नाइन इलेवन की घटना में सऊदी अरब की भूमिका
अरब जगत में अमरीका के सबसे बड़े मित्र देश सऊदी अरब की हालिया दिनों में छवि बहुत ख़राब हो चुकी है।
यमन पर हमला, महिलाओं के साथ भेदभाव और सऊदी समाज में उनके अधिकारों का हनन, पैट्रो डॉलरों द्वारा मुस्लिम देशों में प्रभाव और इन देशों में चरमपंथी विचारों के प्रचार के कारण अमरीका में सऊदी अरब के प्रति घृणा बढ़ती जा रही है। आज कल नाइन इलेवन की घटना में मरने वालों के परिजनों की मांगों के दृष्टिगत अमरीकी जनता इस आतंकवादी घटना में सऊदी अरब की भूमिका की पुनः जांच की मांग कर रही है। नाइन इलेवन की घटना के बाद से सऊदी अधिकारी इस हमले में सऊदी नागरिकों के शामिल होने के आरोपों का खंडन करते रहे हैं। रियाज़ ऐसी स्थिति में निरंतरता से इसका खंडन करता रहा है कि जब 19 हमलावरों में से 15 का संबंध सऊदी अरब से था।
वर्तमान स्थिति में इस संबंध में प्रमाणित दस्तावेज़ 28 पन्नों की वह ख़ुफ़िया रिपोर्ट है, जिसे 2002 में अमरीकी कांग्रेस ने तैयार किया था। लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के आदेश पर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। हालांकि बराक ओबामा के राष्ट्रपति काल के अंतिम दिनों में कुछ पन्नों के अलावा इसे सार्वजनिक कर दिया गया।
28 पन्नों के नाम से प्रसिद्ध यह रिपोर्ट, नाइन इलेवन की घटना के बारे में कांग्रेस की प्राथमिक जांच का केवल एक ऐसा भाग था, जिसे जुलाई 2016 से पहले सार्वजनिक नहीं किया गया था। वास्तव में इन 28 पन्नों में सऊदी नागरिकों से संबंधित नेटवर्क की जानकारी का उल्लेख है, जिसके सदस्य अमरीका में रहते थे और संभवतः उन्होंने इस हमले में इस्तेमाल होने वाले विमानों के अपहरणकर्ताओं की मदद की थी।
बुश शासन इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने को अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा मानता था। एक दशक से अधिक तक यही समझा जाता रहा कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से अमरीका में होने वाली आतंकवादी कार्यवाही की साज़िश में सऊदी अरब के शामिल होने का भंडाफोड़ होगा। यहां तक कि इस साल ओबामा शासन ने इसे सार्वजनिक करने का फ़ैसला कर लिया।
इस रिपोर्ट में उल्लेख है कि सीआईए और एफ़बीआई को विमानों के अपहरणकर्ता ख़ालिद अल-महज़ार और नव्वाफ़ अल-हाज़मी के दो सऊदी अधिकारियों से संबंधों की जानकारी थी, जिनमें से एक अमरीका में रियाज़ के राजदूत के साथ संपर्क में था। इसी प्रकार, इस रिपोर्ट में उल्लेख है कि ओसामा बिन लादेन के सौतेले भाई अब्दुल्लाह वाशिंगटन में सऊदी अरब के दूतावास में काम करते थे और वह एक ऐसी संस्था के प्रमुख थे, जिस पर आतंकवाद के समर्थन का संदेह था।
सार्वजनिक होने वाले दस्तावेज़ों के अनुसार, अब्दुल्लाह अरब मुस्लिम युवाओं की सहयोग संस्था के प्रमुख थे, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करती थी। इसी प्रकार इन दस्तावेज़ों से पता चलता है कि एफ़बीआई के पास ऐसे सुबूत थे, जिनसे स्पष्ट होता है कि अब्दुल्लाह, मोहम्मद अता और मरवान शही के बीच निकट सहयोग था। इनमें से दो लोग वर्ल्ड ट्रेड सैंटर की इमारतों से टकराने वाले विमानों में मौजूद थे। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि सऊदी अधिकारियों एवं विशिष्ट लोगों और अपहरणकर्ताओं के बीच संबंध थे। इसलिए सीआईए और एफ़बीआई इस मामले की अधिक जांच कर सकती है। यह दस्तावेज़ अमरीका में रहने वाले सऊदी नागरिकों के नेटवर्क से संबंधित हैं, संभव है इस नेटवर्क में शामिल लोगों ने नाइन इलेवन के हमले में भूमिका निभाई हो।
