शनिवार - 17 अक्तूबर
17 अकतूबर सन 1979 ईसवी को अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता मदर टेरेसा को नोबल पुरस्कार दिया गया।
17 अक्तूबर सन 1973 से तेल निर्यातक अरब देशों ने इस्राईल को तेल बेचने वाली कंपनियों और अमरीका व ब्रिटेन पर प्रतिबंध लगा दिया। क्योंकि 6 अक्तूबर से मिस्र और सीरिया के विरुद्ध आरंभ होने वाले इस्राईल के युद्ध में अमरीका और ब्रिटेन ने इस्राईल का व्यापक समर्थन किया था। तेल निर्यातक देशों के संगठन आपेक की बैठक में तेल की कीमतों में वृद्धि की घोषणा के एक दिन बाद अरब देशों ने ब्रिटेन अमरीका और इस्राईल पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी। इस प्रकार तेल की कीमत तेज़ी से बढ़ गयी। तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि पश्चिमी देशों के लिए अप्रत्याशित थी अत: इसे ऑयल शॉक का नाम दिया गया। किंतु कुछ समय बाद कुछ अरब देशों ने प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए अमरीका और ब्रिटेन को तेल बेचना आरंभ कर दिया। सीमित समय के लिए अरब देशों की ओर से लगाए जाने वाले इस प्रतिबंध और पश्चिमी देशों पर इसके व्यापक प्रभावों से सिद्ध हो गया कि तेल के स्वामी अरब देशों के पास तेल बहुत ही प्रभावी व उपयोगी हथियार है जिसके प्रयोग से वह इस्राईल के प्रति पश्चिम के समर्थन का मुक़ाबला कर सकते हैं और इसका प्रयोग करके वे इस समर्थन को बंद करवा सकते हैं।
17 अक्तूबर सन 1983 ईसवी को फ़्रांस के समाज शास्त्री रेमन्ड आरोन का निधन हुआ। वे सन 1905 में जन्में थे। उन्होंने पेरिस के सोरबन विश्वविद्यालय में वर्षों तक समाज शास्त्र के विषय की शिक्षा दी। वे पेरिस से प्रकाशित होने वाली पत्रिकाओं फ़िगारो और एक्सप्रेस में भी लेख लिखते थे। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें परमाणु युद्ध का आरंभ, शताब्दी के अंतिम वर्ष आदि का नाम लिया जा सकता है।
17 अक्तूबर वर्ष 2009 को हिंद महासागर में स्थित देश मालदीव ने पानी के अंदर दुनिया की पहली कैबिनेट बैठक कर सभी राष्ट्रों को ग्लोबल वर्मिंग के ख़तरे से अवगत कराने का प्रयास किया। मालदीव द्वीप समूह में 1,192 टापू हैं जिसमें 200 बस्तियां हैं। मालदीव जनसंख्या और क्षेत्र, दोनों ही दृष्टि से एशिया का सबसे छोटा देश है।
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26 मेहर सन 1359 हिजरी शम्सी को इस्लामी गणतंत्र ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति शहीद मोहम्मद अली रजाई ने राष्ट्रसंघ की महासभा में भाग लेकर ईरान पर इराक़ द्वारा थोपे जाने वाले आठ वर्षीय युद्ध के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से भाषण दिया। उन्होंने इसी प्रकार इस्राईल के हाथों फ़िलिस्तीन के अतिग्रहण और विश्व के विभिन्न भागों में साम्राज्यवादी षडयंत्रों की चर्चा की। इस भाषण के बाद अमरीकी सरकार के विभिन्न प्रतिनिधियों ने ईरानी राष्ट्रपति से भेंटवार्ता का प्रयास किया किंतु शहीद रजाई ने अमरीका की दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में आपराधिक गतिविधियों के कारण इस भेंट को स्वीकार नहीं किया।
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29 सफ़र सन 1286 हिजरी क़मरी को ईरान के बड़े विद्वान व धर्मगुरु मुल्ला हुसैनअली तूइसेरकानी का इसफ़ाहान नगर में निधन हुआ।
वे इस्लामी विषयों विशेषकर फ़िक़ह और उसूले फ़िक़ूह का व्यापक ज्ञान रखते थे। उन्होंने अपने जीवन का लबा समय शिक्षा देने में बिताया।
उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रस्तकें लिखी हैं। जिनमें फ़िक़ह की पुस्तक “ कशफ़ुल असरार” इसी प्रकार उसुले अक़ायदु मकारेमुल अख़लाक़ आदि का नाम लिया जा सकता है।