झूठा ग़ुलाम-1
एक रात ख़लीफ़ा हारून ने अपने वज़ीर जाफ़र बरमकी से कहा कि मैं चाहता हूं कि आज रात शहर में चक्कर लगाऊं और देखूं कि हमारे कमांडर और कर्मचारी किस तरह सेवा कर रहे हैं।
लोगों का उनके बारे में क्या विचार है। यदि किसी के बारे में शिकायत मिली तो उसे तत्काल पद से हटा दिया जाएगा।
जाफ़र बरमकी ने जवाब दिया कि जैसा आपका हुक्म। रात के समय ख़लीफ़ा हारून, वज़ीर जाफ़र बरमकी और तलवार बाज़ मसरूर निकल पड़े। शहर में बाज़ारों से गुज़रे, गलियों में घूमे। एक गली में एक बूढ़ा दिखाई दिया जो सिर पर टोकरी और उसके भीतर जाल रखे लाठी के सहारे रास्ता तय करने की कोशिश कर रहा है लेकिन उसकी हालत एसी हो गई है कि जैस अभी दम निकल जाएगा। ख़लीफ़ा हारून उसके पास गया और पूछा कि तुम क्या काम करते हो। बूढ़े ने उत्तर दिया कि मैं मछुआरा हूं। मेरे बीवी बच्चे हैं और बहुत ग़रीब आदमी हूं। आज दोपहर से रात हो गई और रात के खाने का कोई बंदोबस्त नहीं हो पाया है। में बहुत परेशान हूं और मौत की दुआ कर रहा हूं। ख़लीफ़ा हारून ने उस बूढ़े से कहा कि आओ मेरे साथ चलो दजला नदी के किनारे चलकर खड़े होते हैं तुम मेरे नाम पर जाल डालो।
जाल में जो कुछ भी आएगा उसे मैं 100 दीनार में तुमसे ख़रीद लूंगा।
वह बूढ़ा बहुत ख़ुश हो गया। सब दजला नदी के किनारे पहुंचे। बूढ़े ने जाल डाला और कुछ क्षणों के बाद धीरे धीरे जाल को बाहर खींचा। जाल में एक संदूक़ नज़र आया जिसमें ताला लगा हुआ था।
ख़लीफ़ा ने महसूस कर लिया कि यह संदूक़ बहुत वज़्नी है। ख़लीफ़ा ने बूढ़े को 100 दीनार दे दिए और मसरूर ने वह संदूक़ उठा लिया और सब दरबार लौट गए। यह बहुत बड़ा संदूक़ था। दरबार पहुंचकर जब ताला तोड़ा गया और संदूक़ खोला गया तो पता चला कि उसके भीतर चटाई का बड़ा थैला है। उस थैले के भीतर रेश्मी कपड़ा दिखाई दिया और कपड़े के अंदर एक महिला की लाश दिखाई दी जो ख़ून में डूबी हुई थी उसकी हत्या कर दी गई थी।
ख़लीफ़ा हारून रोने लगा और उसने जाफ़र बरमकी से पूछा कि मेरे शासनकाल में एक लड़की की हत्या कर दी जाए और तुम्हें पता भी न चले! क्या कर रहे हो तुम लोग। इस लड़की की हत्या करके उसका शव दजला नदी में डाल दिया गया और उसका गुनाह मेरे सर गया है। मैं इस लड़की की हत्यारे को सज़ा देकर रहूंगा और अगर तुमने इस लड़की के हत्यारे का पता न लगाया तो मैं तुम्हारे 40 भाइयों को इसी पहले के भीतर फांसी पर लटका दूंगा।
जाफ़र बरमकी ने जब ख़लीफ़ा का यह ग़ुस्सा देखा तो कहा कि मुझे तीन दिन का समय दीजिए। ख़लीफ़ा ने तीन दिन का समय दे दिया। जाफ़र बरमकी दरबार से बाहर निकला और बहुत परेशानी के हालत मे टहलने लगा। वह इस सोच में डूबा हुआ था कि कैसे पता लगाऊं कि किसने इस लड़की की हत्या की है और उसे कैसे पकड़कर ख़लीफ़ा के सामने हाज़िर करूं। अगर किसी को भी पकड़कर ले जाता हूं और यह कह देता हूं कि इसी ने लड़की की हत्या की है तो उसके घरवाले मेरे दुशमन हो जाएंगे और कभी भी बदले की कार्यवाही कर सकते हैं।
