Aug ०८, २०१६ १६:०८ Asia/Kolkata

सऊदी अधिकारी, जो आम दिनों में उमरा करने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, किस प्रकार वे हज के समय हाजियों की भारी संख्या को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

पिछले कुछ दिनों के दौरान सऊदी अरब में जो घटनाएं घटी हैं, उससे स्पष्ट होता है कि यह देश पहले से भी अधिक अशांत हो गया है। 4 जुलाई को एक आत्मघाती हमलावर ने मदीने में मस्जिदुन्नबी के निकट ख़ुद को धमाके से उड़ा लिया, जिसके कारण 6 लोगों की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आत्मघाती हमलावर मस्जिद में घुसना चाहता था, जिसमें वह सफल नहीं हो सका। हालांकि इससे पहले तकफ़ीरी आतंकवादी अनेक मस्जिदों में हमले कर चुके हैं, लेकिन मुसलमानों के दूसरे सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मस्जिदुन्नबी में विस्फ़ोट के प्रयास से पता चलता है कि तकफ़ीरी धार्मिक स्थलों का सम्मान नहीं करते। इस धमाके के साथ ही एक दूसरे आत्मघाती हमलावर ने सऊदी अरब के क़तीफ़ शहर में शिया मुसलमानों की मस्जिद में हमला करने का प्रयास किया। इस हमलावर को मस्जिद की सुरक्षा करने वाले युवकों ने भीतर जाने से रोक दिया, जिसके बाद उसने ख़ुद को मस्जिद के बाहर ही धमाके से उड़ा लिया और नमाज़ियों को कोई नुक़सान नहीं पहुंचा। पिछले कुछ वर्षों के दौरान शिया मुसलमानों की मस्जिदों में कई आत्मघाती हमले हुए हैं, जिसमें बड़ी संख्या में शिया मुसलमान शहीद हुए हैं। लोगों को सऊदी अरब के सुरक्षा बलों पर विश्वास नहीं है, इसलिए वे ख़ुद ही अपने धार्मिक स्थलों की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं।

 

4 जुलाई ही को एक दूसरा आत्मघाती हमला पवित्र शहर मक्का से पश्चिम में स्थित जेद्दाह में अमरीकी वाणिज्य दूतावास के निकट हुआ, जिसके कारण वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा पर तैनात दो गार्डों की मौत हो गई।

 

आतंकवादी हमले सऊदी अरब में अशांति के सिक्के का एक रुख़ है। इस सिक्के का एक दूसरा रुख़ हज के आयोजन में सऊदी अधिकारियों की अयोग्यता है। 2 जुलाई को मक्के में मस्जिदुल हराम के निकट भारी भीड़ के कारण, उमरा करने वाले 18 श्रद्धालु घायल हो गए। उसके एक दिन बाद श्रद्धालुओं की बस उलटने से 13 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 36 अन्य घायल हो गए। प्रभावित होने वाले अधिकांश श्रद्धालु मिस्री और सूडानी थे। इस प्रकार की घटनाओं के बावजूद, मक्का के मेयर ख़ालिद अल-फ़ैसल ने हमेशा की भांति उमरा के आयोजन को सफल बताया और सऊदी शाह और युवराज को बधाई दी।

 

औपचारिक एवं प्रचारिक घोषणाओं के बावजूद, सऊदी अरब में अशांति बढ़ी है। उमरे के दिनों में इस देश में धार्मिक स्थलों पर बहुत अधिक भीड़ नहीं होने के बावजूद, सऊदी अधिकारी श्रद्धालुओं को सुरक्षा प्रदान करने में अक्षम हैं। इसलिए वे हज के दौरान किस प्रकार, हाजियों की भारी भीड़ को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। विशेष रूप से ऐसी स्थिति में कि जब पिछले कई वर्षों से आले सऊद इसमें पूर्ण रूप से असफल रहे हैं।

 

पिछले वर्ष हज के दौरान सऊदी अधिकारियों की अक्षमता के कारण, विभिन्न घटनाओं में लगभग 8 हज़ार हाजियों की जान चली गई। केवल मिना त्रासदी में 7 हज़ार से अधिक हाजी अपनी जान से हाथ धो बैठे। सऊदी अधिकारियों के ग़लत प्रबंधन पर ठोस सुबूतों के बावजूद अभी तक उन्होंने इसकी ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं की है। आश्चर्य की बात यह है कि अपने अपराधों पर पर्दा डालने के लिए सऊदी अधिकारियों ने मिना त्रासदी के लिए ईरानी हाजियों को ज़िम्मेदार ठहराया, जबकि इस हादसे में 464 ईरानी हाजियों की जान चली गई। लेकिन अब जबकि उमरे के दौरान कोई ईरानी वहां मौजूद नहीं है, इन घटनाओं की ज़िम्मेदारी वे किस के कांधों पर डालेंगे।

 

मिना त्रासदी के तुरंत बाद, कुछ विश्लेषकों ने आले सऊद परिवार में मचे घमासान को इसका कारण बताया था और हालिया हिंसक घटनाओं को भी इसका ही परिणाम क़रार दिया है। राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अमीन हतीत का कहना है कि हम जानते हैं कि गृह मंत्रालय यानी सऊदी अरब की आंतरिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी युवराज और गृह मंत्री मोहम्मद बिन नायफ़ के ज़िम्मे है। दूसरी ओर रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन सलमान सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हालिया घटनाओं पर नज़र डालने से ऐसा प्रतीत होता है कि जो कोई इन घटनाओं के पीछे है, वह गृह मंत्री नायफ़ को बदनाम करना चाहता है। इसका मतबल है कि मोहम्मद बिन सलमान, मोहम्मद बिन नायफ़ को बदनाम करना चाहते हैं और उन्हें असफल दिखाना चाहते हैं। अगर यह सही है तो अब तक हज़ारों हाजी सऊदी राजकुमारों की सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा की भेंट चढ़ चुके हैं और संभव है इस संख्या में अभी और वृद्धि हो।

