Oct १५, २०१६ १४:५३ Asia/Kolkata
  • रविवार- 18 अक्तूबर

1922 को ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी बीबीसी की स्थापना की गई।

18 अक्तूबर सन 1565 ईसवी को फ़िलिपीन औपचारिक रुप स्पेन के एशियाई उपनिवेशों में शामिल हो गया। पुर्तगाल के नाविक माज़लान ने सन 1521 में इस द्वीप की खोज की थी और सोलहवीं शताब्दी के अंत तक इस द्वीप समूह पर स्पेन का अधिकार हो गया। स्पेन ने इस देश पर अपने तीन शताब्दियों के वर्चस्व के दौरान इसे जमकर लूटा। अंतत: सन 1898 ईसवी में अमरीका से पराजित होने के बाद स्पेन को यह क्षेत्र अमरीका को देना पड़ा और 1946 में इस देश को स्वतंत्रता मिली। यह द्वीप समूह दक्षिण पूर्वी एशिया में स्थित है इसका क्षेत्रफल तीन लाख वर्ग किलोमीटर है।

 

18 अक्तूबर सन 1912 ईसवी को उसमानी शासन और इटली ने संधि के समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार उसमानी शासन ने लीबिया को इटली के हवाले किया। इटली की सेना ने इस समझौते से एक वर्ष पूर्व लीबिया पर अपना आक्रमण आरंभ किया। आरंभ में उसमानी शासन को इटली की सेनाओं के मुकाबले में कुछ सफलताएं मिलीं किंतु अंतत: इटली की सेना ने लीबिया पर अधिकार कर लिया। उसमानी शासन के विरुद्ध बालकान के प्रथम युद्ध के लक्षण स्पष्ट हो जाने के बाद उसमानी शासन इटली के साथ संधि करने और लीबिया छोड़ने पर विवश हो गया इसके बावजूद लीबिया की जनता ने वर्षों तक अतिग्रहणकारियों से संघर्ष किया। द्वितीय विश्व युद्ध के परिवर्तनों और फिर कुछ समय तक फ़्रांस और ब्रिटेन के अधीन रहने के पश्चात 1951 में लीबिया को स्वतंत्रता मिली। 

 

18 अक्तूबर सन 1922 कत बीबीसी रेडियो की स्थापना हुई किंतु 1927 में यह संस्था सरकार के नियंत्रण में चली गई और यह ब्रिटेन का सरकारी रेडियो हो गया बीबीसी ने 1936 से अपना टीवी प्रसारण आरंभ किया। बीबीसी निष्पक्षता का दावा करता है किंतु पिछली अर्ध शताब्दी में यह संस्था ब्रिटिश सरकार के प्रोपगंडे का साधन सिद्ध हुई है और इसने विभिन्न देशों के आंतरिक मामलों में लंदन के हस्तक्षेप की भूमि समतल की है और लक्ष्यपूर्ण समाचारों तथा कार्यक्रमों से तीसरी दुनिया के देशों में ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीतियों का औचित्य पेश करती रही है।

 

18 अक्तूबर सन 1931 ईसवी को इलेक्ट्रीसिटी के खोजकर्ता थॉमस एडिसन का निधन हुआ। उनका जन्म सन 1847 में अमरीका में हुआ था। उन्होंने किसी विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त नहीं की केवल अपने प्रयोगों के माध्यम से उन्होंने अपने ज्ञान का स्तर ऊचा किया। उन्होंने युवाकाल में एक रासायनिक प्रयोगशाला बनाई और उसमें वे विभिन्न प्रयोगों में व्यस्त रहते थे। उन्होंने अपने परिश्रम से बहुत से आविष्कार किए जिनमें बल्ब ग्रामोफ़ोन और फ़ोनोग्राफ़ का नाम लिया जा सकता है।

 

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27 मेहर सन् 1371 हिजरी शम्सी को ईरान के समकालीन संगीतकार उस्ताद हबीबुल्लाह बदीई का निधन हुआ। उन्हें बचपन से ही संगीत से लगाव था और उन्होंने किशोर अवस्था में वायलिन बजाना सीखा। उस्ताद हबीबुल्लाह बदीई ने 200 से भी अधिक गीतों को संगीत दिया है। उनके पहले गीत का नाम माहे कनान है कि जिसमें माहूर का उपयोग किया है।

 

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1 रबीउल औवल सन 1हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेहि व सल्लम का ऐतिहासिक पलायन आरंभ हुआ। पैग़म्बरी की घोषणा को 13 वर्ष बीत जाने के पश्चात हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेहि व सल्लम ने मक्का नगर के अनेकेश्वरवादियों के अत्याचार से तंग आकर मदीना नगर की ओर पलायन किया। पैग़म्बरे इस्लाम ने ऐसे समय में मक्का नगर से पलायन किया जब अनेकेश्वरवादी मिलकर रात के समय उनकी हत्या करने पर सहमत हो गये थे।

किंतु हज़रत अली अलैहिस्सलाम बलिदान का प्रदर्शन करते हुए उस रात पैग़म्बरे इस्लाम के बिस्तर पर सो गये ताकि शत्रु पैग़म्बरे इस्लाम के मक्का से चले जाने से अवगत न हो सकें।

पैग़म्बरे इस्लाम का मदीना पलायन और उसके बाद की घटनाएं इतनी महत्वपूर्ण थीं कि यह मुसलमानों के इतिहास का आरंभिक बिंदु बनीं।

मदीना नगर के लोगों ने बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ पैग़म्बरे इस्लाम का स्वागत किया। हिजरत को कुछ ही दिन बीते थे कि इस्लाम का राजनैतिक और सैनिक धड़ा पूर्ण रुप से व्यवस्थित हो गया और एक इस्लामी शासन अस्तित्व में आ गया। इस प्रकार इस्लामी सभ्यता की नींव पड़ी।

उल्लेखनीय है कि पैग़म्बरे इस्लाम ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने पलायन को तारीख़ का आरंभिक बिन्दु बना दिया और इसी घटना के बाद से हिजरी वर्ष आरंभ हुआ तथा पैग़म्बरे इस्लाम ने इसके बाद से अपने सभी पत्रों और दस्तावेज़ों में इसी वर्ष के अनुसार तारीख़ लिखी।

पहली रबीउल औवल सन 65 हिजरी क़मरी को इमाम हुसैन और उनके साथियों के ख़ून का बदला लेने के लिए तव्वाबीन नामक गुट ने संघर्ष आरंभ किया।

कूफ़ा के निवासियों ने पहले पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को अपने नेतृत्व और मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया था किंतु उन्होंने कठिन समय में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का साथ नहीं दिया और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को कर्बला में शहीद कर दिया गया जिसके बाद कूफ़े के लोगों ने जिन्हें तव्वाबीन का नाम दिया गया, अपने इस पाप के प्रायश्चितें भरपाई करने के लिए सुलैमान बिन सोरद ख़ज़ाई के नेतृत्व में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के हत्यारों के विरुद्ध लड़ाई आरंभ की इस लड़ाई में इस गुट के अधिकांश लोग शहीद कर दिए गये।

 

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