Jun ०८, २०१६ १३:२५ Asia/Kolkata

सअदाबाद संग्रहालय वास्तव में वह महल है जो इस्लामी क्रांति की सफलता के 50 वर्ष पहले तक आम लोगों के लिए बंद था और वहां पर कोई आम इंसान जा ही नहीं सकता था। 

सअदाबाद संग्रहालय वास्तव में वह महल है जो इस्लामी क्रांति की सफलता के 50 वर्ष पहले तक आम लोगों के लिए बंद था और वहां पर कोई आम इंसान जा ही नहीं सकता था।  यह ईरान के तानाशाह शासक का निवास स्थल था।  इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद इसे संग्रहालय बना दिया गया इस प्रकार आम लोग इसे निकट से देख सकते हैं।

 

तेहरान का सअदाबाद नामक महल, जो अब एक बड़े सांस्कृतिक काम्पलेक्स के रूप में है, अलबुर्ज़ पर्वत के आंचल में स्थित है।  यह महल हरेभरे क्षेत्र दरबंद के निकट स्थित है जो उत्तरी तेहरान का भाग है।  इसका क्षेत्रफल लगभग तीन हज़ार हेक्टर है।  सअदाबाद सांस्कृतिक काम्पलेक्स, उत्तर में अलबुर्ज़ पर्वत से मिला हुआ है जबकि पूर्व में यह गुलाबदर्रे नामक घाटी से मिला है।  इसका पश्चिमी भाग वेलंजक से और दक्षिणी भाग तजरीश से मिला हुआ है।

 

क़ाजार शासनकाल के दौरान यह क्षेत्र, इस शासन श्रंखला के शासकों का गर्मियां गुज़ारने का स्थल हुआ करता था।  सन 1920 के विद्रोह के बाद पहलवी प्रथम के निवास स्थल के रूप में इसके क्षेत्रफल में वृद्धि हुई।  बाद में विभिन्न अवसरों पर इस क्षेत्र में 18 महलों का निर्माण किया गया जिनमें कुछ छोटे थे तो कुछ बड़े।  जिस क्षेत्र में सअदाबाद महल स्थित है वह बहुत ही हराभरा और सुन्दर क्षेत्र है।

 इस काम्पलेक्स के भीतर जितने भी महल बने हुए हैं उनमें सुख-सुविधा के हर प्रकार के साधन मौजूद हैं।  इस संग्रहालय में ईरान तथा यूरोप की सांस्कृतिक धरोहरें रखी हुई हैं।  इसमें से कुछ धरोहरें तो वास्तव में वे उपहार हैं जिन्हें विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों या गणमान्य लोगों ने ईरान को दिया था किंतु ईरान के तानाशाह शासक शाह ने इसे अपनी संपत्ति बना रखा था।  ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद इस क्षेत्र में स्थित सारे महल, संग्रहालय में परिवर्तित कर दिये गए।

 

सअदाबाद सांस्कृतिक काम्पलेक्स में लगभग 180 हेक्टर प्राकृतिक जंगल है जिसके भीतर झरनें, फ़व्वारे, बाग़ और घने पेड़ों से ढकी सड़कें हैं।  इनकी सुन्दरता ने इस क्षेत्र को एक अद्वितीय पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित कर दिया है।  सअदाबाद संग्रहालय के बाग़ों में विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौघे पाए जाते हैं।  इनमें से कुछ तो बहुत ही दुर्लभ हैं जिन्हे विदेश से ईरान लाया गया है।  बाग़ की शोभा बढ़ाने के उद्देश्य से इन दुर्लभ प्रजाति के पौधों को यहां पर लगाय गया है।  वैसे तो सअदाबाद संग्रहालय का बाग़ बहुत सुन्दर और देखने योग्य है किंतु बसंत के मौसम में इसमें विशेष प्रकार का आकर्षण पाया जाता है।  जो लोग यहां पर इसे देखने आते हैं उनकी सुविधा के लिए पुस्तकालय, प्राचीन प्रमाणों का संग्रहालय, ख़लीजे फ़ार्स नामक सामूहिक केन्द्र, सिनेमाहाल, नमाज़ख़ाना और इसी प्रकार की कई अन्य इमारतें बनाई गई हैं।

 

जब कोई भी व्यक्ति इस संग्रहालय को देखने जाता है तो सबसे पहले उसके मन में यह बात आती है कि किस प्रकार से पहलवी शासकों ने ईरान की सांस्कृतिक धरोहरों की लूटमार की थी।  संग्रहालय को देखने के बाद इस बात का आभास होता है कि ईरान की न जाने कितनी बहुमूल्य एवं दुर्लभ वस्तुओं के स्थान पर अब वहां पर विदेशी उपहार रखे हुए हैं जो वास्व में बहुत मंहगे हैं किंतु वे कभी भी ईरान की प्राचीन दुर्लभ वस्तुओं का स्थान नहीं ले सकते।  सअदाबाद कांप्लेक्स में बने हुए महलों में सफेद और हरे महलों को विशेष महत्व प्राप्त है।  आइए हम इन दोनों महलों के बारे में कुछ जानते हैं।

 

राष्ट्रीय संग्रहालय नामक महल, सअदाबाद संग्रहालय का सबसे बड़ा महल है।  क्योंकि इसका रंग सफेद हैं इसलिए इसे सफेद महल कहा जाता है।  इसका बाहरी हिस्सा संगमरमर से बना हुआ है और इसे जर्मनी के महलों की शैली पर बनाया गया है।  सफेद महल के भीतर ईरानी वास्तुकला का प्रयोग किया गया है।

 

