Aug ०१, २०१६ १३:३८ Asia/Kolkata
  • शनिवार - पहली अगस्त

पहली अगस्त सन 1648 ईसवी को स्वीज़रलैंड की स्वतंत्रता को औपचारिकता दी गयी।

आज के दिन को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। 1618 से 1648 ईसवी तक चलने वाली योरोप की लड़ाई के दौरान इस देश ने अपनी निष्पक्षता को सुरिक्षत रखा। अन्तत: वेस्टफ़ॉली समझौते में जो इस लड़ाई के समाप्त होने पर हुआ, स्वीज़रलैंड की स्वतंत्रता को औपचारिकता दी गयी। 41 हज़ार 293 वर्गकिलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह देश योरोप महाद्वीप के मधय में स्थित है। जर्मनी, फ़्रांस डटली और ऑस्ट्रिया इसके पड़ोसी देश हैं।

  • 1 अगस्त सन् 1498 को प्रसिद्ध खोजी नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस वेनेज़ुएला के इस्ला सांता में उतरा।
  • 1 अगस्त सन् 1648 को स्वीज़रलैंड की स्वतंत्रता को औपचारिकता दी गयी और आज के दिन को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया।
  • 1 अगस्त सन् 1831 को नए लंदन ब्रिज को यातायात के लिए खोल दिया गया।
  • 1 अगस्त सन् 1883 को ग्रेट ब्रिटेन में अंतर्देशीय डाक सेवा शुरू की गयी।
  • 1 अगस्त सन् 1894 को पहला चीन और जापान युद्ध शुरू हुआ।
  • 1 अगस्त सन् 1914 को जर्मनी ने प्रथम विश्व युद्ध की शुरूआत में रूस के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा की।
  • 1 अगस्त सन् 1920 को महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की।
  • 1 अगस्त सन् 1936 को तानाशाह शासक एडॉल्फ हिटलर ने बर्लिन में हुये ओलंपिक खेलों की अध्यक्षता की।
  • 1 अगस्त सन् 1947 को भारत और पाकिस्तान के बीच शक्तियों का बंटवारा हुआ।
  • 1 अगस्त सन् 1953 को क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को गिरफ्तार किया गया।
  • 1 अगस्त सन् 1957 को नेशनल बुक ट्रस्ट की स्थापना हुई।
  • 1 अगस्त सन् 1960 को पाकिस्तान की राजधानी कराची से बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया।
  • 1 अगस्त सन् 2006 को जापान ने दुनिया की पहली भूकम्प पूर्व चेतावनी सेवा शुरू की।

पहली  अगस्त सन 1914 ईसवी को जर्मनी द्वारा रूस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा के साथ ही औपचारिक रुप से प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ।  इससे तीन दिन पहले ऑस्ट्रिया की सेना ने इस देश के युवराज की हत्या के बहाने सरबिया पर आक्रमण कर दिया। जर्मनी द्वारा रुस और फिर फ़्रांस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा के साथ ही युद्ध तेज़ी से फैला और जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंग्री, तथा उसमानी शासन एक ओर और दूसरी फ़्रांस ब्रिटेन रुस और सर्बिया डट गये। प्रथम विश्व युद्ध की भूमिका पहले से ही तैयार हो गयी थी युद्ध आरंभ होने से दसियों वर्ष पहले से ही योरोप के शाक्तिशाली देशों के बीच हथियार और उपनिवेशों के विस्तार को लेकर प्रतिस्पर्धा आरंभ हो चुकी थी। साथ ही योरोप में कटटरपंथी राष्ट्रवादी विचारधारा भी सुदृढ़ हो गयी थी। जर्मनी जो एक शक्तिशाली देश बन चुका था प्रथम विश्व युद्ध के आरंभ होने का मुख्य कारण बना। किंतु संयुक्त सेना के साथ अमरीका के भी मिल जाने से योरोप की बड़ी शक्तियों को पराजय का सामना हुआ। यह युद्ध 11 नवम्बर 1918 ईसवी को 90 लाख लोगों के मारे जाने, 2 करोड़ 90 लाख व्यक्तियों के घायल होने और 50 लाख के लापता होने के बाद समाप्त हुआ। जनवरी 1919 में शान्ति समझौता हुआ जिसके आधार पर जर्मनी पर कड़ी शर्ते लाद दी गयीं जो बाद में द्वितीय विश्व युद्ध का एक कारण बनीं।

