रविवार- 30 अगस्त
30 अगस्त 1569 को मुग़ल बादशाह अकबर के सबसे बड़े पुत्र सुल्तान सलीम मिर्ज़ा उर्फ़ जहांगीर का जन्म हुआ।
- 30 अगस्त 1659 को दारा शिकोह को औरंगज़ेब ने मौत की सज़ा दी।
- 30 अगस्त 1806 को न्यूयॉर्क शहर का दूसरा दैनिक समाचार पत्र “डेली एडवर्टाइज़र” अंतिम बार प्रकाशित किया गया।
- 30 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में एक प्रारूप समिति का गठन किया गया।
- 30 अगस्त 1981, ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद अली रजाई और प्रधान मंत्री मोहम्मद जवाद बाहुनर को आतंकवादी गुट एमकेओ ने एक बम धमाके में शहीद कर दिया।
- 30 अगस्त 1984 को अंतरिक्ष यान “डिस्कवरी” ने पहली बार उड़ान भरी।
- 30 अगस्त 1991 को आज़रबाइजान ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
- 2007, जर्मनी के दो वैज्ञानिक गुंटर निमित्ज़ और आल्फ़ोंस स्टालहोफ़ेन ने अल्बर्ट आइंसटीन के सापेक्षता के सिद्धान्त को ग़लत ठहराने का दावा किया।
- 2007, बांग्लादेश सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनुस के सम्मान में डाक टिकट जारी किया।
30 अगस्त 1999 को पूर्वी तिमोर के निवासियों ने इंडोनेशिया से आजादी के लिए भारी मतदान किया। पूर्वी तिमोर, आधिकारिक रूप से लोकतांत्रिक गणराज्य है तिमोर दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक देश है। ऑस्ट्रेलिया से 640 किलोमीटर उत्तर पश्चिमी में स्थित इस देश का कुल क्षेत्रफल 15,410 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 1511 ईसवी में पूर्वी तिमोर सहित इन्डोनेशिया के अन्य द्वीप पर पुर्तगाल ने क़ब्ज़ा कर लिया और 19वीं शताब्दी में इन्डोनेशिया पर हालैंड के अतिग्रहण के बाद केवल पूर्वी तिमोर पुर्तगाल के नियंत्रण में बाक़ी रहा। वर्ष 1945 में इन्डोनेशिया स्वतंत्र हुआ और वर्ष 1976 तक पूर्वी तिमोर पुर्तगाल के नियंत्रण में रहा यहां तक कि इंडोनेशिया ने इस पर हमला कर कब्जा कर लिया और इसे अपना 27वां प्रांत घोषित कर दिया। वर्ष 1998 में जनरल सोहार्तो के शासन के पतन और इन्डोनेशिया में राजनैतिक संकट उत्पन्न होने के बाद पूर्वी तिमोर में स्वतंत्रता प्रेमी आंदोलन तेज़ हो गये और 1999 में संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित आत्म-निर्णय क़ानून के बाद इंडोनेशिया ने क्षेत्र पर से अपना नियंत्रण हटा लिया और यह देश स्वतंत्र हो गया। पूर्वी तिमोर एशिया के दो रोमन कैथोलिक बहुल देशों में से एक है। दूसरा देश फ़िलीपीन्स है।
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9 शहरीवर वर्ष 1286 हिजरी शम्सी को साम्राज्यवादी देशों ब्रिटेन और रूस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर करके ईरान को तीन भागों में विभाजित कर दिया।
इस विभाजन के आधार पर ईरान का केन्द्रीय क्षेत्र निष्पक्ष घोषित कर दिया गया। ईरान के उत्तरी और पश्चिमी भाग पर रूस का नियंत्रण हो गया जबकि दक्षिणी भाग पर ब्रिटेन का क़ब्ज़ा हो गया। ईरान को विभाजित करने का समझौता ऐसी स्थिति में हुआ कि ईरान की सरकार क़ाजार शासकों की अयोग्यता के कारण कमज़ोर हो गयी थी और यही कारण था कि रूस और ब्रिटेन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए ईरानी सरकार तक से परामर्श नहीं किया। इन सबके बावजूद ईरान के विभाजन के लिए साम्राज्यवादी शक्तियों के समझौते के कारण जनता में आक्रोष व्याप्त हो गया और देश की राष्ट्रीय संसद ने भी इस समझौते का विरोध किया। इस समझौते के विरोध में संसद में पास होने वाले प्रस्ताव के बावजूद रूस और ब्रिटेन ने व्यवहारिक रूप से ईरान को आपस में बाट लिया। रूसी क्रांति के बाद दोनों देश के सैनिक ईरान से निकल गये।
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10 मोहर्रम सन 61 हिजरी क़मरी को इराक़ के कर्बला में हक़ और बातिल का ज़ोरदार टकराव हुआ। इस प्रकार इस्लामी तथा मानवता के इतिहास की अंत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशीन घटना हुई। आज के दिन इमाम हुसैन अ ने अपने 72 साथियों के साथ ईश्वरीय मार्ग की रक्षा और अत्याचार का मुक़ाबला करने के लिए यज़ीद की बड़ी सेना से युद्ध किया। इमाम हुसैन अ इराक़ के कूफ़ा नगर के निवासियों के निमंत्रण पर इस नगर की ओर जा रहे थे ताकि उन्हें यज़ीद के अत्याचार से छुटकार दिलाएं। किंतु यज़ीदी सेना ने इमाम हुसैन अ का रास्ता रोक दिया और उनसे बैअत मांगी जिसका इमाम हुसैन अ ने कड़ाई से विरोध किया । इस प्रकार इमाम हुसैन अ और यज़ीद की सेना के बीच दस मोहर्रम की सुबह से युद्ध छिड़ा जो दोपहर बाद तक जारी रहा। इतने कम समय में इमाम हुसैन अ के 72 साथियों ने बलिदान, शहादत और वफ़ादारी का वो उदाहरण पेश किया जिससे प्रलय तक हर व्यक्ति, प्रेरणा लेता रहेगा।