Aug २७, २०१६ ०९:५१ Asia/Kolkata
  • शुक्रवार - 28 अगस्त

28 अगस्त 1914 ईसवी को प्रथम विश्‍व युद्ध की शुरुआत हुई।

  • 28 अगस्त 1521 ईसवी को तुर्की के सुल्तान सुलैमान प्रथम के सैनिकों ने बेलग्रेड पर क़ब्ज़ा किया।
  • 28 अगस्त 1600 ईसवी को मुग़लों ने अहमदनगर पर क़ब्ज़ा किया।
  • 28 अगस्त 1845 ईसवी को प्रसिद्ध पत्रिका साइंटेफ़िक अमरीकन का पहला संस्करण छपा।
  • 28 अगस्त 1858 ईसवी को उंगलियों के निशान को पहचान बनाने वाले ब्रिटिश विलियम जेम्‍स हर्शेल का जन्‍म हुआ।
  • 28 अगस्त 1904 ईसवी को कलकत्ता से बैरकपुर तक प्रथम कार रैली का आयोजन हुआ।
  • 28 अगस्त 1916 ईसवी को प्रथम विश्‍वयुद्ध में इटली ने जर्मनी के ख़िलाफ युद्ध की घोषणा की।
  • 28 अगस्त 1984 ईसवी को सोवियत संघ ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
  • 28 अगस्त 1986 ईसवी को भाग्‍यश्री साठे शतरंज में ग्रैंडमास्‍टर बनने वाली पहली महिला बनीं।
  • 28 अगस्त 1990 ईसवी को इराक़ ने कुवैत को अपना 19वाँ प्रान्त घोषित किया।
  • 28 अगस्त 1996 ईसवी को इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स और उनकी पत्नी डायना ने औपचारिक रूस स तलाक़ लिया।
  • 28 अगस्त 2008 ईसवी को भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1999 और 2000 के सभी नोटो को प्रचलन से हटाने का निर्णय किया।
  • 28 अगस्त 1914 ईसवी को प्रथम विश्‍व युद्ध की शुरुआत हुई।

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीक़ा तीन महाद्वीपों और समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं।

पहला विश्व युद्ध लगभग 52 महीने तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। लगभग आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान लगभग एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। 28 अगस्त सन 1914 ईसवी को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी और ब्रिटेन के युद्धपोतों के मध्य भीषण लड़ाई हुई। इस युद्ध में जर्मनी के चार युद्धपोत नष्ट हुए और उसके एक हज़ार सैनिक मारे गये जबकि इस युद्ध में ब्रिटेन की ओर से मरने वाले सैनिकों की संख्या मात्र 33 थी। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुईं।

 

28 अगस्त सन 1828 ईसवी को लियो टोल्सटोए नामक रुसी लेखक और साहित्यकार का जन्म हुआ। पहले तो वे क़फ़क़ाज़ की सेना मे भर्ती हो गये और उसी दौरान उन्होंने बचपन नामक अपनी पहली पुस्तक की रचना की। कुछ समय बाद वे सेना से निकल गये और अपना सारा समय अध्ययन में व्यतीत करने लगे। वर्ष 1910 ईसवी में टोलस्टाय का निधन हुआ।

 

28 अगस्त सन 1916 ईसवी को जर्मनी ने रोमानिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की और इसी दिन इटली ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।

 

28 अगस्त सन 1922 ईसवी को विश्व में पहली बार रेडियो पर 10 मिनट के लिए विज्ञान का कार्यक्रम प्रसारित किया गया। यह प्रसारण न्यूयार्क से हुआ था।

 

28 अगस्त सन 1749 ईसवी को जोहान वुल्फगैंग पॉन गोएटे नामक जर्मनी के लेखक और कवि का जन्म हुआ। वे अपनी मात्रभूमि फ्रैंकफर्ट में संगीत, चित्रकारी और विभिन्न भाषाएं सीखने में सफल हुए। गोएटे जिन्हे जर्मन साहित्य के प्रचारकों में गिना जाता है किसी विशेष साहित्य तक सीमित नहीं थे। उनको फार्सी सहित विभिन्न साहित्यों में भी रुचि थी। इसी प्रकार उन्हें इस्लाम धर्म और क़ुरआन से भी लगाव था। उन्होंने एक स्थान पर लिखा है कि मैं कुछ गलत धारणओं के कारण क़ुरआन को पसंद नहीं करता था किंतु थोड़ा ही समय बीता कि इस पुस्तक ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा और मैंने भी इस पुस्तक के ज्ञान से परिपूर्ण क़ानूनों और नियमों के सामने सिर झुका दिया। मुझे विश्वास है कि शीघ्र ही यह पुस्तक पूरे संसार को प्रभावित करेगी। 1832 ईसवी में गोएटे का निधन हुआ।

 

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7 शहरीवर वर्ष 1369 हिजरी शमसी को ईरान और दुनिया के शिया मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू आयतुल्लाहिल उज़माः सैयद शहाबुद्दीन मरअशी नजफ़ी का 96 वर्ष की आयु में क़ुम नगर में निधन हुआ। उन्हें उनकी वसीयत के अनुसार इस नगर में उनके भव्य पुस्तकालय में दफ़्न किया गया। आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी ने काज़ेमैन और नजफ़ जैसे इराक़ी नगरों में धर्मशास्त्र, हदीस, तफ़सीर और तैतिक शास्त्र जैसे इस्लामी विज्ञान विभिन्न धर्मगरुओं से प्राप्त किए और फिर ईरान के क़ुम नगर में शिक्षा दीक्षा में व्यस्त हो गए। वे शिक्षा दीक्षा के साथ ही ईरान की अत्याचारी शाही सरकार के विरुद्ध जनता और धर्मगुरुओं के संघर्ष में भी शामिल रहे। आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी ने हमेशा इमाम ख़ुमैनी का साथ दिया। उन्होंने विभिन्न इस्लामी ज्ञानों में अनेक किताबें लिखी हैं। उनकी सबसे बड़ी यादगार, उनकी भव्य लाइब्रेरी है जो क़ुम नगर में स्थित है। इस पुस्तकालय में दसियों लाख किताबें मौजूद हैं जिनमें तीन लाख से अधिक हस्त लिखित हैं।

 

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8 मोहर्रम सन 329 हिजरी क़मरी को ईरान के प्रख्यात गणितज्ञ और खगोल शास्त्री अबू सहल कूही का जन्म हुआ। उन्होंने अपने जीवन का अधिक समय बग़दाद के ज्ञान केन्द्रों में बिताया। उन्होंने 30 साल तक सितारों के बारे में अध्ययन और शोध कार्य किया। अबू सहल कूही ने कठिन परिश्रम से एक वेधशाला तैयार की थी जो बहुत समय तक प्रयोग की जाती रही। अबू सहल कूही की कई पुस्तकें अब भी मोजूद हैं। जिनमें “दवाएरे हेमासा” और “सनअते उस्तुलिब” उल्लेखनीय हैं।