Oct १५, २०१६ १२:२८ Asia/Kolkata
  • नेपोलियन बोनापार्ट
    नेपोलियन बोनापार्ट

16 अक्तूबर 1942, बंगाल की खाड़ी में आए तूफ़ान में लगभग 40,000 हज़ार लोगों की मौत हो गई।

16 अक्तूबर सन 1815 ईसवी को फ्रांस के तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट दूसरा देशनिकाला का जीवन बिताने सेंट हेलन द्वीप पहुंचे और इस प्रकार उनका दूसरा देशनिकाला का जीवन आरंभ हुआ। नेपोलियन को जो पूरे विश्व पर राज करने का सपना देख रहा था यूरोप के बड़े भाग पर अधिकार कर लेने के बाद वाटरलू युद्ध में ब्रिटिश कमांडर वेलिन्गटन के हाथों पराजय हुई जिसके बाद ब्रिटेन ने उन्हें सेंट हेलन भेज दिया। मई 1821 में वहीं नेपोलियन की मृत्यु हो गई।

16 अक्तूबर वर्ष 1917 को शायर लखनवी का जन्म हुआ। उनका पूरा नाम मुहम्मद हसन पाशा था। पाकिस्तान बनने से पूर्व जिन शायरों ने साहित्य जगत का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया था, उनमें शायर लखनवी भी शामिल थे। लखनऊ ऊर्दू साहित्य का बहुत बड़ा केन्द्र था। अज़ीज़ लखनवी, साक़िब लखनवी, सफ़ी लखनवी और जाफ़र अली ख़ान असर की आवाज़ के साथ शायर लखनवी की आवाज़ भी शामिल थी। उनकी आवाज़ में ऊर्दू की सभ्यता और लखनऊ की संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें और काव्य संकलन लिखे हैं जिनका नाम निकहतो नूर, मजमूअए नात, ज़ख़्मे हुनर और मजमूअए ग़ज़लियात का नाम लिया जा सकता है। 23 सितंबर वर्ष 1989 को पाकिस्तान के कराची नगर में उनका निधन हो गया।

16 अक्तूबर सन 1946 ईसवी को नोरेनबर्ग न्यायालय के फ़ैसले के अनुसार जर्मनी के 9 नाज़ी नेताओं को युद्ध अपराध के दोष में मृत्यु दंड दे दिया गया। हिटलर का दायां हाथ कहे जाने वाले जर्मन वायु सेना के प्रमुख हरमैन गोरयंग को भी मृत्युदंड सुनाया गया था किंतु फांसी पर चढ़ाए जाने से कुछ ही घंटों पूर्व उसने आत्महत्या कर ली। न्यायालय ने 9 नाज़ी नेताओं को आजीवन कारावास का दंड भी सुनाया था जबकि तीन को बरी कर दिया था। इस न्यायालय में अमरीका, सोवियत संघ, ब्रिटेन और फ़्रांस के प्रतिनिधि सम्मिलित थे। न्यायालय ने 22 नाज़ी नेताओं पर 30 सितंबर 1946 से मुक़द्दमे की कार्यवाही आरंभ की थी।

16 अक्तूबर वर्ष 1951 में पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान एक आक्रमण में मारे गये। वे 2 अक्तूबर वर्ष 1896 को भारत के क्षेत्र करनाल में जन्मे। वर्ष 1918 में उन्होंने एमएओ कालेज अलीगढ़ से बीए की डिग्री प्राप्त की। फिर उन्होंने आक्सफ़ोर्ड विश्व विद्यालय से क़ानून की डिग्री प्राप्त की और वर्ष 1922 में इंग्लैंड बार में शामिल हुए। वर्ष 1923 में वह भारत वापस आए और मुस्लिम लीग में शामिल हो गये। वर्ष 1936 में वे मुस्लिम लीग के महासचिव बने। वे मुहम्मद अली जेनाह के बहुत ही विश्वस्त साथियों में थे। वर्ष 1923 में स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने अपने देश को विदेशियों के वर्चस्व से स्वतंत्र कराने के लिए राजनीति में आने का निर्णय लिया। वर्ष 1924 में मुहम्मद अली जेनाह के नेतृत्व में मुस्लिम लीग का सम्मेलन लाहौर में हुआ। इस सम्मेलन का उद्देश्य मुस्लिम लीग को पुनर्जीवित करना था। इस सम्मेलन में लियाक़त अली ख़ान ने भी भाग लिया। वर्ष 1926 में वे उत्तर प्रदेश से संविधान परिषद के सदस्य चुने गये और वर्ष 1940 तक केन्द्रीय संविधान निर्माण परिषद के सदस्य चुने जाने तक वह यूपी एसेम्बली के सदस्य रहे।

 

16 अक्तूबर वर्ष 1952 को पाकिस्तान की क्रिकेट टीम ने भारत से अपना पहला टेस्ट मैच नई दिल्ली में खेला। यह टीम क्रिकेट जगत में पाकिस्तान का नेतृत्व करती है जिसका कारभार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के हाथ में है। वर्ष 1952 में पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने की अनुमति इन्टरनैश्नल क्रिकेट काउंसिल आईसीसी ने दी। पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने इमरान ख़ान की कप्तानी में वर्ष 1992 में इग्लैंड को हराकर पहला क्रिकेट विश्वकप जीता था।

 

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25 मेहर सन 1368 हिजरी शम्सी को विख्यात ईरानी संगीतकार मुर्तज़ा हन्नाने का निधन हुआ। वह 1301 हिजरी शम्सी में जन्मे। उन्होंने आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद संगीत सीखना आरंभ किया। उन्होंने कई फ़िल्मों को संगीत दिया। संगीत के क्षेत्र में उनकी कई विख्यात रचनाएं हैं। 

 

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28 सफ़र सन 11 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद स ने 63 वर्ष की आयु में नश्वर संसार से विदा ली।

हिजरत से 52 वर्ष पूर्व वे मक्का नगर में जन्में। युवाकाल से ही अपनी सच्चाई और ईमानदारी के लिए वे अत्याधिक लोकप्रिय हो गये। उन्हें लोग सादिक़ अर्थात सच्चा और अमीन अर्थात इमानदार के नाम से पुकारने लगे। हज़रत मोहम्मद (स) ने 40 वर्ष की आयु में ईश्वर के इच्छानुसार अपनी पैग़म्बरी की घोषणा की और जातीय एवं वर्गीय भेदभाव को ख़त्म किया। उन्होंने इस्लाम नामक ऐसा धर्म और जीवनशैली संसार के समक्ष पेश किया जो आज भी शताब्दियों के बाद जीवित है। वर्तमान समय में डेढ़ अरब से अधिक मुसलमान इस आसमानी धर्म का अनुसरण कर रहे हैं।

आज ही के दिन पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम हसन अ भी शहीद हुए। वे हज़रत अली अ और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा स के पुत्र थे।

उन्हें उमवी शासक मुअविया ने षडयंत्र रचकर शहीद करवाया।

 

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