विज्ञान की डगर
विज्ञान की डगर-70
इस्लामी विश्व विज्ञान प्रशस्ति पत्र डेटाबेस आईएससी की ओर से जारी आंकड़ों के आधार पर ईरान ने हालिया बीस वर्ष के दौरान विज्ञान के क्षेत्र में औसतन 21.62 प्रतिशत वार्षिक वैज्ञानिक प्रगति करके दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में ज़बरदस्त छलांग लगाई है और 38 पायदान आगे बढ़ा है।
आईएससी की रिपोर्ट के आधार पर ईरान में विज्ञान की पैदावार की प्रक्रिया से जो वेब आफ़ साइंस डब्ल्यूओएस वेबसाइट से ली गयी है, पता चलता है कि पिछले 20 वर्षों में ईरान के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की ओर से पेश किए गये शोधपत्रों और दस्तावेज़ों की संख्या 1376 हिजरी शम्सी में 983 से बढ़कर 1396 के अंत तक 49696 तक पहुंच गयी है और इसमें तब से लेकर अब तक निरंतर प्रगति हो रही है यानी 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
वेबसाइट के अधिकारियों का कहना है कि डब्ल्यूओएस में प्रकाशित होने वाले 79.1 प्रतिशत दस्तावेज़ और डाक्युमेंट, ईरानी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की ओर से लिखे गये हैं जो शोधपत्रों की शक्ल में हैं और इस विषय से यह पता चलता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान की वैज्ञानिक स्थिति क्या है और इस देश के वैज्ञानिक, ज्ञान विज्ञान में किस स्तर पर हैं। नेचर इंडेक्स संस्था की जनवरी 2018 की रिपोर्ट के आधार पर इस्लामी गणतंत्र ईरान ने पिछले दश्कों दौरान दुनिया के अन्य देशों की तुलना में प्रतिवर्ष 22 प्रतिशत विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रगति की है और यह विकास और प्रगति दुनिया के बड़े देशों के मुक़ाबले में अंजाम देकर दुनिया में पहला स्थान हासिल किया है।
ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अन्य प्रगतियों और उपलब्धियों की बात करें तो एनवाईयू विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने इंसान के शरीर में एक नये अंग का पता लगाया है जिसके बारे में दावा किया गया है कि शरीर का यह अंग, शॉक अब्ज़ॉर्बर या आघात अवशोषक के रूप में काम करता है और संभावित रूप से यह शरीर का सबसे बड़ा अंग समझा जाता है। जैसा कि बताया जाता है कि इंसान के बदन या शरीर में आपस में एक गुथी हुई और घनी बनावट पायी जाती है जो वास्तव में जानकारियों और सूचनाओं के एक नेटवर्क के रूप में काम करता है और इसी को आघात अवशोषक या शॉक अब्ज़ॉर्बर कहा जाता है।
अगर इस खोजन की पुष्टि हो जाती है कि यह बदन के बारे में हमारी जानकारियों को बदल सकता है और शोधकर्ताओं के अनुसार अगर इंसान के शरीर में कैंसर का रोग पैदा हो रहा है या कैंसर की संभावना होती है तो यह तुरंत बदन को अलर्ट कर देता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका सबूत यह है कि शरीर के कुछ अंगों की तुलना में दूसरे अंगों में कैंसर बहुत तेज़ी से फैलता है और पैदा होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मनुष्य के जिस नये अंग का पता चला है उसका नाम इंटरस्टीशियम (interstitium) है।
वैज्ञानिकों ने इंसान के शरीर में एक नए ऑर्गन की खोज की है जिसके बारे में अब तक किसी को जानकारी नहीं थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे शरीर में जो परत है जिसे अब तक सघन और संयोजक टीशू समझा जा रहा है था वे दरअसल तरल पदार्थों से भरे कंपार्टमेंट्स हैं जिन्हें इंटरस्टीशियम नाम दिया गया है।
वैज्ञानिकों ने इंसान के शरीर में एक नए ऑर्गन की खोज की है जिसके बारे में अब तक किसी को जानकारी नहीं थी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस नई खोज की मदद से मनुष्य के शरीर में कैंसर कैसे फैलता है इसे आसानी से समझा जा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे शरीर में जो परत है जिसे अब तक संयोजक टीशू समझा जा रहा है था वे दरअसल तरल पदार्थों से भरे कंपार्टमेंट्स हैं जिन्हें इंटरस्टीशियम नाम दिया गया है।
ये कंपार्टमेंट्स हमारी स्किन के नीचे पाए जाने के साथ ही आंत, फेफड़े, रक्त नलिका और मांसपेशियों के नीचे भी परत के रूप में पाए जाते हैं और ये आपस में जुड़कर एक नेटवर्क बनाते हैं जिसे मजबूत और लचीले प्रोटीन के जाल का सपॉर्ट मिला होता है। इंसान के शरीर के बारे में किया गया यह नया विश्लेषण साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है और पहली बार इन रिक्त स्थानों को संयुक्त रूप से एक नए ऑर्गन के तौर पर माना गया है ताकि उनके कार्य करने के तरीके को समझा जा सके।
