बुधवार- 26 अगस्त
26 अगस्त वर्ष 1910 को प्रसिद्ध सामाजिक महिला कार्यकर्ता मदर टेरेसा का यूगोस्लाविया में जन्म हुआ।
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26 अगस्त 1676 को ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री रॉबर्ट वालपोल का जन्म हुआ
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26 अगसत सन 1743 ईसवी को फ़्रांस के प्रसिद्ध रसायन शास्त्री ऐन्टोनी लेवाएज़ियर का जन्म हुआ। उन्हें आधुनिक रसायन शास्त्र का जनक कहा जाता है। उन्होंने ऑक्सीजन की खोज की।
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26 अगस्त सन 1896 ईसवी को उस्मानी सेना ने अरमेनियाई ईसाइयों का जनसंहार किया। पॉच दिनों तक चले इस जनसंहार में हज़ारों लोग मारे गये।
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26 अगस्त 1920 को अमेरिका में महिलाओं को मताधिकार मिला।
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26 अगस्त सन 1940 ईसवी को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के युद्धक विमानों ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन पर पहली बार बम्बारी की। इससे एक दिन पूर्व जर्मनी के युद्धक विमानों ने लंदन पर बम्बारी की थी।
26 अगस्त वर्ष 1910 को प्रसिद्ध सामाजिक महिला कार्यकर्ता मदर टेरेसा का यूगोस्लाविया में जन्म हुआ। वे रोमन कैथोलिक नन थीं जिनके पास भारतीय नागरिकता थी। उन्होंने वर्ष 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ आफ़ चेरिटी की स्थापना की। 45 वर्षों तक निर्धनों, दरिद्रों, बीमारों और अनाथों की सेवाएं कीं और साथ ही चेरिटी के मिशनरीज के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। वर्ष 1970 तक वे निर्धनों और असहायों के लिए मानवीय कार्यें के लिए प्रसिद्ध हो गयीं। वर्ष 1979 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार और वर्ष 1980 को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 5 सितम्बर वर्ष 1997 को उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें पाप जान पाल द्वितीय ने सन्त घोषित किया और उन्हें कोलकाता की सन्त महिला की उपाधि प्रदान की गयी। जहां एक ओर उनकी प्रशंसा की जाती थी वहीं दूसरी ओर क्रिस्टोफ़र हिचेन्स, माइकल परेंटी और विश्व हिन्दू परिषद के अरुप चटर्जी जो उनके धर्मान्तरण की विशेष शैली के विरुद्ध थे, जैसे व्यक्तियों की आलोचनाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कई चिकित्सा पत्रिकाओं में भी उनकी धर्मशालाओं में दी जाने वाली चिकित्सा सुरक्षा के मानकों की आलोचना की गई।
26 अगस्त वर्ष 1303 ईस्वी को अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर क़ब्ज़ा किया। वे खिलजी शासन श्रंखला के दूसरे शासक थे। वे एक विजेता थे और उन्होंने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया। उनके बाद भारतीय साम्राज्य में अगले तीन सौ वर्षों तक इतना बड़ा शासन कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया। वो अपनी चित्तौड़ गढ़ विजय अभियान के बारे में भी प्रसिद्ध है। अलाउद्दीन ख़िलजी का बचपन का नाम अली गरशास्प था। जलालुद्दीन ख़िलजी के तख्त पर बैठने के बाद उन्हें अमीरे-तोज़ुक का पद मिला। मलिक छज्जू के विद्रोह को दबाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण जलालुद्दीन ने उन्हें मनिकपुर की सूबेदारी सौंप दी। भिलसा, चंदेरी एवं देवगिरि के सफल अभियानों से प्राप्त अपार धन ने उनकी स्थिति और मज़बूत कर दी। इस प्रकार उत्कर्ष पर पहुँचे अलाउद्दीन ख़िलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या 22 अक्तूबर, 1296 को कर दी और दिल्ली में स्थित लाल महल में अपना राज्याभिषेक सम्पन्न करवाया। अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो तथा हसन निज़ामी जैसे उच्च कोटि के विद्धानों को संरक्षण प्राप्त था। स्थापत्य कला के क्षेत्र में अलाउद्दीन ख़िलजी ने वृत्ताकार अलाई दरवाजा अथवा कश्के शिकार का निर्माण करवाया। उनके द्वारा बनाया गया अलाई दरवाजा प्रारम्भिक तुर्की कला का एक श्रेष्ठ नमूना माना जाता है।
26 अगस्त सन 1346 ईसवी को विश्व में पहली बार, युद्ध में तोप का प्रयोग किया गया। यह विध्वंसक हथियार ब्रिटेन की सेना ने फ़्रांस की सेना के विरुद्ध प्रयोग किया। जिसके कारण फ़्रांस की सेना को संख्या में अधिक होने और विजय से निकट होने के बावजूद भारी पराजय का सामना हुआ।
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5 शहरीवर वर्ष 1369 हिजरी शम्सी को ईरान में सुलेखन के वरिष्ठ गुरु अली अक्बर कावे का निधन हुआ। वर्ष 1271 हिजरी शमसी में ईरान के दक्षिण पूर्वी नगर शीराज़ में इस महान कलाकार का जन्म हुआ। वे बाल्यावस्था में वरिष्ठ सुलेखकों के नस्तालीक़ लीपी के नमूनों से परिचित हुए। और धीरे धीरे उन में सुलेखन कला की ओर रुचि उत्पन्न होने लगी। उस के बाद उस्ताद कावे ने मीरज़ा ताहिर कातेब होमायून हमदानी और इमादुल कुत्ताब सैफ़ी क़ज़वीनी जैसे वरिष्ठ गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की और अन्तत: वे सुलेखन कला के उस्ताद बन गए।
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6 मोहर्रम सन 406 हिजरी क़मरी को इराक़ के विख्यात मुसलमान विद्वान कवि सैयद मोहम्मद हुसैन मूसवी बग़दादी का 47 वर्ष की आयु में निधन हुआ, वे सैयद रज़ी के नाम से जाने जाते है। उन्होंने अपने भाई सैयद मुर्तज़ा के साथ इस्लामी तथा उस समय के प्रचलित अन्य विषयों की भी शिक्षा प्राप्त की। दोनों भाइयों ने विश्व विख्यात मुसलमान धर्मगुरु शैख़ मुफ़ीद की सेवा में उपस्थित होकर फ़िक़ह और अरबी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। सैयद रज़ी ने युवाकाल से शायरी आरंभ की और कुछ ही समय में अरब के विख्यात कवि बन गये। उन्होंने अपनी आयु का अधिकांश भाग लिखने पढ़ने, लोगों के प्रशिक्षण और समाज सेवा में बिताया। उन्होंने वर्तमान शैली के प्रथम विद्यालय की स्थापना की। उनके महत्वपूर्ण ज्ञान संबंधी कार्यों में हज़रत अली (अ) के भाषणों, कथनों पत्रों और उपदेशों का संकलन है जिसे नहजुल बलाग़ा कहा जाता है। इस्लाम में कुरआन के बाद नहजुल बलाग़ा का स्थान है।