Jul २३, २०१६ १६:१५ Asia/Kolkata

हम चर्चा कर रहे हैं हिंसा और आतंकवाद के बारे में अनेक प्रकार की परिस्थितियों से निकलने वाली हिंसा की राह के बारे में।

हालिया दिनों वहाबी इस्लामी प्रचारक ज़ाकिर नाइक का मुद्दा मीडिया में उछला और उनके भाषणों पर रोक लगाने की मांग उठी। यह मांग तब उठी जब बांग्लादेश के एक अख़बार ने यह ख़बर छाप दी कि ढाका आतंकी हमले में लिप्त एक हमलावर ज़ाकिर नाइक के विचारों से प्रभावित था। इस विषय पर भारत में मीडिया के साथ ही सरकारी स्तर पर भी यह मुद्दा उठा और ज़ाकिर नाइक के भाषणों की जांच शुरू हो गई लेकिन बाद में पता चला कि उनके भाषणों में कोई एसा आधार नहीं है जिसके सहारे ज़ाकिर नाइक के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की जा सके।

बहरहाल इससे हटकर यह ज़मीनी सच्चाई है कि जब लोगों और विशेष रूप से युवाओं में हताशा हो और उन्हें यह आभास हो रहा है कि उनके साथ अत्याचार हो रहा है, उनकी क्षमताओं के प्रयोग के लिए उन्हें प्लेटफ़ार्म नहीं मिल रहा है तो उनमें हताशा पनपती है और इस प्रकार की परिस्थितियों में यदि बहकाने वाले लोग भी मौजूद हों तो युवा बड़ी आसानी से बहकावे में आ जाते हैं। डाक्टर ज़ाकिर नाइक के बयानों के लिए यही कहा जाता है कि जहां वह क़ुरआन की आयतों के आधार पर अपना मुद्दा पेश करते हैं वहीं वेदों और बाइबल की वर्सेज़ से भी अपने विचार को साबित करने का प्रयास करते हैं लेकिन कथित रूप से इसी बीच वह आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली बातें भी कह जाते हैं।

जाकिर नाइक

भारत में ज़ाकिर नाइक के अलावा दूसरे भी अनेक नेता हैं जो अपने अपने धर्म के गुरू और संत भी हैं और साथ ही राजनीति में भी अपना विशेष प्रभाव रखते हैं। इसी क्रम में भाजपा नेताओं योगी आदित्यनाथ, उमा भारती, साध्वी प्राची, साक्षी महाराज जैसे अनेक नाम शामिल हैं। यदि ग़ौर किया जाए इन सबसे में अनेक असमानताओं के बीच एक समानता है अतिवादी या कट्टरपंथी होना।

योगी

ज़ाकिर नाइक के बारे में कहा जाता है कि उनके भाषणों में युवाओं को आतंकवाद की प्रेरणा दी जाती है। वैसे ज़ाकिर नाइक इस आरोप का खंडन करते हैं और उनका कहना है कि वह आतंकवाद के लिए युवाओं को प्रेरित नहीं कर रहे हैं।

आरोप लगने के बाद ज़ाकिर नाइक ने एक वीडियो जारी की और मीडिया को आड़े हाथों लिया।

ज़ाकिर नाइक

ज़ाकिर नाइक ने इस बात पर मीडिया की कड़ी आलोचना की कि वह जांच पड़ता के बग़ैर ही आरोप लगाना शुरू कर देता है।

ज़ाकिर नाइक

यह भी सूचना है कि महाराष्ट्र स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने अपनी जांच में जाकिर नाइक को क्लीन चिट दे दी है। विभाग ने कहा है कि फिलहाल जाकिर नाइक पर कोई केस नहीं बनता है, जिसके बाद जाकिर के मुंबई लौटने का रास्ता साफ हो गया है।

एसआईडी की तरफ से क्लीन चिट मिलने के बाद साफ हो गया है कि अब महाराष्ट्र पहुंचने के बाद जाकिर को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। एसआईडी ने जाकिर के यूट्यूब पर भाषणों की जांच के बाद ये क्लीन चिट दी है। एक अधिकारी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि जाकिर के खिलाफ कोई केस नहीं बनता है, सिवाए धार्मिक भावनाओं को आहत करने का, लेकिन अब इसका भी कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है। विभाग का कहना है कि जाकिर की गतिविधियों पर नजर बनाई जा रही है। इस क्लीन चिट के बाद मीडिया चैनलों को अपने रवैए पर एक बार फिर पुनरविचार करने की ज़रूरत है जो आनन फ़ानन में मीडिया ट्रायल शुरू कर देता है।