एफ़बीआई की रिपोर्ट में उल्लेख है कि अब्दुल्लाह बिन लादेन का एक साथी मोहम्मद रफ़ीक़ क़ादिर हरूनामी मोहम्मद अता और शही के साथ संपर्क में था। इसी प्रकार एफ़बीआई ने अपनी रिपोर्टों में बल दिया है कि अमरीका में सऊदी दूतावास के कर्मचारी के रूप में अब्दुल्लाह बिन लादेन आतंकवादी गुटों के साथ संपर्क में थे। एफ़बीआई स्रोतों के हवाले से इन दस्तावेज़ों में उल्लेख किया गया है कि इन हमलों में शामिल कम से कम दो हमलावर संभव है सऊदी अरब की ख़ुफ़िया एजेंसी के एजेंट रहे हों। एफ़बीआई के दस्तावेज़ों में कहा गया है कि सऊदी नौसेना के कुछ अधिकारियों ने विमान अपरहणकर्ताओं की मदद की थी। सऊदी नौसेना के एक अधिकारी लफ़ी अल-हरबी ने मार्च 2000 में 17 दिनों के भीतर 9 बार 11 सितम्बर की घटना में शामिल तत्वों से मुलाक़ात की थी।
रिपोर्ट में एक ऐसे संदिग्ध आतंकवादी की ओर संकेत किया गया है, जिसके आले सऊद के एक प्रिंस से निकट संबंध थे। इस संदिग्ध का नाम रिपोर्ट से निकाल दिया गया है, यह सऊदी एयर लाइन्स का कर्मचारी था। जांच के दौरान अबू ज़ुबैदा की टेलीफ़ोन डायरी में उसका टेलीफ़ोन नम्बर मिलने के बाद उसे जांच के दायरे में शामिल किया गया था।
सीएनएन टीवी ने ऐसे दस्तावेज़ प्रकाशित किए थे, जिनसे पता चलता है कि एक कंपनी और अलक़ायदा के बीच जिसमें अमरीका में सऊदी अरब के पूर्व राजदूत प्रिंस बंदर बिन सुल्तान एक महत्वपूर्ण सदस्य थे, संबंध थे। बंदर बिन सुल्तान के इन हमलों से संबंध होने की जांच की गई, इस जांच में उस कड़ी पर ध्यान केन्द्रित किया गया जिसमें एक व्यक्ति अलक़ायदा के लिए सदस्यों की भर्ती करता था। 2002 में अलक़ायदा के इस सदस्य की टेलीफ़ोन डायरी पाकिस्तान में ज़ब्त की गई थी। अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंटों ने अबू ज़ुबैदा की टेलीफ़ोन डायरी हासिल कर ली थी। एफ़बीआई को इस डायरी से अमरीका के कुछ नम्बर मिले, इनमें से एक नम्बर उस कम्पनी का था, जो कोलोराडो में बंदर की संपत्ति के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी संभालती थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब 11 सितम्बर को 19 लोगों ने विमानों को हाइजैक किया और अमरीकी इतिहास का रुख़ बदलकर रख दिया, इन हमलों में सऊदी शासन की संलिप्तता की आशंका ने दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित किया है।
अब 28 पन्नों की ख़ुफ़िया रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है और विमान अपहरणकर्ताओं और बंदर बिन सुल्तान के बीच संबंधों का मांऊ पर्दाफ़ाश हो चुका है, हालांकि यह ख़ुफ़िया दस्तावेज़ इन हमलों में उनकी सीधी भूमिका का सुबूत पेश नहीं करते हैं, लेकिन नाइन इलेवन के हमलों में सऊदी अरब की भूमिका के संबंध में नए सवालों ने जन्म लिया है।
