Oct ३१, २०१६ १३:५३ Asia/Kolkata
  • मंगलवार- 3 नवम्बर

3 नवम्बर सन 1814 ईसवी को योरोपीय देशों के प्रमुखों की सम्मिलिति से वियना कॉन्फेन्स का आयोजन हुआ।

वियना आस्ट्रिया की राजधानी है। यह सम्मेलन फ़्रांस के शासक नेपोलियन बोनापार्ट की पराजय के पश्चात यूरोप के मानचित्र को पुन: तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।

 

3 नवम्बर सन 1840 ईसवी को चीन की असैनिक नौकाओं पर ब्रिटेन के युद्धपोतों के आक्रमण के साथ ही अफ़ीम युद्ध का आरंभ हुआ। इस युद्ध का कारण ब्रिटेन द्वारा चीन के मार्ग से अफ़ीम का व्यापार किया जाना था। चीनी सरकार ने ब्रिटिश व्यापारियों की अफ़ीम की 20 हज़ार पेटियां समुद्र में फेंक दी थीं जिसके परिणम स्वरुप अफ़ीम युद्ध आरंभ हुआ। इसमें चीन को पराजय हुई।

 

3 नवम्बर सन 1903 ईसवी को पनामा को कोलम्बिया से स्वाधीनता मिली। इस दिन को पनामा का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया।

पनामा की स्वतंत्रता के बाद पनामा नहर की परियोजना का दायित्व अमरीका को सौंपा गया। इस परियोजना की आड़ में अमरीका ने इस देश पर अपना अधिकार जमा लिया।

 

तीन नवम्बर वर्ष 1956 को मिस्र पर ज़ायोनी शासन के हमले के दौरान इस शासन के सैनिकों ने ग़ज़्ज़ा पट्टी में स्थित ख़ान यूनुस नगर में लोगों का जनसंहार किया। ज़ायोनी सैनिकों ने इस शहर पर क़ब्ज़ा करने के बाद मिस्र के 25 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और फिर शहर के अस्पतालों पर हमला करके सभी रोगियों, नर्सों और डॉक्टरों का जनसंहार किया। इसके बाद इस्राईली सैनिकों ने ख़ान यूनुस नगर के एक सुरक्षित ठिकाने को, जहां दसियों बच्चे, महिलाएं और वृद्ध शरण लिए हुए थे। बम धमाके से उड़ा दिया। ज़ायोनी सैनिकों ने इस शहर में 275 लोगों का जनसंहार करके एक बार फिर अपनी पाश्विकता व क्रूरता का प्रदर्शन किया।

 

 

तीन नवम्बर वर्ष 1996 को केंद्रीय अफ़्रीक़ी गणराज्य के क्रूर तानाशाह जान बेडेल बोकासा का निधन हुआ। उनका जन्म वर्ष 1921 में हुआ था। उन्होंने सन 1966 में एक विद्रोह द्वारा राष्ट्रपति डेविड डाको की सरकार का तख़्ता पलट दिया और फ़्रान्स के समर्थन से सत्ता अपने हाथ में ले ली। बोकासा ने कुछ ही समय बाद स्वयं को देश का आजीवन राष्ट्रपति घोषित किया और सन 1976 में अपनी तानाशाही की घोषणा की। केंद्रीय अफ़्रीक़ा पर अपनी 14 वर्षों तक जारी रहने वाली सत्ता में उन्हों ने अनेक जनंसहार और अपराध किए और इस देश की संपत्ति लूटी। बोकासा पर नरभक्षी होने का भी आरोप लगा और उन्होंने कभी इससे इन्कार भी नहीं किया। अंततः वर्ष 1979 में जनता के विद्रोह के कारण फ़्रान्स, बोकासा को सत्ता से हटाने पर विवश हुआ और एक बार फिर डेविड डाको को केंद्रीय अफ़्रीक़ा का राष्ट्रपति चुना गया।

 

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13 आबान सन 1343 हिजरी शम्सी को ईरान की शाही सरकार के सुरक्षा अधिकारियों ने क़ुम नगर में स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के घर पर धावा बोल कर उन्हें गिरफ़तार कर लिया। गिरफतारी के बाद उन्हें तेहरान लाया गया और फिर देश निकाला देकर तुर्की भेज दिया गया। शाह ने इमाम ख़ुमैनी द्वारा ईरानी राष्ट्र की स्वतंत्रता और स्वाधीनता के समर्थन के कारण उन्हें देश निकाला दे दिया। शाह ने इस प्रकार ईरानी जनता के संघर्ष को रोकने का प्रयास किया क्योंकि उसका विचार था कि इमाम ख़ुमैनी ही जनता के सरकार विरोधी संघर्ष और उसकी जागरुकता के मुख्य कारण हैं।

इमाम ख़ुमैनी को देश निकाला दिए जाने की सूचना मिलते ही जनता का विरोध और भी व्यापक हो गया और देश के विभिन्न भागों में प्रदर्शन किए गए।

 

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17 रबीउल औवल 53 वर्ष हिजरी पूर्व को बहुत से धर्मगुरुओं और इतिहासकारों के कथनानुसार पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स) का मक्का नगर में जन्म हुआ। इसी दिन वर्ष 83 हिजरी क़मरी में इन के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) का भी जन्म हुआ। पैग़म्बरे इस्लाम के पिता का नाम अब्दुल्लाह और मां का नाम आमेना था। पैग़म्बरे इस्लाम के जन्म से पूर्व ही उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। अभी वे केवल 6 वर्ष के थे कि उनकी मां भी इस नश्वर संसार से चल बसीं। इसके बाद उनके दादा हजरत अब्दुल मुत्तलिब ने पैग़म्बर इस्लाम स के पालन पोषण का दायित्व संभला किंतु दो वर्ष बाद उनका भी स्वर्गवास हो गया और फिर पैग़म्बरे इस्लाम के चाचा हज़रत अबू तालिब ने उनकी ज़िम्मेदारी संभाली। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने अच्छे स्वभाव और महान आचरण से सबका दिल जीत लिया। लोग उन्हें सादिक और अमीन अर्थात सच्चा और अमानतदार कहकर बुलाने लगे। पैग़म्बरे इस्लाम चालीस वर्ष के हुए तो ईश्वर ने उन्हें अपने पैग़म्बर होने की घोषणा करने का आदेश देया। पैग़म्बर इस्लाम ने ऐसा ही किया और फिर लोगों को एकेश्वरवाद की ओर आमंत्रित करना आरंभ किया और धीरे धीरे इस्लाम धर्म का प्रचार करते रहे। पैग़म्बरे इस्लाम ने अनेक कठिनाइयां सहन कर 23 वर्ष तक इस्लाम धर्म का प्रचार किया जिसके परिणाम स्वरुप विश्व में आज डेढ़ अरब से अधिक लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं। इस महापुरुष के जन्म दिवस के अवसर पर हम हार्दिक बधाई पेश करते हैं।

 

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