Oct २७, २०१८ ०२:०० Asia/Kolkata
  • बुधवार - 28 अक्तूबर

1891, जापान में भूकंप से 7,300 लोगों की मौत हो गई।

28 अक्तूबर सन 1492 ईसवी को क्रिस्टोफ़र कोलम्बस ने क्यूबा के पूर्वी तट की खोज की जिसके पश्चात स्पेन की सेनाएं इस क्षेत्र में पहुँचीं। इस प्रकार उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों का शोषण तथा प्राकृतिक स्रोतों की लूट-खसोट आरंभ कर दी। स्पेन की सरकार ने क्यूबा पर अपना वर्चस्व सुदृढ़ करने के लिए क्षेत्र के रेड इंडियन्स का जन्संहार आरंभ कर दिया किंतु थोड़े थोड़े अंतराल से स्थानीय जनता की ओर से स्पेन का विरोध होता रहा जो अंतत: एक आंदोलन में परिवर्तित हो गया। इस देश की परिस्थितियों में बहुत से उतार-चढ़ाव आए और वर्ष 1898 में अमरीकी साम्राज्य ने, स्पेन का स्थान ले लिया। वर्ष 1902 ईसवी में क्यूबा को स्वतंत्रता मिली।

28 अक्तूबर सन 1940 ईसवी को इटली की फ़ासीवादी सरकार के अध्यक्ष मोसोलीनी के नेतृत्व में इस देश की दो लाख की सेना ने यूनान पर आक्रमण किया। यह आक्रमण ऐसी स्थिति में हुआ जब इटली के घटक नाज़ी जर्मनी ने योरोप में द्वितीय विश्व युद्ध की आग भड़का दी थी। इटली के आक्रमण का यूनान की जनता ने डटकर मुक़ाबला किया और उसे हरा दिया। पराजय के बाद इटली के सैनिक यूनान के क्षेत्र से बाहर निकल गए।

28 अकतूबर सन 1948 ईसवी को अरबों से इस्राईल के युद्ध के दौरान ज़ायोनी सैनिकों ने फ़िलिस्तीन के दवाएमा गांव पर आक्रमण करके निर्दोष ग्रामवासियों का नरसंहार किया। ज़ायोनियों ने इस नगर की मस्जिद पर हमला करके 75 मुसलमानों को नमाज़ अदा करते समय मार डाला और फिर गांव के हर व्यक्ति की जान ले ली। इसके बाद पूरे गांव को ध्वस्त कर दिया। वर्ष 1948 में जब संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों ने इस संस्था में ज़ायोनी शासन के राजदूत से इस गांव की घटना के बारे में पूछा तो राजदूत ने इस नाम के किसी गांव के अस्तित्व का ही इंकार कर दिया।

28 अकतूबर सन 1948 ईसवी को अरबों से इस्राईल के युद्ध के दौरान ज़ायोनी सैनिकों ने फ़िलिस्तीन के दवाएमा गांव पर आक्रमण करके निर्दोष ग्रामवासियों का नरसंहार किया। ज़ायोनियों ने इस नगर की मस्जिद पर हमला करके 75 मुसलमानों को नमाज़ अदा करते समय मार डाला और फिर गांव के हर व्यक्ति की जान ले ली। इसके बाद पूरे गांव को ध्वस्त कर दिया। वर्ष 1948 में जब संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों ने इस संस्था में ज़ायोनी शासन के राजदूत से इस गांव की घटना के बारे में पूछा तो राजदूत ने इस नाम के किसी गांव के अस्तित्व का ही इंकार कर दिया।

