Oct २४, २०१६ १३:५१ Asia/Kolkata
  • मंगलवार- 27 अक्तूबर

27 अक्तूबर सन 1905 ईसवी को नार्वे स्वीडन से अपना गठजोड़ समाप्त करके स्वतंत्र हो गया।

14वीं शताब्दी से पहले तक नार्वे एक शक्तिशाली देश था। वर्ष 1380 में उस पर डेनमार्क का अधिकार हो गया और चार शताब्दियों तक आंतरिक स्वायत्तता के साथ डेनमार्क के नियंत्रण में रहा। वर्ष 1814 में नेपोलियन के साथ युद्ध में स्वीडन की सहायताओं के बदले डेन्मार्क ने नार्वे को उसे सौंप दिया जिसके बाद नार्वे में विद्रोह आंरभ हो गया। अंततः वर्ष 1905 में नार्वे को स्वतंत्रता मिल गई।

 

27 अक्तूबर सन 1910 ईसवी को रूस और चीन के साथ कई वर्षों के युद्ध के बाद जापान को इन दोनों देशों पर विजय मिली और जापान ने कोरिया को औपचारिक रूप से अपना भाग बना लिया। जापान के इस क़दम पर कोरिया की जनता ने विद्रोह आरंभ कर दिया किंतु फिर भी यह देश दूसरे विश्व युद्ध में जापान की पराजय तक उसके क़ब्ज़े में बाक़ी रहा। दूसरे विश्व युद्ध में उत्तरी कोरिया पर सोवियत संघ की और दक्षिणी भाग पर अमरीकी सेना का अधिकार हो गया तथा कोरिया प्रायद्वीप दो भागों में बंट गया। इस प्रकार दो देश अस्तित्व में आ गए जिनके एकीकरण के प्रयास अब तक जारी हैं।

 

27 अक्तूबर सन 1946 ईसवी को फ्रांस में जनमत संग्रह के बाद इस देश के चौथे राष्ट्रपतिकाल के संविधान को जनता की स्वीकृति मिली इस प्रकार फ्रांस में चौथा लोकतंत्र आरंभ हुआ। फ्रांस की तीसरी लोकतांत्रिक व्यवस्था मई 1940 में इस देश पर जर्मनी का अधिकार हो जाने के साथ ही समाप्त हो गई थी। 12 वर्षों तक चलने वाली फ्रांस की चौथी लोकतांत्रिक व्यवस्था मे इस देश में 33 सरकारें सत्ता में आईं। इस अवधि में फ्रांस को दूसरे विश्व युद्ध से उत्पन्न होने वाली आर्थिक समस्याओं तथा उसके वियतनाम और अलजीरिया जैसे उपनिवेशों में स्वाधीनता के लिए हो रहे संघर्ष के चलते, भारी कठिनाइयों का सामना था। अलजीरिया के आंदोलनकारियों से फ्रांस की पराजय और उसकी आंतरिक व राजनैतिक समस्याएं विशेषकर संविधान से जुड़ी कठिनाइयों के कारण फ्रांस में वर्ष 1958 में चौथा लोकतंत्र अस्तित्व में आया।

27 अक्तूबर सन 1958 ईसवी को पाकिस्तान में सेनाध्यक्ष जनरल मोहम्मद अय्यूब ख़ां ने विद्रोह करके सत्ता अपने हाथ में ले ली। उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर क़ब्ज़ा करके देश में सैनिक शासन लागू कर दिया। उन्हें वर्ष 1965 में राष्ट्रपति चुनावों में विजय मिल गई किंतु राजनैतिक और आर्थिक संकटों के कारण धीरे धीरे उनका विरोध तेज़ी से बढ़ता गया। अंततः वे वर्ष 1969 में सत्ता जनरल यहया  ख़ान को हस्तांतरित करने पर विवश हुए।

 

27 अक्तूबर सन 1991 ईसवी को तुर्कमिनस्तान की उच्च परिषद ने सोवियत संघ से इस देश की स्वतंत्रता को स्वीकृति दी।

 

27 अक्तूबर वर्ष 2006 को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ग़ुलाम इस्हाक़ ख़ान बंगश का निधन हुआ। उनका जन्म 22 फ़रवरी वर्ष 1915 को हुआ था। उन्होंने राजनीति में आने से पूर्व बहुत से सरकारी पदों पर सेवाएं कीं। आरंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने पेशावर से स्नातक किया और वर्ष 1940 में इंडियन सिविल सर्विस में शामिल हो गये। वर्ष 1955 में जब एक ईकाई के अंतर्गत पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान के नाम से दो प्रांत बनाए गये तो उन्हें सिचाई सेक्रेट्ररी बनाया गया। वर्ष 1961 में बिजली पानी के उपकरणों के विकास और निरिक्षण संस्था वापडा के प्रमुख बने और वर्ष 1965 तक इसी पद पर रहे। उसके बाद पांच वर्षों से अधिक समय तक वित्त सचिव रहे। वर्ष 1987 में जब जनरल ज़ियाउल हक़ एक विमान दुर्घटना में मारे गये तो उन्हें पहले वित्त सलाहकार और फिर वित्तमंत्री बनाया गया। पाकिस्तान के लिए सेवाएं अंजाम देने के कारण उन्हें सितारये पाकिस्तान और हेलाले पाकिस्तान के सम्मान से सम्मानित किया गया। वर्ष 1984 के अंत में उन्हें सेनेट का चेयरमैन बनाया गया जो संविधान के अनुसार राष्ट्रपति का उतराधिकारी समझा जाता है। वर्ष 1988 में पिपल्स पार्टी और आई जे आई के संयुक्त समर्थन से वे पाकिस्तान के सातवें राष्ट्रपति चुने गये। 

 

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10 रबीउल औवल सन 28हिजरी पूर्व पैग़म्बरे इस्लाम ने हज़रत ख़दीजा से विवाह किया।

हज़रत ख़दीजा के पिता का नाम ख़ुवैलद था हज़रत ख़दीजा बहुत ही पवित्र और आदर्श महिला थीं उन्हें ताहेरा अर्थात पवित्र के नाम से पुकारा जाता था। पैग़म्बरे इस्लाम से अपने विवाह के बाद हज़रत ख़दीजा ने जीवन के हर क़दम पर पैग़म्बरे इस्लाम स का साथ दिया । इस्लाम स्वीकार करने वाली वो पहली महिला थीं। उन्होंने अपनी पूरी क्षमता और धन दौलत से इस्लाम धर्म की सेवा की और उसका प्रचार प्रसार किया। वे अपने काल के बड़े धनवानों में गिनी जाती थीं। उन्होंने विवाह के बाद अपना सारा धन पैग़म्बरे इस्लाम के हवाले करके उसे इस्लाम के मार्ग में ख़र्च करने की इच्छा प्रकट की।

 

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