मंगलवार- 18 अगस्त
18 अगस्त सन 1925 ईसवी को एडोल्फ़ हिटलर ने अपने राजनैतिक सिद्धांतों पर आधारित पुस्तक मेरा संघर्ष प्रकाशित की।
18 अगस्त सन 1947 ईसवी को ब्रिटिश नरेश जार्ज छठें ने भारत की आज़ादी के क़ानून के मसौदे पर हस्ताक्षर किए थे।
18 अगस्त सन 1977 ईसवी को वियतनाम संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना था।
18 अगस्त सन 1980 ईसवी को भारत ने अपना पहला संचार सैटेलाइट रोहिणी प्रथम अंतरिक्ष में छोड़ा था।
18 अगस्त सन 653 ईसवी को फ़िलिस्तीन के अजनादैन नामक क्षेत्र में मुसलमानों और रोमियों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में रोमियों की संख्या मुसलमानों से कई गुना अधिक थी किंतु मुसलमान अपने दृढ़ संकल्प और ईमान के कारण विजयी हुए। अजनादीन के युद्ध में भारी पराजय के बाद रोम की सेना दमिश्क़ तक पीछे हट गयी। इस प्रकार एक बड़ा क्षेत्र रोम के हाथ से निकल गया।
18 अगस्त सन 1900 ईसवी में भारत की प्रख्यात राजनीतिज्ञ व स्वतंत्रता सेनानी तथा अपने समय की अत्यंत क्रान्तिकारी व सक्रिय महिला विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ। वे मॉस्को वाशिंगटन तथा मेक्सिको में भारत की राजदूत रहीं। तथा 1953 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष बनाया गया।
18 अगस्त सन 1954 ईसवी को जेम्स विल्किन्स ऐसे पहले अश्वेत व्यक्ति थे जिन्होंने अमरीका में मंत्रीमंडलीय बैठक में भाग लिया। वे इस बैठक में श्रम मंत्री और उप मंत्री के सहायक के रुप में उपस्थित हुए श्रम मंत्री और उप मंत्री के देश से बाहर होने के कारण उन्हें यह अवसर मिला।
18 अग्सत सन 1964 ईसवी को दक्षिणी अफ़्रीक़ा को ओलम्पिक खेलों में भाग लेने से रोक दिया गया। यह प्रतिबंध दक्षिणी अफ़्रीक़ा की नस्सलभंदी सरकार की नीतियों के चलते लगा था।
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28 मुर्दाद सन 1332 हिजरी शम्सी को ईरान में डॉक्टर मुसद्दिक़ की सरकार के विरुद्ध अमरीकी विद्रोह हुआ। जिसके पश्चात मुहम्मद रज़ा शाह पहलवी ने पुन: सत्ता संभली। यह विद्रोह अमरीका की गुप्तचर संस्था सी आई ए और ब्रिटेन की सहायत से हुआ। इस विद्रोह ने जो जनता तथा राजनीतिज्ञों के बीच मतभेद और देश की तनावपूर्ण स्थिति से लाभ उठाकर किया गया था डॉक्टर मुसद्दिक़ की सरकार को गिराकर शाह को दोबारा ईरान लौटने का अवसर दिया। शाह तीन दिन पहले इटली भाग गया था। इस दुखद घटना से पूर्व ईरानी जनता देश के तेल उद्योग से ब्रिटेन के प्रभाव को समाप्त करके उसके राष्ट्रीयकरण में सफल हुई थी। परंतु राष्ट्रीय व धार्मिक शक्तियों के नेताओं के बीच मतभेद के कारण तेल उद्योग के राष्ट्रीयकरण का आंदोलन कमजोर पड़ गया। और अंतत: इस का परिणाम विद्रोह के रुप में निकला।
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28 ज़िलहिज्जा सन 63 हिजरी क़मरी को इमाम हुसैन अ के आंदोलन के बाद हर्रा नामक घटना घटी। इस वर्ष जो उमवी शासक मुआविया के पुत्र यज़ीद के अत्याचार से ऊब चुके मदीने के लोगों ने थे मरवान को मदीने से निकाल बाहर किया जिसे यज़ीद ने इस नगर का अधिकारी बनाया था। इस घटना के बाद यज़ीद ने अत्यंत ख़ूंख़ार सेनापति मुस्लिम बिन अक़बा के नेतृत्व में एक बड़ी सेना मदीना भेजी। और मदीनावासियों का बुरी तरह से जनंसहार करवाया तथा उनकी धन सम्पत्ति को लूट लिया। इसलाम धर्म के उदय के बाद से उस समय तक यह जनसंहार अनुदाहरणीय था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस जनसंहार में 10 हज़ार से अधिक लोग मौत के घाट उतार दिए गये।
उल्लेखनीय है कि यज़ीद का शासन काल साढ़े तीन वर्ष था और इस अवधि में उसने जनता पर हर वो अत्याचार किया जो एक शासक जनता पर कर सकता है। यज़ीद ने अपने शासन काल के पहले वर्ष में पैग़म्बरे इस्लाम स के नानी हज़रत इमाम हुसैन अ और उनके 72 साथियों को शहीद किया दूसरे वर्ष में मदीना वासियों का जनसंहार किया और तीसरे वर्ष में उसने मक्के पर आक्रमण किया।
28 ज़िल्हिज्जा सन 1289 हिजरी क़मरी को तेहरवीं शताब्दी हिजरी क़मरी के प्रख्यात दर्शनशास्त्री और धर्मगुरू मुल्ला हादी सबज़वारी का निधन हुआ। उनका जन्म 1212 हिजरी क़मरी में हुआ था। उनकी पूरी आयु ईश्वरीय भय और ईश्वर की उपासना में व्यतीत हुई। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें इस बात की सूचक है कि यह विख्यात धर्म गुरू एक दर्शनशास्त्री होने के साथ साथ धर्मशास्त्र, उसूले फ़िक्ह, क़ुरआन की व्याख्या, तर्क शास्त्र, गणित, साहित्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी निपुण थे। वे अपने काल के प्रसिद्ध शायरों में से एक थे। उनके द्वारा कहे गये शेरो में दर्शनशास्त्र, अंतर्ज्ञान के सूक्ष्म एवं सुन्दर अर्थ निहित हैं। उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में असरारुल हेकम और अलजब्र व अलअख़्तियार का नाम लिया जा सकता है।