Nov ११, २०१७ ०२:०० Asia/Kolkata
  • बुधवार- 11 नवम्बर

11 नवंबर वर्ष 2004 को फ़िलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख यासिर अराफ़ात का निधन हुआ।

11 नवंबर सन 1498 ईसवी को वासको डी गामा ने अपनी समुद्री यात्रा आरंभ की। पुर्तगाल के इस प्रख्यात नाविक ने यह यात्रा भारत तक पहुँचने का मार्ग खोजने के उद्देश्य से आरंभ की थी और अंतत: वह अपने लक्ष्य तक पहुँच गये। वह दक्षिणी अफ़्रीक़ा की ओर से एक लम्बी समुद्री यात्रा करते हुए भारत पहुँचे थे।

 

11 नवंबर सन 1765 ईसवी को फ़्रांस के एक रसायन शास्त्री तथा आधुनिक फ़ोटोग्रैफ़ी के जनक नैस्फ़र नेपेस का जन्म हुआ। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने फ़ोटो खींचने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपने मित्र के साथ मिलकर पहला कैमरा बनाया।

 

11 नवंबर सन 1918 ईसवी को प्रथम विश्व युद्ध एक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद समाप्त हुआ। प्रथम विश्व-युद्ध रुस, इंगलैंड तथा इटली की संयुक्त सेना तथा जर्मनी बुलग़ारिया, पोलैंड, उस्मानी शासन और ऑस्ट्रिया सम्राज्य के मध्य हुआ। इस युद्ध में डेढ़ करोड़ लोग मारे गये दो करोड़ घायल हुए तथा 150 अरब डॉलर की आर्थिक हानि हुई।

11 नवंबर सन 1975 ईसवी को अंगोला पुर्तगाल से स्वतंत्र हो गया। इसी लिए आज का दिन वहॉ राष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाता है। 1483 ईसवी में पहली बार पुर्तगालियों ने ओगोला में प्रवेश किया और इस देश पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया, किंतु द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब उपनिवेश बन जाने वाले देश धीरे-धीरे स्वतंत्र होने लगे तो अंगोला में भी स्वतंत्रता संघर्ष आरंभ हो गया और अंतत: आज के दिन इस देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गयी। यह देश अफ़्रीक़ा महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम में स्थित है।

 

11 नवंबर वर्ष 2004 को फ़िलिस्तीन प्रशासन पीएलओ के प्रमुख यासिर अरफ़ात का निधन हो गया। उनका जन्म 24 अगस्त वर्ष 1929 को बैतुल मुक़द्दस में हुआ था। यासिर अरफ़ात ने क़ाहेरा विश्व विद्यालय से इन्जीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1956 में फ़त्ह आंदोलन आरंभ किया जिसके बाद वर्ष 1966 में पीएलओ की बागडोर संभाली। वर्ष 1974 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में सैन्य वर्दी पहन कर भाषण दिया। वर्ष 1988 में अमरीका ने यासिर अरफ़ात को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में भाषण देने से रोकने के लिए उनको अमरीका का वीज़ा देने से इन्कार कर दिया जिसके बाद उन्होंने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा को संबोधित किया। वर्ष 1988 में अमरीकी यहूदियों के साथ एक संयुक्त बयान में इस्राईल के अस्तित्व को स्वीकार करने की घोषणा के बाद उन्हें, तत्कालीन ज़ायोनी प्रधानमंत्री इस्हाक़ राबिन और विदेशमंत्री शिमोन पेरिज़ को संयुक्त रूप से शांति का नोबल पुरस्कार दिया गया। 11 नवंबर वर्ष 2004 को उनका पेरिस के एक अस्पताल में निधन हो गया। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें विष दिया गया और अस्पताल ने भी रिपोर्ट उनके परिवार को नहीं दी।

11 नवंबर वर्ष 2005 को ब्रिटेन के प्रसिद्ध लेखक डेविड जान क्यूडील इरविंग David Irving को आस्ट्रिया की पुलिस ने उस समय गिरफ़्तार कर लिया जब वे छात्रों को लेक्चर दे रहे थे। ब्रिटेन के इस प्रसिद्ध लेखक ने द्वितीय विश्व युद्ध पर विभिन्न पुस्तकें लिखी हैं और यहूदियों के जनसंहार या होलोकास्ट की घटना का खंडन करने के कारण विश्व में प्रसिद्ध हैं। होलोकास्ट पर अपने दृष्टिकोण के कारण जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा, आस्ट्रिया और न्यूज़ीलैंड में उनका प्रवेश  प्रतिबंधित है। 20 फ़रवरी वर्ष 2006 को आस्ट्रिया के एक न्यायालय ने होलोकास्ट के पर उन्हें तीन वर्ष की सज़ा सुनाई। 20 दिसम्बर वर्ष 2006 को  न्यायालय ने उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें स्वतंत्र करने का आदेश दिया। उन पर चलाए जाने वाले मुक़द्दमे के कारण पूरे विश्व में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा छिड़ गयी। यह घटना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि डेनमार्क और यूरोप के अन्य देशों में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अपमानजनक कार्टून के प्रकाशन के बाद विश्व भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे जबकि यूरोपीय देशों का कहना था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं इसीलिए कार्टून बनाने और छापने वालों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर सकते जबकि उन्हीं दिनों डेविड इयरविंग की गिरफ़्तारी और उन्हें तीन वर्ष की सज़ा दिए जाने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में यूरोप की पोल खुल गयी।

 

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21 आबान सन 1276 हिजरी शम्सी को ईरान के उत्तरी प्रांत माज़न्दरान के यूश गांव में प्रसिद्ध शायर अली इस्फ़न्दयारी का जन्म हुआ। शायरी में वे अपना नाम नीमा यूशीज लिखते थे। ऐसे नाम को तख़ल्लुस कहा जाता है। वे अपने गांव से राजधानी तेहरान आए जहॉ उन्होंने फ्रेंच और अरबी भाषाएं पढ़नी आरंभ कर दीं और दोनों भाषाओं को अच्छी तरह सीख लिया। अपने एक उस्ताद का प्रोत्साहन पाकर वे शेर लिखने लगे। उनके प्रसिद्ध गद्य संकलन का नाम अफ़साना है। वर्ष 1338 हिजरी शम्सी में उनका निधन हो गया।

 

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25 रबीउल औवल सन 436 हिजरी क़मरी को इस्लामी जगत के विख्यात धर्मगुरु व विद्वान सैयद मुर्तज़ा का बग़दाद नगर में निधन हुआ। सैयद मुरतज़ा जिनकी उपाधि अलमुल होदा थी सन 355 हिजरी क़मरी में बग़दाद में ही जन्मे थे। उन्हें अपने समय के प्रचलिन विषयों का व्यापक ज्ञान था। वे तीस वर्ष तक बग़दाद के न्यायाधीश रहे।

शैख़ मुफ़ीद और ख़तीबे बग़दादी जैसे विश्व विख्यात धर्मगुरुओं से शिक्षा प्राप्ति के बाद उन्होंने बड़ी ही लाभदायक महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पुस्तकें लिखीं जिनमें तकरीबुल उसूल और तन्ज़ीहुल अम्बिया उल्लेखनीय हैं।

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