Jun १९, २०२१ १९:०२ Asia/Kolkata
  • हुसैन ख़्वान फ्रांसिस्को लूज़ानो, कैसे बदल गयी पूरी ज़िन्दगी

 ईश्वरीय धर्म इस्लाम को अरब प्रायद्वीप में उदय हुए एक शताब्दी का भी समय नहीं गुज़रा था कि मुसलमानों ने अंडालुसिया(ANDALUSIA) को जीत लिया। उस समय अंडालुसिया में स्पेन और पुर्तगाल दोनों शामिल थे।

अंडालुसिया पर विजय हासिल करने के बाद मुसलमानों ने गणित, वास्तुकला, इतिहास, चिकित्सा, कला और नक्षत्र आदि विषयों में महत्वपूर्ण कार्य किये और बड़ी- बड़ी लाइब्रेरियां स्थापित कीं। यह वह समय था जब यूरोप मध्ययुगीन शताब्दी से गुज़र रहा था और वहां अज्ञानता एवं अंधविश्वास का बोलबाला था।

प्रसिद्ध फ्रांसीसी इतिहासकार गुस्ताव ले बोन GUSTAVE LE BON अपनी किताब‘इस्लामी और अरब सभ्यता’ में लिखते हैं” मुसलमानों ने कुछ शताब्दियों में अंडालुसिया को ज्ञान- विज्ञान और आर्थिक दृष्टि से पूरी तरह बदल दिया इस प्रकार से कि उसे यूरोप के गर्व का ताज बना दिया और यह क्रांति ज्ञान-विज्ञान ही नहीं बल्कि नैतिकता के क्षेत्र में भी थी। ग़ैर मुसलमानों के साथ मुसलमानों का बर्ताव इतना अच्छा था कि उन्हें अपने-अपने धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति और पूरी आज़ादी थी।

 

लगभग आठ शताब्दियों तक मुसलमानों ने अंडालुसिया पर शासन किया और वहां के ईसाईयों ने अंडालुसिया की सरकार की कमज़ोरियों का लाभ उठा कर उसे पराजित कर दिया और थोड़े से मुसलमानों के अलावा सब को वहां से निकाल दिया। इस समय अंडालुसिया से मुसलमानों के शासन को समाप्त हुए लगभग 5 शताब्दियों का समय बीत रहा है पर प्रतीत यह हो रहा है कि स्पेन के लोग आज भी अंडालुसिया के लोगों की संस्कृति और सभ्यता का एहसास कर रहे हैं और आज भी उनमें ईश्वरीय धर्म इस्लाम स्वीकार करने की तत्परता अधिक पायी जाती है।

आज स्पेन के एक प्रांत का नाम अंडालुसिया है और ख़्वान फ्रांसिस्को लोज़ानो इसी प्रांत के एक नागरिक हैं जिन्होंने अभी हाल में ही इस्लाम धर्म स्वीकार किया है। ख़्वान फ्रांसिस्को लोज़ानो एक कैथोलिक ईसाई परिवार में पैदा हुए थे। उनका जन्म स्पेन के अंडालुसिया प्रांत के मालगा नगर में हुआ था। उनके परिवार के लोग संभवतः इस्लामी संस्कृति और इस्लाम धर्म की शिक्षाओं से प्रभावित थे जिसके कारण उन्होंने अपने बच्चों की प्रशिक्षा में काफ़ी सीमा तक इस्लामी शिक्षाओं को ध्यान में रखा। मिसाल के तौर पर सुअर का मांस नहीं खाते थे और शराब का सेवन नहीं करते थे।

ख़्वान फ्रांसिस्को उस समय इस्लाम की शिक्षाओं से अधिक परिचित हुए जब उन्हें एक क़ुरआन मिला। वह कहते हैं। मैं आठ साल का था जब अपने पिता के साथ किताब बेचने की एक दुकान पर गया था। एक किताब ने मेरा ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया और वह किताब पवित्र क़ुरआन थी। मेरे पिता ने मेरे लिए क़ुरआन ख़रीदा। अलबत्ता उस वक्त मैं पवित्र कुरआन की बातों व शिक्षाओं को अधिक नहीं समझता था परंतु इस किताब का अध्ययन ही मेरे लिए इस्लाम को पहचाने की भूमिका बना।

 

