Nov १६, २०२१ १८:१२ Asia/Kolkata
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ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत में एक हज़ार 520 एतिहासिक वस्तुएं और स्थान हैं जिनमें प्राचीन अवशेष, प्राकृतिक गुफाएं, बेहद प्राचीन पेड़, चल-अचल विरासत, भूमिगत नहरें और प्राकृतिक स्थान शामिल हैं।

इस प्रांत के 878 प्राचीन अवशेष वस्तुएं ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूचि में पंजीकृत हैं। इनमें 773 अचल अवशेष जैसे टीले, परिसर, इमारतें आदि हैं जबकि 20 प्राकृतिक स्थान और 62 आध्यात्मिक चीज़ें हैं, 23 चीज़ें वह हैं जिनका शुमार चल-संपत्ति में होता है। इनमें कुछ मूल्यवान एतिहासिक धरोहर जैसे एतिहासिक इमारतें सनंदज शहर में हैं। हम इस कार्यक्रम में आपको सनंदज की सैर कराएंगे, हमारे साथ रहिए।

सनंदज के एतिहासिक व दर्शनीय स्थलों में वह इमारतें भी हैं जिनकी वास्तुशैली बेमिसाल है। इसके अलावा सफ़वी और क़ाजारी शासन काल में जो घटनाएं हुईं उनसे जुड़ी यादगारें हमेशा पर्यटकों को इस जगह की ओर आकर्षित करती हैं। इन एतिहासिक इमारतों में से एक आसिफ़ इमारत है जो जातियों की सांस्कृतिक पहिचान का प्रतीक है। इसे कुर्द आवास के नाम से भी जाना जाता है। कुर्द आवास दरअस्ल कुर्द जातियों की एंथ्रोपोलोजी बल्कि यह कहना चाहिए कि पूरे ईरान में एंथ्रोपोलोजी का सबसे बड़ा संग्रहालय है जो कुर्द जाति का बड़े रोचक ढंग से परिचय कराता है। इस इमारत में कुर्द जाति के लोगों के जीवन के अनेक पहलुओं को देखा जा सकता है और इस इमारत तथा उसके भीतर रखी रोचक चीज़ों को देखकर आनंदित हुआ जा सकता है। इस संग्रालय पर एक नज़र डालना रोमांचक होगा।

यह इमारत सनंदज शहर में शासक वर्ग से जुड़े लोगों का आवास है जो दर्शनीय है। इसकी वास्तुकला, इसमें प्रयोग की गई ईंटें और इसमें किया गया चूनाकारी का काम इसमें लगाई गईं जालीदार डिज़ाइन वाली खिड़कियां सब कुछ बेहद ख़ूसबरत है। इन खिड़कियों में लकड़ी और शीशे का बड़ा नाज़ुक काम किया जाता था और इसमें डिज़ाइनिंग का काम भी बड़ी सुंदरता से होता था।

 

