अमेरिका पर विश्वास नहीं किया जा सकता
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका हवा में बातें करता है कि वह ईरान से लेन-देन करेगा परंतु व्यवहारिक रूप से वह ईरानोफोबिया की नीति पर अमल करके विदेशी बैंकों के ईरान के साथ लेन-देन में बाधा बन रहा है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने 27 अप्रैल को मज़दूर दिवस के उपलक्ष्य में हज़ारों मज़दूरों से भेंट में कहा कि अमरीका धोखा देता है और शिकवा भी करता है कि हमें उसके बारे में क्यों भ्रांति है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी अधिकारी का कहना है कि प्रतिबंधों के मूल स्वरूप को बाक़ी रखा गया है ताकि विदेशी पूंजि निवेशक डरें और पूंजी निवेश के लिए ईरान न आएं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमेरिकी दावा करते हैं कि ईरान आतंकवाद का समर्थक है और संभव है कि आतंकवाद के समर्थन के कारण उस पर प्रतिबंध लगाया जाये।
वरिष्ठ नेता ने ईरान की परमाणु वार्ता के समर्थन के साथ वार्ता के भविष्य और अमेरिका की ओर से की जाने वाली कार्यवाहियों के प्रति संदेह जताया था और कहा था कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बारम्बार अमेरिकी सरकार को वर्चस्ववादी बताया और बल देकर कहा था कि अमेरिका से होशियार रहना चाहिये।
इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद अमेरिकी कर्मपत्र ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियों से भरा पड़ा है।
अमेरिका की शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां परमाणु मामले तक सीमित नहीं हैं बल्कि दूसरे क्षेत्रों में भी अमेरिका की कार्यवाहियां ईरानी राष्ट्र से उसकी शत्रुता की परिचायक हैं।