Aug ०४, २०१८ ०१:०० Asia/Kolkata
  • परसी बीश शेली
    परसी बीश शेली

4 अगस्त वर्ष 1792 को ब्रिटेन के प्रख्यात कवि परसी बीश शेली (Percy bysshe shelley) का जन्म हुआ।

वर्ष  1522 ईसवी को राणा उदयसिंह का जन्म हुआ वह मेवाड़ के शासक और महाराणा प्रताप के पिता थे।

वर्ष 1730 ईसवी को सदाशिवराव भाऊ का जन्म हुआ वह भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध एक मराठा वीर थे।

वर्ष 1845 को फ़िरोजशाह मेहता का जन्म हुआ वह भारतीय राजनेता तथा बंबई नगरपालिका के संविधान (चार्टर) के निर्माता थे।

वर्ष 1914 को इंग्लैंड द्वारा जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की गयी।

वर्ष 1924 को इन्दु प्रकाश पाण्डेय का जन्म हुआ वह भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।

वर्ष 1929 को किशोर कुमार का जन्म हुआ वह भारतीय गायक और अभिनेता थे।

वर्ष 1931 को नरेन तमहान का जन्म हुआ वह भारतीय क्रिकेटर थे।

वर्ष 1961 को बराक ओबामा का जन्म हुआ वह अमेरिका के प्रथम अश्वेत एवं 44वें राष्ट्रपति रहे थे।

वर्ष 1997 को मुहम्मद ख़ातेमी द्वारा ईरान के नये राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की गयी।

वर्ष 1999 को चीन ने अमेरिकी सेना के विमानों की नियमित उड़ानों को हांगकांग में उतरने की अनुमति देने से इंकार कर दिया।

वर्ष 2001 को रूस व उत्तरी कोरिया में सामरिक समझौता हुआ।

वर्ष 2004 को 'नासा' ने एल्टिक्स सुपर कम्प्यूटर केसी को कल्पना चावला नाम दिया।

वर्ष 2007 को मंगल ग्रह की खोज के लिए फ़ीनिक्स मार्स लैंडर नामक एक अमेरिकी अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया गया।

वर्ष 2008 को सरकार ने भारतीय जहाजरानी निगम (एससीआई) को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया।

 

4 अगस्त वर्ष 1792 को ब्रिटेन के प्रख्यात कवि परसी बीश शेली (Percy bysshe shelley) का जन्म हुआ। उन्हें बचपन से ही भाषा और साहित्य से विशेष लगाव था। इन क्षेत्रों में उन्होंने अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया। वे प्रेम, मित्रता और स्वतंत्रता जैसी मान्यताओं के समर्थक व प्रचारक थे और इसी कारण वे फ्रांस की क्रांति से अत्यधिक प्रभावित हो गए। परसी शेली का निधन वर्ष 1822 में तीस साल की आयु में अटलांटिक सागर में जहाज़ डूबने के कारण हुआ। एकांत की आत्मा और बादल उनकी महत्वपूर्ण साहित्यिक कविताओं में शामिल है।

 

4 अगस्त सन 1964 ईसवी को दक्षिणी चीन में टोनकन खाड़ी में अमरीका और वियतनाम की युद्धके नौकाओं के बीच युद्ध के दौरान अमरीका को पराजय हुई। अमरीका ने इसी बहाने उत्तरी वियेतनाम के साथ युद्ध आरंभ कर दिया। इससे पहले तक अमरीका उत्तरी वियेतनाम के विरुद्ध दक्षिणी वियेतनाम की सहायता कर रहा था उसने दक्षिणी वियेतनाम को भारी मात्रा में हथियार उपलब्ध कराए थे जिससे दक्षिणी वियतनाम की स्थिति अच्छी हो गयी थी। फिर भी अमरीका ने बड़ी तेज़ी से दक्षिणी वियेतनाम में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई और उत्तरी वियेतनाम की जनता और सैनिकों पर वायु एंव थल आक्रमण आरंभ कर दिया।

उत्तरी वियेतनाम की सेना और जनता ने इस आक्रमण का करारा उत्तर दिया और अमरीका को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। अमरीका में जब वियेतनाम से आने वाले अमरीकी सैनिकों के शवों की संख्या बहुत अधिक हो गयी तो अमरीकी जनता ने प्रदर्शन कर दिया। इस प्रकार से युद्धप्रेमी अमरीकी सरकार को अपने निर्णय में परिर्वतन करना पड़ा और अंतत: 1975 में वाशिंगटन ने अपनी हार स्वीकार की। जिसके बाद अमरीकी सैनिक वियेतनाम से निकले और दक्षिणी तथा उत्तरी वियेतनाम एक बार फिर से मिलकर एक देश बन गये। जिससे इस देश के दो टुकड़े होने के कारण का भी पता चला।

 

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14 ज़िलहिज्जा सन 1415 हिजरी क़मरी को मिस्र के इख़वानुल मुस्लेमीन आंदोलन के नेता डॉक्टर अहमद अल मलत का मक्के में हज करने के बाद देहान्त हो गया। शिक्षा के दौरान वे इख़्वानुल मुसलेमीन आंदोलन के संस्थापक हसन अल बन्ना से परिचित हुए और कुछ ही समय बाद से इस आंदोलन के सक्रिय सदस्य बन गये। 1948 में अरब-इस्राईल युद्ध में डॉक्टर मलत ने मुसलमानों की ओर से लड़ाई के  मोर्चों पर सक्रियता दिखाई। ज़ायोनियों के मुक़ाबले में युद्ध में भाग लेने के अतिरिक्त उन्होंने स्वेज़ नहर को लेकर होने वाले युद्ध में भी ब्रिटेन के विरुद्ध संघर्ष किया।

अफ़ग़ानिस्तान पर रुस के अतिग्रहण के समय उन्होंने अफ़ग़ान जनता की ओर से रुस की लालसेना के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। और सोवियत संघ की सेनाओं के अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकलने तक अफ़ग़ान जनता से उनकी सहकारिता जारी रही।