बहरहाल यह जांच का विषय है और संबंधित एजेंसियां इस मामले की जांच कर भी रही हैं इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि जाकिर नाइक के 'धार्मिक भाषणों' की आलोचना करना या फिर इसे ट्रोल करना आसान हो सकता है, लेकिन कानून की नज़र में जाकिर को हेट स्पीच का अपराधी साबित करना मुश्किल साबित होगा।

इंरटनेट से मिलने वाली जानकारी के अनुसार जाकिर नाइक एक प्रशिक्षित डॉक्टर हैं और महाराष्ट्र के रत्नागिरि के एक अमीर परिवार से संबंध रखते हैं, किंतु उनकी असली पहचान इस्लाम के दार्शनिक, ऐतिहासिक पक्ष और अलग-अलग पंथों के बारे में उनकी व्याख्या से बनी है। नाइक 'फूड प्रोसेसिंग" के एक बड़े कारोबारी हैं। मछली पालन, आम के बगीचे और कोल्ड स्टोरेज के मालिक जाकिर नाइक की 'नाइक एंड कंपनी" बड़ा कारोबार करने वाली कंपनियों में गिनी जाती है।

पेशेवर डॉक्टर नाइक की सबसे बड़ी ताकत उनकी 'स्मृति" है। उन्हें कुरान की आयतें और हदीसें जबानी याद हैं और टीवी कार्यक्रम में यही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। जाकिर नाइक आर्थिक रूप से और अंतरराष्ट्रीय समर्थन की दृष्टि से सऊदी अरब से जुड़ा हुए हैं। सऊदी अरब की सरकार ने उन्हें अपने मुल्क के सबसे बड़े खिताब से नवाजा है। साथ ही नाइक शुद्ध इस्लाम के भी पैरोकार हैं, जिसके कारण यूरोप, अमेरिका, इंडोनेशिया और मलेशिया में उनका बहुत बड़ा समर्थक वर्ग है। एक हफ्ते पूर्व बांग्लादेश की राजधानी ढाका के रेस्तरां में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले एक आतंकवादी के फेसबुक पोस्ट से पता चला कि वह नाइक के विचारों से प्रेरित था। मुंबई पुलिस को 10 वर्ष पूर्व 2006 में जाकिर नाइक की गतिविधियों की जानकारी मिली थी। उस वक्त मुंबई में हुए रेल धमाकों के एक आरोपी ने स्वीकार किया था कि वह नाइक के विचारों का समर्थक है। तब नाइक से भी इस सिलसिले में पूछताछ की गई थी। अब ताजा घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र सरकार ने जाकिर नाइक के भाषणों की सैकड़ों सीडी, वीडियो और टीवी पर दिए गए भाषणों को जांचने का आदेश दिया है साथ ही उसे मिलने वाले धन के स्रोत का पता लगाने के लिए भी कहा गया है।

दो दशक पहले जब देश में सैटेलाइट चैनलों की शुरुआत हुई तो धीरे-धीरे मनोरंजन, खेल, संगीत और न्यूज़ चैनलों के साथ-साथ अनेक धार्मिक चैनल भी शुरू हो गए। हिंदू धर्म-संस्कृति पर केंद्रित विभिन्न् चैनलों के साथ-साथ इस्लाम के बारे में भी चैनल अस्तित्व में आए। इनमें जाकिर नाइक का पीस टीवी भी  है।  टीकाकार यह मानते हैं कि दोनों ही धर्मों के चरमपंथी ना केवल नफरत फैला रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे के कारण अपना प्रभाव क्षेत्र भी बढ़ा रहे हैं। ऐसे में यदि नाइक के मामले में ठोस कार्रवाई होती है तो सरकार फिर से अपना रुतबा बढ़ा पाएगी लेकन यह ज़रूरी है कि कार्यवाही दूसरे कट्टरपंथी प्रचारकों पर भी ज़रूर हो। यह बात कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने भी कही है। उन्होंने कहा कि जाकिर नाइक पर जांच की बात तो सही है, लेकिन दूसरे लोगों पर जांच क्यों नहीं।