज्जोह से इस क्षेत्र में विश्व साम्राज्यवाद के एकाधिकार को तकड़ा झटका लगा है। आज ईरान की वैज्ञानिक उपलब्धियां, विश्व समुदाय के ध्यान का केन्द्र बनी हुई हैं। इस संदर्भ में वरिष्ठ नेता कहते हैं, परमाणु तकनीक अचानक प्रसिद्ध हो गई है और सभी का इस पर ध्यान है, लेकिन केवल यही नहीं है, बल्कि परमाणु तकनीक के अलावा, अंतरिक्ष विज्ञान है और चिकित्सा विज्ञान है।

वैज्ञानिक आंदोलन उत्पन्न करने के लिए वरिष्ठ नेता की दृष्टि में पश्चिम के वैज्ञानिक एकाधिकार पर सवाल खड़ा करना और शिक्षाविदों में पश्चिमी विज्ञान के सिद्धांतों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास जगाना ज़रूरी है। वे कहते हैं, हमारे शिक्षकों और छात्रों को अनेक सामाजिक एवं राजनीतिक विषयों के बारे में कि जिनके पश्चिमी स्वरूप को अंतिम स्वरूप समझा जाता है, सवाल करने चाहिएं, उन्हें इन विषयों पर शोध करना चाहिए और इस धारणा को समाप्त करना चाहिए, नए मार्गों की खोज करना चाहिए, ख़ुद भी उनसे लाभ उठाना चाहिए और दूसरों को भी अवसर प्रदान करना चाहिए। आज हमारे देश को इसी चीज़ की ज़रूरत है। आज देश को विश्वविद्यालयों से यही आशा है। विश्वदियालयों को एक संपूर्ण वैज्ञानिक आंदोलन राष्ट्र के सामने पेश करना चाहिए। जो लोग प्रयास करने वाले हैं, उन्हें चाहिए कि अपने सुझावों से इस्लामी मूल्यों के आधार पर एक वास्तविक समाज की बुनिया रखें।

गत वर्षों में पश्चिम ने दो सामरिक उद्देश्यों के तहत ईरान पर आर्थिक दबाव डाला। पहला उद्देश्य बुनियादी ज़रूरतों की आपूर्ति में उत्पादन के क्षेत्र में ईरान की अक्षमता को दर्शाना था, लेकिन यह शैली सफल नहीं हो सकी और ईरान ने दर्शा दिया कि आधारभूत क्षेत्रों में वह आर्थिक दबावों का मुक़ाबला करने की योग्यता रखता है। इस प्रकार, अभाव उत्पन्न करने का विचार असफ़ल हो गया और उसके स्थान पर उन्होंने ईरान की प्रगति के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने की नीति अपनायी। यह रणनीति पहले मार्ग की तुलना में बहुत अधिक ख़तरनाक है। इस रणनीति के तहत तकनीक के स्वदेशीकरण के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने और देश में उत्पादन के स्थर को नीचे लाने के लिए ईरान की अर्थव्यवस्था को मूल रूप से लक्ष्य बनाया गया और प्रतिबंधों को भी इसी लक्ष्य की ओर केन्द्रित कर दिया गया। इस परिप्रेक्ष्य में ईरान के तेल उद्योग को पश्चमी प्रतिबंधों में मुख्य रूप से निशाना बनाया गया कि जो आय का मूल स्रोत है और जिसकी ईरान के आर्थिक विकास में भूमिका है। इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में ईरानी आर्थिक प्रगति एवं उत्पादन की योग्यता को शून्य पर पहुंचाना है।

लेकिन ईरान ने परपमाणु तकनीक समेत हर क्षेत्र में प्रतिरोध की नीति अपनाकर स्टेम सेल, क्लोन, टेक्नॉलॉजी और नैनो टेक्नॉलॉजी में उदाहरणीय प्रगति की है और विश्व में 10वां स्थान ग्रहण किया है।

पश्चिम ने ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित परमाणु अनुसंधान केन्द्र को परमाणु ईंधन देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण ईरान स्वदेशी तकनीक पर आधारित परमाणु ऊर्जा के उत्पादन पर बाध्य हुआ। इस अनुसंधान केन्द्र में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए दवाईयों का उत्पादन किया जाता है, जिसके लिए 20 प्रतिशत यूरेनियम संवर्धन की ज़रूरत होती है।

परमाणु तकनीक अनेक श्रेत्रों में प्रगति का आधार है और वर्तमान समय में यह कुछ ही देशों के पास है। औद्योगिक आयाम से यूरेनियम के संवर्धन की टेक्नॉलॉजी में ईरान का विश्व में पांचवां स्थान है।

चिकित्सा के क्षेत्र में परमाणु तकनीक का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है। ईरान ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। आज ईरान में अनेक जटिल रोगों का इस तकनीक के आधार पर उपचार किया जा रहा है।

वर्तमान समय में दुनिया भर में प्रतिदिन 40 से 50 हज़ार रोगियों का परमाणु तकनीक से निर्मित दवाईयों द्वारा उपचार किया जा रहा है। ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था ने इन दवाईयों का बड़ी मात्रा में उत्पादन करने में सफ़लता प्राप्त की है।

ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने हाल ही में आईएईए के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर द्वारा तेहरान के ख़िलाफ़ पारित किए गए प्रस्ताव के जवाब में कुछ क़दम उठाए थे। पहला क़दम 20 नवम्बर 2022 को नतंज़ और फ़ोर्दो यूरेनियम संवर्धन संयंत्रों में आईएईए के वर्यवेक्षकों की उपस्थिति में उठाया गया। इस क़दम के तहत 60 फ़ीसद तक यूरेनियम संवर्धन किया गया। ईरान 60 फ़ीसद यूरेनियम संवर्धन का काम जारी रखे हुए है। इसके अलावा, ईरान ने आईआर-6 सेंट्रीफ़्यूज़ स्थापित कर दिए हैं।

ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रवक्ता बहरूज़ कमालवंदी का कहना है कि आज देश के परमाणु संयंत्रों में यूरेनियम संवर्धन का स्तर आधिकारिक रूप से 60 फ़ीसद है। इसके अलावा, अनुसंधान और शोध कार्यों के अलावा नई नस्ल के सेंट्रीफ़्यूज़ बेहतरीन काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा है कि परमाणु क्षेत्र में हमारी प्रगति को अब पलटा नहीं जा सकता है। अपने युवा वैज्ञानिकों पर भरोसा, एक ऐसा मॉडल है, जिसका नतीजा हमेशा हासिल होता है। हमें दूसरे क्षेत्रों में भी इसी तरह से प्रयास करने चाहिए।