पहली  अगस्त सन 1975 ईसवी को सोवियत संघ, कैनेडा, अमरिका और अलबानिया को छोड़कर योरोपीय देशों का फिनलैड की राजधानी हेलसिन्की में शिखर सम्मेलन हुआ। यह सम्मेलन युरोपीय सुरक्षा एवं सहकारित सम्मेलन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसका आयोजन सोवियत संघ के नेतृत्व वाले पूर्वी ब्लॉक वाले देशों और अमरीका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक के देशों के बीच तनाव को दूर करना था। इसमें अमरीकी और पश्चिमी योरोपीय देशों ने अपने और पूर्वी ब्लॉक के बीच सीमा को औपचारिकता दी। जवाब में रुस ने भी इन देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का वचन दिया किंतु इस समझौते का कोई विशेष व्यवहारिक परिणाम नहीं निकाला और 1979 ईसवी में रुस की लाल सेना द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर आक्रमण के बाद इस समझौते की उपयोगिता बिल्कुल ही समाप्त हो गयी।

 

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11 मुर्दाद सन 1288 हिजरी शम्सी को साम्राज्यवादी शक्तियों के पिटठूओं ने प्रसिद्ध धर्मगुरु और समाज सुधारक आयतुल्ला फज्लुल्ला नूरी को फॉसी दे दी। वे तेहरान के वरिष्ठ धर्मगुरुओं में गिने जाते थे। उन्होंने न्याय के प्रतीक इस्लामी नियमों के प्रचार के लिए कठिन परिश्रम किये। वे अत्याचारी क़ाजार शासन काल में संविधान संशोधन क्रान्ति  के दौरान मुख्य संघर्षकर्ताओं में थे किंतु इस क्रान्ति की सफलता और संसद के गठन तथा संविधान की रचना के बाद जब उन्होंने संविधान में कुछ गैर इस्लामी धाराओ को शामिल होते देखा तो अपना कड़ा विरोध प्रकट किया तथा धरने पर बैठ गये। जिसके बाद संसद ने सविधान से गैर इस्लामी बातों को निकाला और श्री नूरी ने अपना धर्ना भी समाप्त किया।

 

11 मुर्दाद सन 1367 हिजरी शम्सी को संयुक्त राष्ट्र के तथ्य खोजी दल ने इरान एराक़ का दौरा करके दो रिपोर्टों में घोषणा की कि एराक़ ने ईरान के विरुद्ध कई बार रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया। इसके बावजूद सुरक्षा परिषद ने इराक़ विरुद्ध कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया। संभवत: इसका कार इराक़ के प्राति पश्चिमी देशों विशेषकर अमरीका का व्यापक समर्थन था।

 

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11 ज़िलहिज्जा सन 207 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध मुसलमान इतिहासकार व धर्मगुरु अबू अब्दुल्लाह वाक़ेदी का निधन हुआ। वे पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों के कथनों को एकत्रित करने में विशेष रुचि रखते थे। इसी कारण उन्होंने अपने समय के विद्वानों के माध्यम से पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों को एकत्रित करने के लिए बहुत प्रयास किया। इसी प्रकार वाक़ेदी को इस्लामी जगत के अत्यंत प्राचीन इतिहासकारों में गिना जाता है। पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों और अरबों की विजय के उल्लेख पर आधारित उनकी पुस्तकें इस वास्तविकता की पुष्टि के लिए काफी हैं।

तारीख़े कबीर, अत्तारीख़ वलमग़ाज़ी उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं।