Dec १०, २०१६ १३:०४ Asia/Kolkata
  • रविवार- 13 दिसम्बर

1232, ग़ुलाम वंश के शासक शम्सुद्दीन इल्तुमिश ने दिल्ली सल्तनत की नींव मज़बूत करते हुए ग्वालियर पर निंयत्रण कर लिया।

13 दिसम्बर सन 1870 ईसवी को अफ़्रीक़ा के पश्चिमी क्षेत्रों का अतिग्रहण करने के लिए फ़्रांस के सैन्य हमले आरंभ हुए। 10 वर्ष तक जारी रहने वाले इन हमलों में स्थानीय सरकारों और क़बीलों के प्रतिरोध के कारण दसियों हज़ार फ़्रांसीसी सैनिक मारे गये। परंतु भौगोलिक दृष्टि से इन क़बीलों के बिखरे होने, इस क्षेत्र की सरकारों के बीच आपसी एकता के अभाव साथ ही, फ़्रांस के पास आधुनिक हथियारों के कारण सेनेगल, ज़ाम्बिया, कीनिया और आइवरी कोस्ट पर फ़्रांसीसी सैनिकों का क़ब्ज़ा हो गया और वर्षों तक इन देशों का शोषण हुआ।

13 दिसम्बर सन 1949 को इस्राईल ने अपनी संसद बैतुल मुक़द्दस स्थानान्तरित करने और तेलअबीब के स्थान पर इस नगर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। किंतु इस पर पूरे इस्लामी जगत ने विरोध प्रकट किया। ज़ायोनी शासन बाद में भी यह प्रयास करता रहा है कि मुसलमानों के पवित्र नगर बैतुल मुक़द्दस को अपनी राजधानी बनाए किंतु मुसलमानों ने इसका कड़ा विरोध किया है। फ़िलिस्तीनी जनता एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीन देश के लिए संघर्षरत है जिसकी राजधानी बैतुल मुक़द्दस हो।

13 दिसम्बर सन 1991 को उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर हुए। इस संधि के आधार पर दोनों देश वचनबद्ध हुए थे कि उनमें कोई भी दूसरे पर आक्रमण नहीं करेगा। इस प्रकार से दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों में एक नया अध्याय खुला। कोरिया प्रायद्धीप पहले एक ही देश था किंतु बाहरी शक्तियों ने हस्तक्षेप करके इसका विभाजन कर दिया और आज तक वह एक नहीं हो सके।

13 दिसंबर वर्ष 2003 को इराक़ के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन को बग़दाद के उत्तर में स्थित तिकरीत नगर में उनके गुप्त ठिकाने से गिरफ़्तार किया गया जहां वह छिपा हुआ था। वह मार्च वर्ष 2003 में इराक़ पर अमरीका और ब्रिटेन के आक्रमण के बाद से फ़रार था। जैसे ही सद्दाम की गिरफ़्तारी की सूचना सामने आई ईरान, इराक़ और कुवैत जैसे देशों की जनता प्रसन्नता से झूम उठी। इसका मुख्य कारण यह था कि इन देशों की जनता ने सद्दाम के बहुत से अत्याचारों को सहन किया था। गिरफ़्तारी के बाद अमरीकियों ने सद्दाम को अपने नियंत्रण में रखा ताकि वाईट हाउस और उसके मध्य होने वाले गुप्त समझौते सामने न आएं। सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल, 1937 को बग़दाद के उत्तर में स्थित तिकरीत के पास अल-औजा गांव में हुआ था। वर्ष 1968 में बास पार्टी के मेजर जनरल अहमद हसन अल बक्र ने तख्ता पलट कर सत्ता हथिया ली और सद्दाम हसन अलबक्र की रिवोल्यूशनरी कमांड काउंसिल का प्रमुख सदस्य बन गया सच्ची बात यह है कि वही बक्र की सत्ता का असली कर्ता धर्ता था। 16 जुलाई 1979 को अल बक्र को सत्ता से हटा कर वह स्वयं राष्ट्रपति बन गया। उसने अपने काल में इराक़ी जनता का बहुत दमन किया और अपने विरोधियों का जनसंहार किया। सद्दाम ने अपने काल में ईरान पर युद्ध थोपा जो आठ वर्षों तक जारी रहा। 30 दिसंबर 2006 को उत्तरी बगदाद में स्थानीय समय के अनुसार सुबह 6 बजे इराक में हए दुजैल जनसंहार मामले में उसे फाँसी दी गयी। यह जंसहार वर्ष 1982 में हुआ था।

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23 आज़र सन 1282 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध चिकित्सक और शोधकर्ता डाक्टर महमूद नज्माबादी पैदा हुए। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद रोगियों के उपचार के अतिरिक्त विश्वविद्यालय में शिक्षा देने का क्रम आरंभ किया। डाक्टर महमूद नज्माबादी को ईरानी इस्लामी चिकित्सा में विशेष रुचि थी। इस लिए उन्होंने ज़करिया राज़ी सहित ईरान और इस्लामी जगत के चिकित्सा विज्ञान के प्रसिद्ध शोधकर्ताओं के बारे में विभिन्न पुस्तकें लिखीं और कुछ पुस्तकों का अनुवाद किया। डाक्टर नज्माबादी ने 45 पुस्तकें और लेख लिखे हैं जिन में इस्लामी चिकित्सा की संक्षिप्त समीक्षा, ईरानी चिकित्सा का इतिहास और ईरानी रसाअन शास्त्री, दार्शनिक और चिकित्सक ज़करिया राज़ी का नाम लिया जा सकता है।

 

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27 रबीउस्सानी सन 1327 हिजरी क़मरी को ईरान में संविधान क्रान्ति के प्रति क़ाजार शासक मोहम्मद अली शाह को कड़े विरोध के बाद अंतत: इस क्रान्ति के समर्थन की घोषणा करनी पड़ी। इस प्रकार मोहम्मद अली शाह क्रान्तिकारियों के सामने झुक गये। और उन्होंने संविधान को लागु किए जाने का आदेश संसद भेजा इस प्रकार एक वर्ष के अत्याचारी शासनकाल का अंत हुआ।

 

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