28 अक्तूबर सन 1962 ईसवी को सोवियत संघ के तत्कालीन नेता नेकेटा ख़ोरोश्चोफ़ की ओर से इस देश की परमाणु प्रक्षेपास्त्र की वाहक नौकाओं की वापसी का आदेश दिए जाने के पश्चात क्यूबा का प्रक्षेपास्त्र संकट समाप्त हुआ। सोवियत संघ ने कई  महीनों से क्यूबा में जो अमरीका से 90 मील की दूरी पर स्थित है, परमाणु वॉरहेड से लैस प्रक्षेपास्त्रों के लिए लान्च पैड तैयार कर लिए थे। उसने परमाणु प्रक्षेपास्त्र युक्त अपनी नौकाएं क्यूबा भेजी थीं। सोवियत संघ यह प्रक्षेपास्त्र लान्च पैड पर स्थापित करना चाहता था। अमरीका ने इन प्रक्षेपास्त्रों से ख़तरे का आभास करते हुए क्यूबा का समुद्री परिवेष्टन कर लिया और सोवियत संघ को धमकी दी कि यदि परमाणु प्रक्षेपास्त्र वाहक उसकी नौकाएं वापस न गईं तो वह उन पर और क्यूबा पर परमाणु आक्रमण कर देगा। इस प्रकार विश्व, परमाणु युद्ध के मुहाने पर जा पहुँचा और सोवियत संघ, योरोपो तथा अमरीका में जनता भयभीत हो गई। अंतत: सोवियत संघ ने आज के दिन अपनी नौकाओं की वापसी का आदेश दिया और क्यूबा में अपने प्रक्षेपास्त्र लॉच पैड भी समाप्त कर दिए जबकि चीन और क्यूबा ऐसा नहीं चाहते थे।

 

28 अक्तूबर सन 2005 ईसवी को चेकोस्लोवाकिया देश ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। इस देश की चेक और स्लाव जातियों के मध्य प्राचीन काल से निकट संबंध थे जिन्होंने नवीं शताब्दी में मिलकर एक साम्राज्य की स्थापना की जो 10वीं शताब्दी में समाप्त हो गया। इस प्रकार यह जातियॉ ऑस्ट्रिया-हंग्री साम्राज्य के अधीन हो गईं। यह स्थिति प्रथम विश्व युद्ध में ऑस्ट्रिया-हंग्री साम्राज्य की पराजय तक जारी रही इसके बाद चेक और स्लाव जातियॉ स्वाधीन हो गईं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह क्षेत्र पूर्व सोवियत संघ के प्रभाव में कम्यूनिस्ट ब्लॉक में चला गया किंतु 1980 के दशक में पूर्वी ब्लॉक पर सोवियत संघ के नियंत्रण के कमज़ोर हो जाने के बाद चेक और स्लाव जातियों ने स्वतंत्रता की मांग की और जुलाई 1992 में एक जनमत संग्रह में जनता ने इस देश को चेक और स्लोवाकिया दो देशों में विभाजित किए जाने के पक्ष में मत दिए जिसके बाद यह क्षेत्र दो देशों में विभाजित हो गया।

 

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7 आबान सन 1305 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रख्यात संघर्षकर्ता धर्मगुरू आयतुल्लाह सैयद हसन मुदर्रिस पर जानलेवा आक्रमण हुआ। यह आक्रमण शाह रज़ाख़ान के तत्वों ने किया था। शाही शासन के अत्याचारों और कुकर्मों को जनता के सामने पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आयतुल्लाह मुदर्रिस शाही शासन के निशाने पर थे। वे कुछ समय तक सांसद भी रहे। आज के दिन होने वाले जानलेवा आक्रमण में आयतुल्लाह हसन मुदर्रिस जीवित बच गए किंतु बाद में शाह रज़ाख़ान के आदेश पर उन्हें निर्वासित कर दिया गया और इसके कुछ समय बाद उन्हें शहीद कर दिया गया।

 

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11 रबीउल औवल सन 1293 हिजरी क़मरी को ईरान की राजधानी तेहरान में विख्यात विद्वान शैख़ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी का जन्म हुआ। तेहरान में आरंभिक शिक्षा प्राप्ति के बाद वे उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए इराक़ के नजफ़ नगर पहुंचे और वहॉं वरिष्ठ धर्मगुरुओं से शिक्षा प्राप्त की उन्होंने इराक़ ईरान मिस्र सीरिया सऊदी अरब फ़िलिस्तीन और दूसरे कई देशों के पुस्तकालयों में जाकर गहन अध्ययन किया और पुस्तकों के बारे में जानकारी की इंसाइक्लोपीडिया की रचना की। इसका नाम अज़्ज़रीआ एला तसानीफिश्शीया है यह पुस्तक 26 प्रतियों पर आधारित है।

सन 1389 हिजरी क़मरी में उनका निधन हुआ।

 

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