 

हालिया आतंकवादी घटनाओं के बाद कुछ सऊदी अधिकारियों के बयानों में एक दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु सामने आया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि सऊदी अरब के वहाबी युवक हिंसा और आतंकवाद की ओर आकर्षित हो रहे हैं। सऊदी शाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ ने चेतावनी दी है कि सऊदी युवाओं द्वारा चरमपंथ का समर्थन और भटकाने वाले बयानों का अनुसरण मुस्लिम समुदाय के लिए बड़ी चुनौती है। मस्जिदुन्नबी के इमामों ने भी कुछ सऊदी युवाओं में चरमपंथ एवं बढ़ते ख़तरनाक रुझानों के प्रति चेतावनी दी है। शेख़ सलाह बिन मोहम्मद अलबदीर ने पवित्र शहर मदीने में पवित्र मस्जिदुन्नबी के निकट आतंकवादी हमले के बारे में कहा है कि युवाओं को अपवित्र विचारों के प्रति चेता रहा हूं और समाज से मांग करता हूं कि इस प्रकार के विचार रखने वालों को शरण न दे। जो कोई भी मस्जिदुन्नबी में नमाज़ियों की हत्या और सुरक्षा बलों की हत्या या नमाज़ियों को भयभीत करने की ग़लती करता है तो वह काफ़िर है।

 

सऊदी अरब में वहाबी विचारधारा का आधिपत्य है और सऊदी मीडिया में हिंसा, चरमपंथी एवं कट्टरपंथी विचारों का ख़ूब प्रचार किया जाता है। 18वीं शताब्दी के मध्य में सऊदी अरब में आले सऊद के सत्ता पर क़ब्ज़ा करने के बाद से वहाबी मत ने शिया और सुन्नी आम मुसलमानों की हत्याएं की हैं और बड़े पैमाने पर अत्याचार किए हैं। तेल की मोटी कमाई से उन्होंने विभिन्न देशों में घृणास्पद विचारों का प्रचार किया। अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबान, अल-क़ायदा, लश्करे झंगवी, इराक़, सीरिया और लीबिया में दाइश, नुस्रा फ़्रंट, नाइजीरिया में बोको हराम एवं अन्य इस्लामी देशों में दूसरे चरमपंथी एवं आतंकवादी गुट वहाबी समुदाय के कट्टपंथी विचारों का ही परिणाम है। नाइन इलेवन की घटना में भी 19 में से 15 आतंकवादी सऊदी नागरिक थे। अभी तक अमरीका ने इस घटना से संबंधित जांच समिति की रिपोर्ट के 28 पेजों को प्रकाशित नहीं किया है, जिसमें सऊदी शासन की भूमिका की बात कही गई है।

 

निःसंदेह, सऊदी और अन्य देशों के युवक, जिन्होंने आतंकवाद और तकफ़ीरी विचारों को अपना लिया है, सऊदी प्रचारों की भेंट चढ़ गए हैं। सऊदी प्रचार में विरोधियों की हत्याओं को सही ठहराया जाता है और दूसरे मुसलमानों के साथ सहोयग से रोका जाता है। इस प्रकार के ज़हरीले प्रचार को देखते हुए सऊदी वहाबी युवाओं के हिंसात्मक व्यवहार पर आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

 

इस वर्ष हज की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पायी जाती हैं। इस संदर्भ में पाकिस्तानी सेनेटर सैय्यद ताहिर हुसैन मशहदी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहत हैं, आतंकवादी किसी सीमा को नहीं मानते और किसी भी नियम का पालन नहीं करते। सीरिया, इराक़ और यमन में तबाही और रक्तपात मचाकर उन्होंने अब उन देशों का रुख़ किया है, जो कदापि यह नहीं सोच सकते थे कि आतंकवाद के समर्थन में ख़र्च होने वाले उनके पैट्रो डॉलर उन्हीं को नुक़सान पहुंचायेंगे।

 

सऊदी अरब में घटने वाली हालिया घटनाओं को ईरान की हज संस्था के अध्यक्ष सईद औहदी इस देश के अधिकारियों के ग़लत प्रबंधन का एक दूसरा उदाहरण बताते हैं। सऊदी अधिकारियों ने औहदी के साथ कई चरण की वार्ता के बाद भी ईरानी हाजियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा का वादा नहीं किया, जिसके परिणाम स्वरूप इस वर्ष ईरानी नागरिक हज से वंचित हो गए।

 

औहदी का कहना है कि शुक्रवार की घटना और मक्के में श्रद्धालुओं के घायल होने से पता चलता है कि सऊदी अधिकारियों ने अभी तक श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं सोचा है और यह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ख़तरे की घंटी है। उन्होंने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि ईरान ने हाजियों की सुरक्षा के लिए 20 बेहतरीन सुझाव पेश किए थे, कहा कि इस साल ईरानी हाजियों को हज से वंचित करने के बावजूद हम सऊदी अधिकारियों और इस्लामी देशों के लिए सुरक्षा के सुझाव देने के लिए तैयार हैं, ताकि इस्लामी जगत में इस तरह की घटनाएं पुनः घटित न हों।