आसिफ़ इमारत लगभग 4 हज़ार वर्गमीटर के भूभाग पर फैली है। इसकी वास्तुकला और सजावट बड़ी सुंदर और आकर्षक है। बड़ी सुंदर शिल्पकारी से सजे हुए पत्थर, मेहराबी शक्ल के बड़े ताक़ वाक़ई बहुत ख़ूबसूरत हैं। इमारत का मुख्य हाल और उसकी खिड़कियां और दरवाज़े हर देखने वाले को इसके वास्तुकार और निर्माणकर्ता की बरबस तारीफ़ करने पर विवश कर देते हैं। इमारत के भीतर एक छोटा सा हम्माम है जिसका निर्माण क़ाजारिया दौर में हुआ। इसे पश्चिमी ईरान के अत्यधिक सुंदर हम्मामों में गिना जाता है। इसका निर्माण इस्फ़हानी वास्तुकला के अनुसार हुआ है। स्तंभों और उनके सिरों  की सजावट के लिए जो शैली अपनाई गई है वह वाक़ई बड़ी आकर्षक और दर्शनीय है। इसके अलावा इस इमारत में एक मुख्य द्वार, दालान और चार आंगन हैं। एक बाहरी आंगन है, दूसरी भीतरी आंगन है, एक बावर्चीख़ाने का आंगन है और एक नौकरों का आंगन है। दिलचस्प बात यह है कि यह इमारत जीन अलग अलग कालखंडों की वास्तुकारी का संगम है। इसमें सफ़वी, क़ाजारी और पहलवी काल की वास्तुकला की झलक दिखाई देती है। इसकी वजह यह है कि इस इमारत के अलग अलग भागों का निर्माण अलग अलग दौर में किया गया। इस इमारत के कई भाग हैं। एक भाग पेंटिंग गैलरी का है, प्रवेश द्वार से संलग्न आंगन है, हम्माम, शहरी जीवन के कमरे, पाठशाला, बुनाई और कढ़ाई का कमरा, आभूषणों का कमरा, कृषि से जुड़ी वस्तुओं का कमरा, वक़्त गुज़ारी और कला से जुड़ी गतिविधियों का कमरा, एतिहासिक दस्तावेज़ों और चित्रों का कमरा, सरदार का कमरा, पोशाकों का कमरा, शिकार से जुड़ी वस्तुओं का कमरा, हस्त कला का कमरा, बावर्चीख़ाना, ग्रामीण जीवन का भाग, लाइब्रेरी और प्रमुख काग़ज़ात का कमरा यह सारे अलग अलग भाग इस इमारत में हैं। एंथ्रोपोलोजी के इस संग्रहालय की लाइब्रेरी में प्रांत की अत्यंत महत्वपूर्ण शोध दस्तावेज़ रखे हुए हैं।

 

इस इमारत को 25 साल पहले ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूचि में पंजीकृत किया गया।

कुर्द आवास के क़रीब सनंदज की एक और मशहूर एतिहासिक इमारत है जिसका नाम ख़ानए सालार सईद है। 1975 में इमारत को सनंदज का सग्रहालय बना दिया गया। इस इमारत का निर्माण क़ाजारिया वास्तुकला के आधार पर और नासेरुद्दीन शाह के शासन के अंतिम वर्षों में हुआ। इसे पत्थर, ईंटों और लकड़ी से बनाया गया जो क़ाजारिया दौर की ख़ूबसूरती का दर्पण है। सनंदज संग्रहालय की इमारत के प्रमुख भागों में इसकी खिड़कियों और दरवाज़ों का नाम लिया जा सकता है। यह दरवाज़े आम तरीक़े से नहीं खुलते बल्कि ऊपर बनी ख़ाली जगह में चले जाते हैं और रास्ता खुल जाता है। इन खिड़कियों और दरवाज़ों को बनाने में रंगीन शीशों का इस्तेमाल किया गया है। जिससे इनकी सुंदरता को चार चांद लग गए हैं। इसकी एक ख़ास बात यह है कि इनके अलग अलग भागों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए कीलों और चिपकने वाले पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया गया है बल्कि लकड़ियों को ही इस तरह तराशा गया है कि हर टुकड़ा का एक भाग दूसरे टुकड़े से जुड़ जाता है। सनंदज संग्रहालय के दरवाज़ों और खिड़कियों को शीशे और लकड़ी के 42 हज़ार टुकड़ों से बनाया गया है जिन पर बड़ी सुंदर डिज़ाइनें बनाई गई हैं।

 

सनंदज संग्रहालय प्राचीन और एतिहासिक वस्तुओं और अवशेषों को प्रदर्शित करने से विशेष है। इसके चार भाग हैं, इतिहास पूर्व, एतिहासिक, इस्लामी, अंतरिम दौर। इतिहास पूर्व भाग में मिट्टी के बर्तन, तांबे से बनी चीज़ें और इंसानों की हड्डियां रखी गई है। इनमें से अधिकतर चीज़ें बाने और कंगावर शहर से मिली हैं जहां ज़ीविए टीलों और करफ़्तू गुफा की खुदाई में बहुत सारे अवशेषों का पता चला।

