Aug ०७, २०१६ ०९:५३ Asia/Kolkata
  • फ़्रैन्सिसको पेटरर्क
    फ़्रैन्सिसको पेटरर्क

7 अगस्त सन 1304 ईसवी को इटली के शायर और लेखक फ़्रैन्सिसको पेटर्क का जन्म हुआ।

वे इटली में कला एवं साहित्य के पुनर्जागरण आंदोलन के अगुवाओं में थे। उन्होंने सादा शब्दों में अपने शेरों से बहुत ख्याति प्राप्त की। 1374 ईसवी में पेटर्क का निधन हुआ।

7 अगस्त सन 1938 ईसवी को रूस के लेखक थिएटर ड्रामों के निदेशक इस्टानिस्ला विस्की का निधन हुआ। वे 1863 ईसवी में पैदा हुए। इस रूसी कलाकार ने दो और कलाकारों के साथ मिलकर 1888 में साहित्य कला समिति बनाई। उन्होंने विश्व के प्रसिद्ध उपन्यासकारों की रचनाओं को बड़े ही हल्के फुल्के अंदाज़ में ड्रामे का रुप देकर प्रद्रशित किया।

  • 7 अगस्त सन् 1668 में प्रसिद्ध न्यूटन ने ट्रिनीटी कॉलेज कैंब्रिज से मास्टर डिग्री हासिल किया।
  • 7 अगस्त सन् 1905 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया।
  • 7 अगस्त सन् 1944 में 51 फीट लंबाई, 8 फीट ऊंचाई और पांच टन के वज़न वाले पहले इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर का निर्माण हुआ।
  • 7 अगस्त सन् 1990 में अमेरिका ने सऊदी अरब में सेना तैनात कर ऑपरेशन डेज़र्ट शील्ड की शुरूआत की।
  • 7 अगस्त सन् 1996 को अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा 13 हज़ार वर्ष पूर्व पृथ्वी पर गिरे उल्का पिंड के अवशेषों से मंगल ग्रह पर एक कोशिका वाले जीवों के होने की संभावना का पता चला।
Stanislavski_Constantin

7 अगस्त सन 1941 ईसवी को भारत के प्रसिद्ध लेखक शायर और दार्शनिक रविंद्र नाथ टैगोर का निधन हुआ। वे 1861 ईसवी में कोलकत्ता में पैदा हुए। टैगोर ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका के साथ ही लेखन और शायरी भी जारी रखी। उनकी रचनाओं में धार्मिक और दार्शनिक विचारों को मिला जुलाकर पेश किया गया है। 1913 में उन्हें साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी बहुत से पुस्तकों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है। उन्होंने ही भारत का राष्ट्रीय गान लिखा है।

 

Rabindranath_Tagore

7 अगस्त सन 1960 ईसवी को अफ़्रीक़ा महाद्वीप के देश आइवरी कोस्ट को फ़्रांस के अधिकार से स्वतंत्रता मिली। 16वीं शताब्दी में इस देश पर पुर्तगाल ने अधिकार किया किंतु 1891 में ईसवी में फ़्रांस ने इस देश को अपना उपनिवेश बना लिया अंतत: 1960 में इस देश को स्वतंत्रता मिली। इस देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है।

आइवरी कोस्ट का क्षेत्रफल तीन लाख 32 हज़ार 463 वर्ग किलोमीटर है यह अफ़्रीक़ा महाद्वीप के पश्चिमी भाग में एटलांटिक महासागर के तट पर स्थित है।

7 अगस्त सन 1982 ईसवी को अमरीका लेबनान और फ़िलिस्तीन के स्वतंत्रता संगठन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता लेबनान की राजधानी बैरुत में हुआ। जिसमें उक्त संगठन के सैनिकों को बैरुत से बाहर निकलने की बात कही गयी थी।

1982 में ज़ायोनी शासन द्वारा लेबनान पर व्यापक आक्रमण के बाद जो लेबनान में रह रहे फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं को बाहर निकालने के उददेश्य से हुआ था, यह समझौता किया गया। ज़ायोनी शासन की सेना ने इस आक्रमण में अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया। इसके बावजूद लेबनानी और फ़िलिस्तीनी सैनिकों ने 80 दिनों तक प्रतिरोध जारी रखा। अंतत: पी एल ओ के अध्यक्ष यासिर अरफ़ात लेबनान से 12 हज़ार फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं को निकालने और उन्हें आठ विभिन्न देशों में भेजने पर सहमत हुए। हालॉकि इन सैनिकों का लेबनान से बाहर निकलना पी एल ओ के लिए एक बड़ा आघात था और इसी से तेल अबीब के सामने पी एल ओ के झुकने की भूमिका प्रशस्त हुई किंतु इससे पहले ज़ायोनी शासन को भी फ़िलिस्तीनी और लेबनानी संघर्षकर्ताओं ने ज़ोरदार टक्कर दी और इस अवैध शासन को भारी हानि उठानी पड़ी और वर्ष 2000 में इसे दक्षिणी लेबनान से बाहर निकलना पड़ा।

 

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सत्रह मुर्दाद वर्ष 1371 हिजरी शमसी को वर्तमानकाल के सबसे बड़े शीया धर्मगुरुओं में से एक, आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अबुल क़ासिम मूसवी ख़ूई का 96 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उनका जन्म ईरान के उत्तर पश्चिमी नगर ख़ुए में हुआ था और वे बचपने में ही अपने पिता के साथ ज्ञानार्जन के लिए इराक़ के पवित्र नगर नजफ़ चले गए। विभिन्न इस्लामी ज्ञानों में दक्षता प्राप्त करने के बाद वे युवाकाल में ही इजतेहाद के दर्जे तक पहुंच गए। उनकी लिखी हुई पुस्तकें इस समय भी इस्लामी धार्मिक केंद्रों में पढ़ाई जाती हैं। अलबयान फ़ी तफ़सीरिल क़ुरआन, जवाहेरुल उसूल, मस्बाहुल फ़ेक़ह और मुन्तख़बुर्रसाएल उनकी प्रख्यात पुस्तकों में शामिल हैं। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ूई इस्लामी जगत की समस्याओं पर विशेष ध्यान देते थे उन्होंने फ़िलिस्तीन समस्या के संबंध में एक फ़तवा जारी करके, फ़िलिस्तीन की रक्षा और बैतुलमुक़द्दस की स्वतंत्रता की आवश्यकता पर बल दिया।

 

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17 ज़िलहिज्जा सन 790 ईसवी को मिस्र के विख्यात मुसलमान धर्मगुरु व कुरआन के विवरणकर्ता मोहिबुद्दीन सराई का काहेरा में जन्म हुआ। इस विद्वान ने अपना पूरा जीवन लिखने पढ़ने और लोगों के प्रशिक्षण में बिताया। उन्हें इस्लामी विषयों का पूरा ज्ञान था। अरबी साहित्य, तफसीर अर्थात कुरआन का विवरण तर्कशास्त्र हदीस और उसूल में उन्हें विशेष रुप से दक्षता प्राप्त थी।

वे काहेरा की पाठशालओं में पढ़ाने के अपने विशेष अंदाज़ के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी क्लास में बहुत से वरिष्ठ शिक्षक, बुद्धिजीवी और प्रतिष्ठित लोग भाग लेते थे। उनकी पुस्तकों में अन्नेहाया का नाम बहुत जाना पहचाना है।