जाफ़र तीन दिन तक अपने घर में पड़ा रहा। चौथे दिन ख़लीफ़ा ने जाफ़र को बुलवाया। जब जाफ़र ख़लीफ़ा के सामने पहुंचा तो उसने पूछा कि लड़की का हत्यारा कहां है? जाफ़र बरमकी ने कहा कि मेरे पास कोई दिव्य शक्ति तो है नहीं जिसके माध्यम से हत्यारे का पता लगा लूं। ख़लीफ़ा क्रोधित हो गया और उसने आदेश दिया कि जाफ़र और उसके भाइयों को फांसी पर लटका दिया जाए और पूरे शहर में ढिंढोरा पीट दिया जाए कि जो भी जाफ़र बरमकी और उसके भाइयों को फांसी पर चढ़ते हुए देखना चाहता है दरबार के सामने आ जाए।
लोगों की भीड़ लग गई। लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि जाफ़र बरमकी और उसके भाइयों को फांसी क्यों दी जा रही है। सब के लिए फांसी का फंदा तैयार कर दिया गया और ख़लीफ़ा के आदेश की प्रतीक्षा थी कि आदेश होते ही सबको फांसी पर लटका दिया जाए। लोग जाफ़र और उसके भाइयों की यह दशा देखकर रो रहे थे कि अचानक भीड़ के भीतर से एक युवा बाहर आया जो बड़ा ख़ूबसूरत था और उसने बड़े अच्छे कपड़े पहने हुए थे।
उसने जाफ़र से कहा कि उस लड़की की हत्या मैंने की है। अतः मुझे फांसी पर लटका दिया जाए और वज़ीर तथा उसके भाइयों को छोड़ दिया जाए। जाफ़र बरमकी ने जब यह सुना तो उसे अपनी जान बच जाने की बड़ी ख़ुशी हुई लेकिन इस बात का दुख भी हुआ कि इस ख़ूबसूरत नौजवान को फांसी दे दी जाएगी। अचनाक भीड़ के अंदर से एक बूढ़ा निकला और उसने चिल्लाकर कहा कि उस लड़की की हत्या मैने की है इस जवान ने नहीं अतः मुझे फांसी पर लटकाया जाए। बूढ़े ने कहा कि मेरे बेटे अभी तो तूने ज़िदगी में कुछ देखा ही नहीं है अभी तो तेरे घूमने फिरने और आनंद उठाने के दिन हैं।
वज़ीर और उसके भाइयों को फांसी दिया जाना भी ग़लत है क्योंकि लड़की की हत्या मैंने की है मुझे जल्दी सज़ा दीजिए। वज़ीर को यह देखकर बड़ा अचरज हुआ। वह दोनों को लेकर ख़लीफ़ा के पास गया और उसने कहा कि हे ख़लीफ़ा उस लड़के का हत्यारा मिल गया है। ख़लीफ़ ने जवान और बूढ़े को ध्यान से देखा और पूछा कि हत्यारा कौन है? वज़ीर ने कहा कि जवान कहता है कि लड़की की हत्या उसने की है और बूढ़े का दावा है कि लड़की का हत्यारा जवान नहीं वो है।
ख़लीफ़ा ने पूछा कि सच सच बताओ तुम दोनों में से लड़की का हत्यारा कौन है। जवान ने फौरन कहा कि मैंने हत्या की है। बूढ़े ने भी कहा कि हत्यारा केवल मैं हूं। ख़लीफ़ा ने कहा कि दोनों को फांसी पर लटका दिया जाए। जाफ़र ने यह बात नहीं मानी उसने कहा कि जब हत्यारा एक ही है तो दो को फांसी पर लटकाना ग़लत है।