ख़्वान फ्रांसिस्को कहते हैं कि मैं ईसाई धर्म की शिक्षाओं में विरोधाभास देखता था जिन्हें मैं स्वीकार नहीं कर सकता था। इस बारे में वह कहते हैं जैसे हज़रत ईसा ईश्वर के बेटे हैं और स्वंय ईश्वर भी हैं। यह बात मेरे गले से नहीं उतरती थी और कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इस बात को स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि यह अतार्किक है।

इस बारे में मैंने कई ईसाई पादरियों से सवाल किया परंतु उन सबने कहा कि यह एक राज़ है जिसे हम नहीं जानते हैं। उनके जवाब मुझे स्वीकार्य नहीं थे यहां तक कि वर्ष 2008 में आधिकारिक तौर पर मैं कैथोलिक ईसाइयों के गिरजाघर से बाहर आ गया।“ उसके बाद ख़्वान फ्रांसिस्को ने दूसरे धर्मों के बारे में अध्ययन करना आरंभ कर दिया ताकि वास्तविकता तक पहुंच सकें।

ख़्वान फ्रांसिस्को का इस्लाम से संक्षिप्त परिचय इस बात का कारण बना कि वह इस ईश्वरीय धर्म के बारे में भी अध्ययन करें और परिमाण स्वरूप उन्होंने देखा कि यह धर्म इंसान को लोक- परलोक के कल्याण का रास्ता दिखाता है परंतु जब वे इस्लाम धर्म के एक संप्रदाय को स्वीकार करना चाह रहे थे तो उन्हें कुछ कठिनाइयों व समस्याओं का सामना करना पड़ा जिसके कारण उन्होंने इस्लाम धर्म को स्वीकार करने को विलंबित कर दिया ताकि अधिक अध्ययन कर सकें।

 

वह विश्व विद्यालय में एक इराक़ी से परिचित हो जाते हैं और वह उन्हें इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम की पावन जीवनी के बारे में किताबें देता है। ख़्वान फ्रांसिस्को इन किताबों को पढ़ने के बाद इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि वास्तविक इस्लाम पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के पास है। अंत में वह इस्लाम धर्म स्वीकार करने के साथ- साथ शीया भी हो जाते हैं और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से जो प्रेम, लगाव और श्रृद्धा हो जाती है उसके कारण वह अपना नाम हुसैन रख लेते हैं।

वह पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के बारे में अपनी भावनाओं को इस प्रकार बयान करते हैं” अहले बैत अलैहिमुस्सलाम मेरे लिए बहुत आकर्षक हैं। अहलेबैत उस आड्रेस की भांति हैं जो मार्ग का निर्धारण करता है और इंसान का सही मार्गदर्शन करता है, गुमराही से बचाता है और अंत में इमाम महदी अलैहिस्सलाम हैं जो हम सब के लिए आशा की किरण हैं और अगर वह न हों तो इस ब्रह्मांड का कोई अर्थ नहीं है। हुसैन यानी ख्वान फ्रांसिस्को कहते हैं कि इस समय दुनिया अत्याचार व अन्याय से भरी हुई है। ऐसे हालात में महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने की उम्मीद पीड़ितों और न्याय चाहने वालों के दिलों में आशा की ज्योति है और लोगों के दिलों में यह ज्योति उन्हें अन्याय और अत्याचारियों के मुकाबले में डट जाने का साहस व हौसला देती है।

आमतौर पर जो लोग ताज़ा इस्लाम धर्म स्वीकार करते हैं वे पैग़म्बरे इस्लाम के प्राणप्रिय नाती इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से विशेष श्रृद्धा और लगाव रखते हैं। उसकी एक वजह यह है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने नाना पैग़म्बरे इस्लाम के धर्म को बचाने के लिए जिस प्रकार की क़ुर्बानी दी वह हमेशा- हमेशा के लिए अमर हो गयी है और जो भी उनकी कुर्बानी, त्याग व बलिदान की कहानी पढ़ता है वह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से प्रेम करने लगता है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफादार साथियों ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी। धर्म की रक्षा, न्याय प्रेम, बहादुरी और अत्याचार व अत्याचारी के मुकाबले में डट जाना इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मात्र कुछ विशेषतायें हैं जो समस्त लोगों विशेषकर ताज़ा मुसलमानों होने वालों के लिए सर्वोत्तम सीख हैं।