हैरान करने वाली बात यह है कि इंटरस्टीशियम पर पहले कभी ध्यान नहीं दिया गया जबकि यह इंसान के शरीर के सबसे बड़े ऑर्गन्स में से एक है। वैज्ञानिकों की जिस टीम ने इस ऑर्गन की खोज की है उनका मानना है कि शरीर के ये कंपार्टमेंट्स या अंश शॉक अब्जॉर्बर का काम करते हैं जो शरीर के टीशूज को डैमेज होने से बचाते हैं।
माउंड सिनाइ बेथ के डॉ डेविड कार-लॉक और डॉ पेट्रोस बेनियास जब एक मरीज के शरीर में कैंसर के संकेतों का पता लगाने के लिए पित्त वाहिनी (bile duct) की जांच कर रहे थे उस दौरान उन्हें इंटरस्टीशियम के बारे में पता चला। उन्होंने देखा कि उस मरीज के शरीर में कैविटीज या छेद था जो पहले कभी इंसान के शरीर के गहन विश्लेषण के दौरान सामने नहीं आया था। इसके बाद उन्होंने न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के पाथलॉजिस्ट डॉ नील थेसी से इस बारे में बात की।
पूरे शरीर में पाए जाने वाले तरल पदार्थों से भरे इन शॉक अब्ज़ॉर्बर को अब तक सिर्फ साधारण परत वाले कनेक्टिव टीशू के रूप में जाना जाता था। लेकिन हाल ही में हुई जांच के नतीजों के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संरचना न सिर्फ पित्त वाहिनी (bile duct) में पायी जाती है बल्कि शरीर के दूसरे और बेहद अहम ऑर्गन्स के आसपास भी होती है। इंसान के शरीर में इस नए ऑर्गन की खोज और उसे पूरी तरह से समझने के बाद वैज्ञानिकों को कैंसर के लिए नया टेस्ट विकसित करने में मदद मिलेगी।
आमवात ज्वर (रुमैटिक फीवर) या रुमेटी हृद्रोग एक ऐसी अवस्था है, जिसमें हृदय के वाल्व एक बीमारी की प्रक्रिया से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण गले के संक्रमण से शुरू होती है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाये, गले का यह संक्रमण रुमेटिक बुखार में बदल जाता है। बार-बार के रुमेटिक बुखार से ही रुमेटिक हृदय रोग विकसित होता है। रुमेटिक बुखार एक सूजनेवाली बीमारी है, जो शरीर के, खास कर हृदय, जोड़ों, मस्तिष्क या त्वचा को जोड़नेवाले ऊतकों को प्रभावित करती है। जब रुमेटिक बुखार हृदय को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त करता है, तो उस अवस्था को रुमेटिक हृदय रोग कहा जाता है। हर उम्र के लोग गंभीर रुमेटिक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं, लेकिन सामान्यतौर पर यह पांच से 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में होता है।
हृदय का एक क्षतिग्रस्त वाल्व या तो पूरी तरह बंद नहीं होता या पूरी तरह नहीं खुलता है। पहली स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में इनसफिसिएंसी और दूसरी स्थिति को स्टेनोसिस कहते हैं। पूरी तरह बंद नहीं होनेवाले हृदय के वाल्व में खून, हृदय के उसी कक्ष में वापस चला जाता है, जहां से उसे पंप किया जाता है। इसे रीगर्गिटेशन या लीकेज कहते हैं। हृदय की अगली धड़कन के साथ यह खून वाल्व से पार होकर सामान्यरूप से बहनेवाले खून में मिल जाता है। हृदय से गुजरनेवाली खून की यह अतिरिक्त मात्रा हृदय की मांसपेशियों पर अतिरिक्त बोझ डालती है। जब हृदय का वाल्व पूरी तरह नहीं खुलता है, तब हृदय को खून की सामान्य से अधिक मात्रा पंप करनी पड़ती है, ताकि संकरे रास्ते में पर्याप्त खून शरीर में जाये। सामान्यतौर पर इसका कोई लक्षण तब तक दिखाई नहीं देता, जब तक कि रास्ता अत्यंत संकरा न हो जाये।
छाती के एक्स रे और इसीजी (एलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) दो ऐसी सामान्य जांच हैं, जिनसे पता चलता है कि हृदय प्रभावित हुआ है या नहीं। चिकित्सक इसका उपचार मरीज के सामान्य स्वास्थ्य, चिकित्सकीय इतिहास और बीमारी की गंभीरता के आधार पर तय करते हैं। चूंकि रुमेटिक बुखार हृदय रोग का कारण है, इसलिए इसका सर्वोत्तम उपचार रुमेटिक बुखार के बार-बार होने से रोकना है।
रुमेटिक हृदय रोग को रोकने का सर्वश्रेष्ठ उपाय रुमेटिक बुखार को रोकना है। गले के संक्रमण के तत्काल और समुचित उपचार से इस रोग को रोका जा सकता है। यदि रुमेटिक बुखार हो, तो लगातार एंटीबायोटिक उपचार से इसके दोबारा आक्रमण को रोका जा सकता है।