Aug २३, २०१६ १२:१५ Asia/Kolkata
  • मंगलवार - 25 अगस्त

25 अगस्त सन 1095 ईसवी को ईसाइयों और मुसलमानों के बीच सलीबी युद्ध का क्रम आरंभ हुआ।

  • 25 अगस्त सन 1867 को भौतिकी विज्ञानी और रसानशास्‍त्री माइकल फ़ेराडे का निधन हुआ।
  • 25 अगस्त सन 1916 को टोटनबर्ग के युद्ध में रूस ने जर्मनी को पराजित किया।
  • 25 अगस्त सन 1940 को लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया, सोवियत संघ में शामिल हुए।
  • 25 अगस्त सन 1988 को ईरान और इराक़ के बीच इराक़ द्वारा थोपे गए युद्ध के बाद सीधी बातचीत शुरू हुई।
  • 25 अगस्त सन 2003 को मुंबई में हुए कार बम विस्फोट में 50 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई।
  • 25 अगस्त सन 2011 को श्रीलंका की सरकार ने देश में घोषित आपातकाल को 30 वर्ष बाद वापस लिया।

 

25 अगस्त सन 1095 ईसवी को ईसाइयों और मुसलमानों के बीच सलीबी युद्ध का क्रम आरंभ हुआ।  ईसाइयों ने विदित रुप से बैतुल मुक़ददस और वस्तुत: समस्त इस्लामी क्षेत्रों पर अधिकार करने के उददेश्य से पूरब की ओर बढ़ना आरंभ किया। गिरजाघर से संबंधित लोग इस युद्ध में अपने कॉधों और वस्त्र पर रेड क्रॉस का चिन्ह बनाये हुए थे जिससे यह युद्ध सलीब अर्थात क्रूसेड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मुसलमानों के साथ कई लड़ाई के बाद सलीबी सेना बैतुल मुक़ददस तक पहुँच गयी और वर्ष 1099 में इस नगर पर अधिकार करके स्थानीय लोगों का जनसंहार और उनकी सम्पत्ति की लूटमार आरंभ की। किंतु 12वीं शताब्दी ईसवी के अंत में सलीबी सेना को सलाहुद्दीन अययूबी नामक विख्यात कमांडर के नेतृत्व में इस्लामी सेना ने पराजित किया। और वर्ष 1287 ईसवी में बैतुल मुक़ददस नगर को पुन: मुक्त करा लिया गया। मुसलमानों के साथ कई भिड़ंतों के बाद सलीबी सेना बैतुल मुक़ददस तक पहुँच गयी और वर्ष 1099 में इस नगर पर अधिकार करके स्थानीय लोगों का जनसंहार और उनकी सम्पत्ति की लूटमार आरंभ की। किंतु 12वीं शताब्दी ईसवी के अंत में सलीबी सेना को सलाहुद्दीन अययूबी नामक विख्यात कमांडर के नेतृत्व में इस्लामी सेना ने पराजित किया। और वर्ष 1287 ईसवी में बैतुल मुक़द्दस नगर को पुन: मुक्त करा लिया गया। सलीबी युद्ध 1270 के अंतिम दिनों तक जारी रहा। किंतु सलीबी सेना को कई मोर्चों पर मुसलमानों ने पराजित किया।

 

25 अगस्त सन 1825 ईसवी को उरूग्वे देश ब्राज़ील से स्वतंत्र हुआ। अत: 25 अगस्त को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। इस देश की खोज स्पेन के खोजकर्ताओं ने की और वर्ष 1516 से यह देश पुर्तग़ाल और स्पेन के नियंत्रण में रहा। वर्ष 1810 से 1814 के बीच स्थानीय जनता के रक्तरंजित विद्रोह के बाद इस देश को आंशिक स्वाधीनता प्राप्त हुई वर्ष 1820 ईसवी में ब्राज़ील ने इस देश पर अधिकार कर लिया। और इसे अपना एक राज्य घोषित कर दिया। किंतु 5 वर्ष के बाद लैटिन अमेरिका के स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान उरुग्वे भी स्वतंत्र हो गया। ब्राज़ील और अर्जेन्टाइना इसके पड़ोसी देश हैं।

25 अगस्त सन 1991 ईसवी को पूर्वी योरोप का बेलारुस देश पूर्व सोवियत संघ से स्वतंत्र हुआ। बेलारुस 14 शताब्दी ईसवी से लेथवानिया और 1569 ईसवी से पोलैंड के नियंत्रण में रहा। 18वीं शताब्दी में पोलैंड के विभाजन के बाद बेलारुस सोवियत संघ के अधिकार में चला गया। और प्रथम विश्व युद्ध के बाद पूरा बेलारुस सोवियत संघ का भाग बन गया। सोवियत यंघ में राजनैतिक सुधार आने के बाद इस संघ के दूसरे गणराज्यों की भॉति बेलारुस में भी जनता की स्वतंत्रता की लड़ाई तेज़ हो गयी। और अंतत: यह देश स्वतंत्र हो गया।

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4 शहरीवर सन 1358 हिजरी शम्सी को ईरान की इस्लामी क्रान्ति के प्रसिद्ध सेनानियो में गिने जाने वाले हाज मेहदी इराक़ी और उनके पुत्र होसाम को आतंकवादी गुट एम के ओ ने शहीद कर दिया। इन दोनों ने इस्लामी क्रान्ति की सफलता से पहले भी अत्याचारी शाह के विरुद्ध संघर्ष किया था और इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी से उनके निकट संबंध थे। वे कई वर्षों तक शाह की जेल में रहे। इस्लामी क्रान्ति की सफलता के पश्चात भी वे इमाम ख़ुमैनी के साथ सक्रिय रहे। इमाम ख़ुमैनी इन दोनों को अपना भाई और बेटा कहते थे। इन दोनों के शहीद होने के बाद इमाम ख़ुमैनी ने कहा था इनकी मौत मेरे लिए बहुत दुखद है। किंतु जो बात इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करती है वो यह है कि यह दोनों ईश्वर के मार्ग में शहीद हुए

 

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5 मोहर्रम 1310 हिजरी क़मरी को ईरान के प्रसिद्ध धर्मगुरू मुल्ला अहमद का निधन हुआ। वे फ़ाज़िले मराग़ेई के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने इराक़ के धार्मिक शिक्षा केन्द्र नजफ़ में अपने काल के प्रसिद्ध धर्मगुरूओं जैसे शैख़ मुर्तज़ा अंसारी से शिक्षा प्राप्त की। स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने पढ़ाना आरंभ किया और बहुत से शिष्यों ने उनसे शिक्षा प्राप्त की उन्होंने विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं। उन्होंने इसी प्रकार पवित्र क़ुरआन के कुछ सूरों की व्याख्या भी की है और प्राचीन इस्लामी विषय वस्तुओं पर नोट भी लिखे हैं।