ख़्वान फ्रांसिस्को कहते हैं मैं समस्त इमामों में श्रृद्धा रखता हूं परंतु इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम में बहुत श्रृद्धा रखता हूं क्योंकि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कठिन परिस्थिति में आंदोलन किया, अत्याचारी के मुकाबले में डट गये, संघर्ष किया और अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। मैं इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की इस भावना को पसंद करता हूं और इसी वजह से मैंने अपना नाम हुसैन रख लिया। कुछ समय के बाद अपनी धार्मिक जानकारी में वृद्धि के लिए वह एक इस्लामी देश की यात्रा का इरादा करते हैं और वह यात्रा के लिए ईरान का चयन करते हैं।

रोचक बात यह है कि वह कहते हैं कि ईरान के चयन का कारण यह है कि यह अमेरिका और इस्राईल विरोधी है। हुसैन कुछ समय तक धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद विवाह कर लेते हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान, अमेरिका और दूसरी वर्चस्ववादी शक्तियों के मुकाबले में डटा हुआ है उसने दुनिया के बहुत से स्वतंत्रता और न्यायप्रेमियों के ध्यान को अपनी ओर आकृष्ट कर रखा है। पश्चिमी शक्तियां ईरान से दुश्मनी कर रही हैं और उसके विकास के मार्ग में विभिन्न प्रकार की रुकावटें व समस्यायें खड़ी करती हैं तो उसकी एक बड़ी वजह यह है कि वर्चस्ववादी शक्तियों को इस बाद का डर है कि कहीं लोगों और राष्ट्रों में प्रतिरोध की भावना मज़बूत न हो जाए।

पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों और इमामों की पावन समाधियां वे स्थल हैं जो समस्त लोगों विशेषकर उन लोगों के ध्यान का केन्द्र हैं जो ताज़ा मुसलमान होते हैं। ईरान के पवित्र नगर मशहद में हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का पवित्र रौज़ा है जहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है और रौज़े का जो विशेष आध्यात्मिक वातावरण है उसका उल्लेख शब्दों में नहीं किया जा सकता।

स्पेन के ताज़ा मुसलमान होने वाले ख़्वान फ्रांसिस्को इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के लिए पवित्र नगर मशहद जाते और इस बारे में वह कहते हैं जब मैं पहली बार इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के लिए पहुंचा तो मैं बड़े ही आश्चर्यचकित नज़रों से देख व निहार रहा था। अगले दिन सुबह की नमाज़ के लिए मैं हरम गया। मेरे साथ जाने वाले ने मुझसे कहा कि ज़ियारत के बाद मशहद के दूसरे स्थानों को देखने के लिए चलेंगे तो मैंने कहा नहीं मुझे कहीं नहीं जाना है। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पवित्र रौज़े के आध्यात्मिक वातावरण के बारे में ख़्वान फ्रांसिस्को यानी हुसैन कहते हैं वहां का वातावरण पवित्र व आध्यात्मिक है जो इंसान को विशेष प्रकार की शांति व आराम प्रदान करता है। जब मैं इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पवित्र रौज़े में बैठता था तो इस बात का आभास करता था कि यहां की ज़मीन व वातारण दूसरी जगहों से भिन्न है मानो स्वर्ग का एक टुकड़ा है। मैं वहां के वातावारण से बहुत प्रभावित था। सारांश यह कि वहां के वातावरण का आभास एक विशेष प्रकार का अनुभव था। वहां पर मैंने अपने परिवार, अपनी पत्नी और इसी प्रकार महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्लाम के ज़ुहूर होने की दुआ की।

ख़्वान फ्रांसिस्को, परिवार पर जो ध्यान देते हैं वह सराहनीय है। इसलिए कि इस्लाम में अपने परिजनों विशेषकर माता -पिता के साथ भलाई करने की बहुत सिफारिश की गयी है। कैंसर के कारण  पिता का निधन हो जाने के बाद वह चिकित्सा की पढ़ाई करना चाहते हैं ताकि शायद दूसरों की सहायता से उनकी गर्दन में उनके पिता का जो हक़ है शायद उसे अदा कर सकें। इस समय उनके पास स्नातकोत्तर या मास्टर्स की डिग्री है। जब वह अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे तो उन्हें अपने पिता के निधन का समाचार मिला। इस दुःखद समाचार के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और इस समय वह स्पेन के अंडालुसिया में विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर चिकित्सा व कैंसर के क्षेत्र में ध्यान योग्य सेवाएं दे रहे हैं।

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