Nov ०७, २०१७ ०२:०० Asia/Kolkata
  • शनिवार- 7 नवम्बर

7 नवंबर वर्ष 1998 को अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत और पाकिस्तान पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा की।

अमरीका ने भारत और पाकिस्तान पर परमाणु परीक्षण के कारण प्रतिबंध लगाए थे। भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परिक्षण 18 मई 1974 को किया था। उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है किन्तु उसके बाद भारत ने 11 और 13 मई 1998 को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किये और स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस परीक्षण के जवाब में तुरंत ही पाकिस्तान ने भी 28 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किये और पाकिस्तान ने भी स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित कर दिया था।

 

7 नवम्बर सन 1867 ईसवी को पोलैंड मे मादाम क्यूरी का जन्म हुआ। उनके पिता भौतिक शास्त्र के प्रोफ़ेसर थे। मादाम क्यूरी अपनी माध्यमिक शिक्षा समाप्त करने के बाद भौतिक शास्त्र पढ़ने पेरिस चली गयीं जहॉ  उन्होंने विश्विद्यालय की शिक्षा के दौरान ही फ़्रांसीसी भैतिक शास्त्री पियर क्यूरी से विवाह कर लिया। मादाम क्यूरी ने वर्षो के कठिन परिश्रम के पश्चात रेडियम की खोज की। उल्लेखनीय है कि मादाम क्यूरी को दो बार नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। सन 1934 ईसवी में उनका निधन हो गया। पहले उनका नाम स्कोडो डूस्का था किंतु पेयर क्यूरी से विवाह के पश्चात उन्हे मादाम क्यूरी के नाम से जाना गया।

 

7 नवम्बर सन 1823 ईसवी को अमरीका के पांचवें राष्ट्रपति जेम्ज़ मुनरो ने मुनरो डाक्ट्राइन की घोषणा की जिसके अनुसार अमरीकी महाद्वीप को अमरीकी देशों से संबंधित बताया गया और कहा गया कि किसी भी गैर अमरीकी देश को इस क्षेत्र में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। इस सिद्धांत के आधार पर अमरीका वचनबद्ध हुआ कि योरोप के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। इस क़ानून पर अमरीका की ओर से बहुत गम्भीरता से ध्यान दिया गया और दूसरी पश्चिमी सरकारें भी इसे स्वीकार करने पर विवश हो गई। मोनरो डाक्ट्राइन में अमरीका के लिए नए उपनिवेश बनाने पर बल दिया गया था और संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस डॉक्ट्राइन को पारित करवाकर दक्षिणी और मध्य अमरीका के देशों को अपने वर्चस्व में ले लिया।

 

7 नवम्बर सन 1913 ईसवी को फ़्रांस के विख्यात लेखक अलबर्ट कामो का जन्म हुआ। उनका संबंध एक गरीब परिवार से था किंतु क़ानों ने अपनी दृढ इच्छाशक्ति से विश्व ख्याति प्राप्त की। उनकी कई रचनाएं हैं जिनमें कुछ के नामों का अनुवाद अजनबी सीज़योफ की कहानी और ताउन है। 1957 में क़ामो को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला। इसके तीन वर्ष बाद 1960 में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

 

7 नवम्बर सन 1917 ईसवी को जब प्रथम विश्व युद्ध की आग भड़की हुई थी लेनिन और ट्रोट्स्की के नेतृत्व में बेल्शविक सेना ने करनेस्की की अंतरिम सरकार गिरा दी और सत्ता अपने हाथ में ले ली। रुस की ज़ार सरकार विदेशी शत्रु के मुक़ाबले में कमज़ोर थी और इस सरकार के भ्रष्टाचार और अत्याचार से जनता भी अप्रसन्न थी इसी कारण 15 मार्च सन 1917 ईसवी को ज़ार शासक निकोलाय द्वितीय को त्याग पत्र देना पड़ा और करनेस्की ने अस्थायी रुप से सत्ता संभाली किंतु बिल्शविकों ने शांति, रोटी और भूमि वितरण के नारों से जनमत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। जब रुस में कम्यूनिष्टों की सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने जर्मनी के साथ साठगांठ करके ज़ार शासन के समर्थक सैनिकों का दमन किया और फिर रुस में 74 वर्षीय कम्युनिष्ट तानाशाही का आरंभ हुआ जो 1991 में समाप्त हुई।

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21 रबीउल औवल सन 1243 हिजरी क़मरी को रूस और ईरान के बीच दूसरे युद्ध के दौरान ईरान का ईरवान नगर रूसी सेनाओं के अधिकार में चला गया। उस समय ईरान में क़जारी शासन श्रंखला के शासक फ़त्हअली शाह की सरकार थी। उनकी सेनाओं की अक्षमता और रूसी सेनाओं की बड़ी संख्या तथा आधुनिक शस्त्रों से उसके लैस होने के कारण ईरानी सेना पराजित हो गई और ईरवान नगर रूस के अधिकार में चला गया। इस पराजय के बाद दोनों देशों के बीच तुर्कमनचाय समझौता हुआ। इस समझौते के आधार पर उत्तरी आज़रबाइजान और काकेशिया का एक बड़ा भाग ईरान से अलग होकर रूस से जुड़ गया।

 

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