Aug २७, २०१६ १०:४० Asia/Kolkata
  • शनिवार - 29 अगस्त

29 अगस्त 1541 को तुर्की के उस्मानी शासन ने हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट पर क़ब्ज़ा कर लिया।

29 अगस्त 1831 को माइकल फ़ैराडे ने इलैक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन की खोज की।

29 अगस्त 1943 को जर्मनी ने डेनमार्क पर क़ब्ज़ा कर लिया।

29 अगस्त 1966 को मिस्र के प्रसिद्ध विद्वान सैय्यद क़ुतुब को तत्कालीन राष्ट्रपति जमाल अब्दुल नासिर की हत्या की साज़िश रचने के आरोप में फांसी दे दी गई।

29 अगस्त 2003 को इराक़ के धर्मगुरु आयतुल्लाह सैय्यद मोहम्मद बाक़िर अल-हकीम को नजफ़ में हज़रत अली (अ) के रौज़े के निकट एक आतंकवादी बम धमाके में उस समय शहीद कर दिया गया, जब वे नमाज़ के बाद रौज़े से निकल रहे थे, उनके साथ 100 अन्य नमाज़ी भी इस हमले में शहीद हो गए।

 

29 अगस्त सन 1949 ईसवी को सोवियत संघ ने अपने पहले परमाणु बम का गुप्त परीक्षण किया।

इस प्रकार परमाणु हथियारों के मैदान में अमरीका के साथ एक अन्य देश ने प्रवेश किया और दोनो देशों के मध्य शक्ति संतुलन स्थापित हुआ। इसके बाद अमरीका और रुस के मध्य शीत युद्ध आरंभ हुआ जो सोवियत संघ के विघटन तक जारी रहा।

 

29 अगस्त, सन् 1947 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत भारत में शिक्षा को समर्पित 'शिक्षा विभाग' को पुर्नस्थापित किया गया। हालांकि इस विभाग के नाम में उसकी कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियों में स्वतंत्रता के बाद भी समय-समय पर कई बदलाव किए जाते रहे हैं। वर्तमान  समय में मंत्रालय के पास शिक्षा के दो विभाग हैं:

   1- उच्च शिक्षा विभाग

    2-स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग

भारत की केंद्र सरकार ने अपनी अगुवाई में शैक्षिक नीतियॉं एवं कार्यक्रम बनाने और उनके क्रियान्‍वयन पर नज़र रखने के कार्य को जारी रखा है। इन नीतियों में सन् 1986 की राष्‍ट्रीय एजुकेशन पालेसी (एनपीई) तथा कार्यक्रम (पीओए) शामिल है।

29 अगस्त सन 1976 को प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय बांग्ला कवि नज़रूल इस्लाम का देहांत हुआ। क़ाज़ी नज़रूल इस्लाम बांग्ला के प्रतिरोधक एवं साहसी कवि थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने कवि नज़रूल इस्लाम की प्रतिभा का उच्च मूल्यांकन किया था और उनकी वीरता की प्रशंसा करते हुए अंग्रेज़ सरकार द्वारा नज़रूल इस्लाम को पीछा करने का कड़ा विरोध किया था। नज़रूल इसलाम की रचनाओं का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। कोलकाता के छोरवर्ती इलाके में उनका निवास स्थान था। नज़रूल इस्लाम की रचनाओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और क्रांतिकारियों में जोश भर दिया। अंग्रेज़ सरकार ने उनकी कई कविताओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। वे एक महान कवि होने के साथ साथ एक दक्ष संगीतकार भी थे।

उनके द्वारा बनाए गये  सुरों को नज़रूल गीती कहा जाता है। आज भी बांग्ला भाषा के वे सबसे लोकप्रिय व महान कवि हैं जिनकी कविताओं ने जन समुदाय के हृदय को स्पर्ष किया।

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8 शहरीवर सन 1360 हिजरी शम्सी को ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री मोहम्मद अली रजाई तथा प्रधान मंत्री मोहम्मद जवाद बाहुनर की आतंकवादी गुट एम के ओ ने तेहरान में प्रधानमंत्री कार्यालय में बम विस्फोट करके हत्या कर दी। शहीद रजाई ने अपनी सामाजिक गतिविधियां एक शिक्षक के रुप में आरंभ कीं। इसी के साथ ही उन्होंने शाह की अत्याचारी सरकार के विरुद्ध संघर्ष भी किया। इस्लामी क्रान्ति की सफलता तक वे कई बार जेल भेजे गये। इस्लामी क्रान्ति की सफलता के पश्चात उन्होंने शिक्षा मंत्री संसद के प्रतिनिधि, प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति पदों पर आसीन होकर जनता की सेवा की । अपने राष्ट्रपति काल में उन्होंने इस्लामी क्रान्ति के संघर्षकर्ता और अनुभवी व्यक्ति मोहम्मद जवाद बाहुनर को प्रधानमंत्री बनाया। चूँकि यह दोनों ही इस्लामी शासन व्यवस्था के प्रति निष्ठावान जनसेवक थे। इस लिए क्रान्ति के शत्रुओं की नज़र में हमेशा खटकते थे। इसी कारण क्रान्ति के शत्रु आतंकवादी गुट एम के ओ ने इन दोनों को बम विस्फोट करके शहीद कर दिया। इस घटना के बाद इमाम ख़ुमैनी ने कहा था कि श्री रजाई और श्री बाहुनर की महानता यह है कि वे सदा जनता के साथ रहे।

 

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9 मोहर्रम सन 61 हिजरी क़मरी को कर्बला में यज़ीद के सिपाही स्वयं को इमाम हुसैन अ और उनके साथियों पर आक्रमण के लिए तैयार कर रहे थे किंतु इमाम हुसैन अ ने अपने भाई अबुल फ़ज़लिल अब्बास को भेजकर यज़ीद की सेना से एक रात का समय मांगा ताकि वे ईश्वर की उपासना कर सकें। आज की रात इमाम हुसैन अ अपने साथियों के बीच खड़े हुए और ईश्वर का गुणग़ान करने के बाद बड़ी विनम्रता के साथ उन्होंने अपने साथियों से कहा कि यज़ीद की सेना मेरे खून की प्यासी है तुम लोग चाहो तो इस रात के अंधेरे में मुझे छोड़कर चले जाओ क्योंकि कल यज़ीदी सेना के साथ युद्ध में हम सबको शहीद होना है किंतु इमाम हुसैन के निष्ठावान साथियों ने अंतिम सांस तक पैग़म्बरे इस्लाम के नाती का साथ देने का दृढ़ संकल्प कर रखा था और उन्होंने अपने इस संकल्प को व्यवहारिक रुप भी दिया।