 इस महल में जिन संगमरमर के पत्थरों का प्रयोग किया गया है उनको ईरान के दक्षिण पश्चिम में स्थित केरमान की खानों से निकाला गया है।  यह महल 2164 वर्गमीटर में स्थित है।  महल के भीतर की इमारत के निर्माण में ईरानी और यूरोपीय वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है।  इसकी छतों पर किया गया प्लासटर आफ पेरिस का काम शुद्ध ईरानी है जो इमारत का सबसे आकर्षक भाग है।  इस महल में बिछे और रखे हुए हुए सुन्दर क़ालीन, ईरान के क़ालीन बुनने की उत्तम कला को दर्शाते हैं।  विगत में इस महल को निवास स्थल, मनोरंजन स्थल, कार्यालय और गर्मियों में ठहरने के स्थल के रूप में प्रयोग किया जाता था।

 

महल में बने बड़े हालों को उसी शैली पर सजाया गया है जैसे पिछली शताब्दियों में यूरोपीय महलों को सजाया जाता था।  इस उद्देश्य से महल में मौजूद बहुत सी वस्तुओं की ख़रीदारी फ़्रांस से की गई है।  जैसे इसमें बिछे हुए सोफे और उनके कवर उसी शैली के हैं जैसे फ़्रांसीसी राजाओं के महलों में हुआ करते थे।  यहां पर रखे बर्तन भी फ़्रांसीसी कारख़ानों के बने हुए हैं।  इसके अतिरिक्त म्यूज़िमय में जो चीज़ें है उनहें विदेशी और ईरानी लोगों ने पहलवी दरबार को उपहार में दिया था।  सन 1981 में “काख़े मूज़े मिल्लत” नामक संग्रहालय को आम लोगों के लिए खोल गया था।  इस महल की विशेषता यह है कि इसमें इस बात का पूरा प्रयास किया गया है कि महल की पुरानी शैली को उसी ढंग से सुरक्षित रखा जाए।

 

 इस महल के जवाहेरात को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से उन्हें ईरान के नैश्नल बैंक के ख़जाने में रख दिया गया है।  इसी प्रकार के महल की कुछ दुर्लभ एवं मंहगी पेंटिग्स को कला संग्रहालय में जबकि मंहगे क़ालीनों को क़ालीन संग्रहालय में पहुंचा दिया गया है ताकि उन्हें लोग देख सकें और सुरक्षित रह सकें।

 

शहवंद नामक महल निःसन्देह, ईरान में पाए जाने वाले महलों में सबसे ख़ूबसूरत महल है।  इसकी बाहरी दीवारों को बहुत ही सुन्दर ढंग से पत्थरों से सजाया गया है।  यह महल सअदाबाद काम्प्लेक्स के उत्तरी छोर पर ऊंचाई पर बना हुआ है।

 

काख़े मूज़े सब्ज़ अर्थात हरे रंग का महल, रज़ा ख़ान के रहने का स्थल था।  इसका निर्माण कार्य सन 1922 में आरंभ हुआ था और सन 1928 में यह बनकर पूरा हुआ था और उसी समय से इसका प्रयोग आरंभ हुआ।  इस महल का आधारभूत ढांचा लगभग 1400 वर्गमीटर में फैला हुआ है।  इसको देखकर सरलता से इस बात का आभास लगाया जा सकता है कि सअदाबाद कांप्लेक्स में बने अन्य महलों की तुलना में यह कुछ भिन्न है।

 इससे पता चलता है कि इस महल को बनाने और इसको सुसज्जित करने में कारीगरों और कलाकारों ने विशेष ध्यान दिया है।  पूरे महल में सामान्तः ईरान की पारंपरिक वास्तुकला शैली का ही प्रयोग किया गया है जो विश्वविख्यात है।  हरे महल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।  पहले भाग में जो पहली मंजिल पर है, आईनेकारी का हाल, डाइनिंग हाल और मेहमानख़ान है।

 

दूसरा भाग इसका निचला हिस्सा है जिसकी मरम्मत सन 1972 में करवाई गई थी।  यहां पर सम्मेलनों का आयोजन किया जाता और विशेष अतिथियों से भेंट की जाती है।

हरे महल का एक अन्य सुन्दर भाग उसका आईनाकारी वाला हाल है।  महल की सीढियां चढने के बाद यह शुरू होता है।  यह इतना सुन्दर है कि इसको देखकर लोग अचंभित हो जाते हैं।  इसकी छत गुंबदाकार है जिसपर बहुत ही सुन्दर ढंग से आईनाकारी की गई है।

 

हरे महल या हरे म्यूज़ियम का एक अन्य आकर्षक भाग, वे कमरे हैं जिनमें वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।  इनमें अंदरूनी भाग को बड़ी ही निपुर्णता से चांदी के काम से सजाया गया है।  इसको उस्ताद सनीअ ख़ातम और उनके शिष्यों के एक गुट ने बड़ी मेहनत से बनाया है।  कहते हैं कि एक छोटी सी वस्तु पर चांदी का काम करने के लिए बहुत अधिक समय और परिश्रम की आवश्यकता होती है।  एसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि इन कमरों को उस्ताद सनीअ ने कितनी मेहनते से सजाया होगा।

  इसके साथ ही इन कमरों में जगह-जगह पर सोने के पानी का काम भी किया गया है जिसे हुसैनज़ादे बेहज़ाद ने अंजाम दिया है।  वास्तव में उनका काम प्रशंसनीय है।  इस म्यूज़ियम में रखी हुई चीज़ें, जो वास्तव में पहले महल की वस्तुएं हुआ करती थीं, बहुत ही मंहगी और दुर्लभ हैं जिनकी ख़रीदारी यूरोप से की गई थी।  इनमें सोफासेट, शमादान, फ़ानूस, घड़ियां, फूलदान और इसी प्रकार की चीज़ों का नाम लिया जा सकता है।