कांग्रेस की जांच समिति के प्रमुख बाब ग्राहम का कहना है कि इन दो टोलीफ़ोन नम्बरों में से किसी एक को पहले सार्वजनिक नहीं किया गया था, इसलिए उस व्यक्ति से संपर्क करके कि जो जानता था कि यह कैसे नम्बर हैं और किसके हैं, अबू ज़ुबैदा की टेलीफ़ोन डायरी हाथ लगी हो।
बंदर बिन सुल्तान का अलक़ायदा से संबंधों का पर्दाफ़ाश होना उन नई जानकारियों का एक भाग था, जिनका उल्लेख ख़ुफ़िया दस्तावेज़ों में किया गया था। सीआईए और एफ़बीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जिन साक्ष्यों से यह पता चलता है कि आले सऊद परिवार के किसी सदस्य ने 11 सितम्बर के हमलों का समर्थन किया था, उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। लेकिन ग्राहम का कहना था कि परोक्ष संबंध इस बात का पता देते हैं कि अमरीका में सऊदी अरब के पूर्व राजदूत जांच का हैरान करने वाला भाग थे और इस बारे में अधिक जांच की ज़रूरत है।
28 पन्नों की रिपोर्ट में बंदर बिन सुल्तान और नाइन इलेवन के हमलों के बीच एक अन्य संभावित संबंध के बारे में सवाल उठाए गए हैं और वह संबंध इस सऊदी प्रिंस और ओसामा बासनान नामक सऊदी नागरिक के बीच हैं, जो हमलों के समय अमरीका में ही रहता था। उस व्यक्ति के बारे में और हमलावरों के साथ उसके सहयोग के बारे में होने वाली जांच का उल्लेख है। इस रिपोर्ट में उस राशि की ओर संकेत किया गया है, जो बंदर और उनकी पत्नी ने उस व्यक्ति के हवाले की थी, कम से कम एक अवसर पर बासनान ने 15 हज़ार डॉलर का चेक बंदर बिन सुल्तान के एकाउंट से प्राप्त किया था, इसे एफ़बीआई ने भी अपनी रिपोर्ट में पेश किया है। बंदर बिन सुल्तान ने बासनान की पत्नी को भी कम से कम एक चेक दिया था।
सीआईए के समीक्षक ब्रूस रीडल 28 पन्नों की ख़ुफ़िया रिपोर्ट की ओर संकेत करते हुए कहते हैं कि मैं नहीं समझता कि प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इन हमलों से सऊदी अरब के संबंधों के बारे में हासिल होने वाले नतीजों को परिवर्तित कर दें। बंदर बिन सुल्तान के व्हाइट हाउस से गहरे संबंध थे, उनकी सीआईए, न्याय मंत्रालय, कांग्रेस, मीडिया और अमरीका की समस्त महत्वपूर्ण संस्थाओं तक पहुंच थी।
नाइन इलेवन की घटना में मरने वालों के वारिसों और परिजनों के संगठन की प्रमुख टेरी स्ट्राडा आतंकवाद के मुक़ाबले में न्याय के बारे में कहती हैं, यह रिपोर्ट केवल बर्फ़ के एक पहाड़ की चोटी है, जो 100 सवालों का जवाब देती है और 1000 नए सवाल खड़े करती है। इसके बावजूद मेरी मांग है कि नाइन इलेवन के हमलों में सऊदी अरब की भूमिका की जांच के लिए एक अलग समिति बने। हमें इस बात का अधिकार है कि इस प्रकार की समिति का गठन हो।
मौजूदा साक्ष्यों के विस्तृत होने के बावजूद, व्हाइट हाउस का कहना है कि इन दस्तावेज़ों से नाइन इलेवन के हमलों में सऊदी अरब की संलिप्तता सिद्ध नहीं होती है। इन हमलों में 2997 लोग मारे गए थे। राजनीतिक कारणों और सऊदी अरब के पैट्रो डॉलरों के कारण वास्तविकता पर पर्दा डाला जा रहा है। लेकिन अमरीकी नागरिकों और इन हमलों में मरने वालों के परिजनों को यह अधिकार हासिल है कि वह सच्चाई को जानें और इस आतंकवादी कार्यवाही में शामिल लोगों को सज़ा दिए जाने की मांग करें।