मंगलवार- 11 अगस्त
11 अगस्त वर्ष 2009 को सऊदी अरब की सीमा के निकट यमन के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में इस देश की सेना और ज़ैदी शिया मुसलमानों के बीच युद्ध का छठा चरण आरंभ हुआ।
वर्ष 1999 को यूरोप और एशिया में सदी का अंतिम सूर्यग्रहण हुआ।
वर्ष 2000 को फिजी के विद्रोही नेता जार्ज स्पेट के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़द्मा चलाने का निर्णय किया गया।
वर्ष 2001 को उत्तरी आयरलैंड विधानसभा भंग हो गयी और आयरिश विद्रोहियों को निशस्त्रीकरण के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।
वर्ष 2004 को चीनी कम्प्यूटर उद्योग के पितामह चेन चुनशियान का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
वर्ष 2004 को भारत और पाकिस्तान ने वांछित अपराधियों की सूचियों की अदला-बदली की।
वर्ष 2004 को भारत और पाकिस्तान के मध्य आतंकवाद और मादक द्रव्यों की तस्करी सहित आठ मुद्दों पर इस्लामाबाद में वार्ता सम्पन्न हुई।
वर्ष 2007 को मोहम्मद हामिद अंसारी भारत के 13वें उपराष्ट्रपति बने।
11 अगस्त वर्ष 2009 को सऊदी अरब की सीमा के निकट यमन के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में इस देश की सेना और ज़ैदी शिया मुसलमानों के बीच युद्ध का छठा चरण आरंभ हुआ चूंकि इस गुट का नेतृत्व अलहूसी परिवार के हाथ में है, इस लिए इन संघर्षकर्ताओं को हूसी कहा जाता है। यह गुट अपने क्षेत्र से आर्थिक व सांस्कृतिक भेदभाव समाप्त और अमरीका से संबंधों का स्तर कम किए जाने की मांग कर रहा था। यद्यपि हूसी शीयों और यमन की सेना के बीच वर्ष 2004 में युद्ध आरंभ हुआ था किंतु इस युद्ध का छठा चरण सबसे लम्बा एवं रक्तरंजित रहा। इस युद्ध में सऊदी अरब की वायु सेना ने हूसी संघर्षकर्ताओं के ठिकानों पर बमबारी करके, यमन की सेना की सैन्य सहायता की। वर्ष 2009 में उसने धरती के मार्ग से भी यमन की सेना की सहायता आरंभ की और अपने सैनिकों को यमन भेज दिया किंतु हूसी संघर्षकर्ताओं के साहस व एकजुटता तथा उस क्षेत्र के पर्वतीय होने के कारण सऊदी अरब व यमन के सैनिक विफल रहे और अंततः यमन के कुछ क़बीलों की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम हुआ। युद्ध के इस चरण में सैकड़ों हूसी संघर्षकर्ता मारे गए जबकि दो लाख से अधिक लोग बेघर हो गए। इस समय भी यमन पर सऊदी अतिक्रमण जारी है।
11 अगस्त सन 1952 ईसवी को इथोपिया के सम्राट हायला सलासी ने एरिट्रिया को इथोपिया से जोड़ने के संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये मुस्लिम बाहुल्य वाली एरिट्रिया की धरती जो पहले इटली की उपनिवेश थी, द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात ब्रिटेन के नियंत्रण में चली गयी। संयुक्त स्ट्रियों को एक फेडरल सरकार के रुप में इथोपिया से सरकार द्वारा पारित किया गया। परंतु एरिट्रिया की जनता इथोपिया की सरकार द्वारा अपने अधिकारों की उपेक्षा के कारण अप्रसन्न थी अत: उसने इथोपिया के विरुद्ध आंदोलन आरंभ कर दिया। 1960 में एरिट्रिया लिब्रेशन फ्रंट ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए सशस्त्र संघर्ष आरंभ कर दिया। अंतत: एरिट्रिया की जनता का संघर्ष रंग लाया आर 1993 में एक जनमत संग्रह के पश्चात एरिट्रिया को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया गया। यह देश अफ़्रीक़ा महाद्वीप में स्थित है।
11 अगस्त 1960 ईसवी को चाड देश फ़्रांस के अतिग्रहण से स्वतंत्र हुआ और इस दिन को चाड का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। 19वीं शताब्दी के अंत में फ़्रांस ने इस देश पर आक्रम्रण किया ओर तीन वर्ष की अवधि में पूरे चाड पर अधिकार कर लिया और यह देश व्यवहारिक रुप से फ़्रांस का उपनिवश बन गया। 1958 में फ़्रांस ने चाड को स्वाधीनता दी और दो वर्ष बाद यह देश पूर्ण रुप से स्वतंत्र हो गया तथा वहॉं प्रजातंत्रिक शासन व्यवस्था स्थापित हुई।
11 अगस्त सन 1952 ईसवी को जार्डन के नरेश हुसैन ने सत्ता संभाली। उनके पिता तलाल को मानसिक रोग के करण प्रशासन देखने के लिए अक्षम घोषित कर दिया गया था जिसके बाद शाह हुसैन जार्डन के नरेश बने।
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21 मुर्दाद सन 1275 हिजरी शम्सी को क़ाजार शासन काल के एक क्रान्तिकारी मिर्ज़ा रज़ा किरमानी को अत्याचारी व क्रूर शासक नासिरुददीन शाह क़ाजार की हत्या के आरोप में शहीद कर दिया गया। मिर्ज़ा रज़ा को जो सैयद जमालुददीन असदाबादी के अनुयायी थे ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध तम्बाकू के बहिष्कार के आंदोलन में जनता को भड़काने और तनाव उत्पन्न करने के आरोप में चार वर्ष के लिए जेल में डाल दिया गया था। स्वतंत्र होने के बाद वे इस्ताम्बूल गये जहॉ वे सैयद जमालुददीन से परिचित हुए। 1275 हिजरी शम्सी में वे अपने देश ईरान लौटे और उन्होंने अत्याचारी शासक नासिरुददीन शाह को ठिकाने लगाने का निर्णय कर लिया और उसी वर्ष रै नगर में गोलीमार कर उसकी हत्या कर दी।
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21 ज़िलहिज्जा सन 568 हिजरी क़मरी को मिस्र के क़फ़त नगर में विख्यात लेखक इब्ने क़फ़ती का जन्म हुआ। उनका पूरा नाम जमालुद्दीन अबुल हसन अली बिन युसुफ़ शैबानी था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे न्यायपालिका में कार्यरत हो गये। उन्होंने क़ाहेरा, यमन, मोरक्को, सलजूक़ी, ग़ज़नवी और आले बुवैह शासन श्रृंखलाओं के बारे में अपनी पुस्तकों में महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज की हैं।