एतिहासिक वस्तुओं वाले भाग में जिसके लिए संग्राहालय के मुख्य हाल विशेष किया गया है शीशे, मिट्टी, पत्थर और सोने की चीज़ें नज़र आती हैं। इन चीज़ों में महिलाओं के आभूषण, तरह तरह के बरतन, कुल्हाड़ी, सूइयां, भाले का फल, ख़ंजर, तरह तरह के प्याले और इत्रदान रखे हुए हैं। इस्लामी दौर की चीज़ों से विशेष भाग को मिट्टी की चीज़ों और धातु की चीज़ों के लिए दो भागों में बांटा गया है। मिट्टी की चीज़ों में प्याले, प्लेटें और मूर्तियां आदि हैं जो अलग अलग तरह के चित्रों से सजाई गई हैं। धातु की बनी वस्तुओं वाले भाग में कई तरह के प्याले, देग, सेनी, वग़ैर रखी हैं अंतरिम दौर के लिए विशेष भाग में जो इमारत के तहख़ाने में बनाया गया है तांबे की मूर्तियां  और शीशे के बरतन रखे गए हैं। इस भाग की चीज़ें संग्रहालय के कार्यक्रम के अनुसार बदलती रहती हैं।

इस संग्रहालय के क़रीब एक और सुदंर व दर्शनीय इमारत है जिसे हबीबी इमारत कहा जाता है। यह कुर्दिस्तान की हस्त कला के क़ीमती नमूनों का केन्द्र है। इस इमार का निर्माण 100 साल से अधिक पहले किया गया था और इसका उद्देश्य कुर्दिस्तान की हस्तकला को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में सक्रिय लोगों की मदद करना था। इस इमारत के भीतर अलग अलग हस्तकलाओं जैसे सोने का पानी चढ़ाने की कला, लकड़ी की वस्तुएं बनाने की कला, संगीत के यंत्र बनाने की कला, दरवाज़े बनाने की कला, चीनी मिट्टी की चीज़ें बनाने की कला के लिए वर्कशाप बनाई गई है। यहां पहुंचकर सैलानी यह देख सकते हैं कि इन कलाओं का महत्व कितना है और इन कलाओं के शानदार उत्पाद कैसे तैयार होते हैं।

कुर्दिस्तान के अलग अलग प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में आबीदर नेशनल पार्क का नाम लिया जा सकता है। जो आबीदर पहाड़ के आंचल में बनाया गया है। सनंदज के क़रीब स्थित यह पहाड़ 2500 मीटर ऊंचा है। यह पार्क 1300 हेक्टेयर पर फैला है जिसे इलाक़े से सबसे बड़े पार्कों में गिना जाता है। यहां सैर सपाटे की जगहें, कसरत की जगहें, लाइब्रेरी, मस्जिद, रेस्टोरेंट और मन को मोह लेने वाले सुदंर दृष्य हैं। इस पार्क के भीतर कई बाग और जलसोते हैं। यहां के बड़े बाग़ों में से एक अमीरिया बाग़ है जिसके भीतर बग़ैर छत का सबसे बड़ा सिनेमा हाल है। आबीदर पहाड़ से बहने वाले बहुत सारे जलसोते पहाड़ के आंचल में स्थित बाग़ों और खेतों को हरा भरा रखते हैं जबकि इनका कुछ पानी सनंदज में रहने वालों के पेयजल के रूप में इस्तेमाल होता है। इस पहाड़ के ऊपर से सनंदज शहर का नज़ारा बहुत ख़ूबसूरत होता है। सैलानी पहाड़ पर जाकर घंटों समय बिताते हैं और वहां से सनंदज शहर की निहारते हैं।

 

 आपके लिए हमारा सुझाव यह है कि इस सुंदर जगह पहुंचकर सुकून के कुछ पल गुज़ारने का मौक़ा अगर मिले तो इसे हरगिज़ हाथ से जाने न दीजिए।

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