Nov १८, २०१८ ०२:०० Asia/Kolkata
  • फ़ैंज़ शूबर्ट
    फ़ैंज़ शूबर्ट

19 नवंबर वर्ष 1828 ईसवी को आस्ट्रिया के प्रसिद्ध संगीतकार फ़ैंज़ शूबर्ट का निधन हुआ।

19 नवंबर वर्ष 1828 ईसवी को आस्ट्रिया के प्रसिद्ध संगीतकार फ़ैंज़ शूबर्ट का निधन हुआ। उनका जन्म 1779 ईसवी में एक निर्धन परिवार में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत से लगाव था और उन्होंने इसी कला में शिक्षा प्राप्त की। इस कलाकार ने युवाकाल से ही संगीत कम्पोज़िन्ग शुरु की और 600 से अधिक गीतों  के लिए संगित कम्पोज़ किए किन्तु उनकी कला और संगीत उन्हें निर्धनता से मुक्ति न दिला पाया क्योंकि लोगों ने उनके जीते जी उनके गीतों और संगीत का स्वागत नहीं किया किन्तु उनके मरने के बाद लोगों को उनकी महानता का पता चला।

 

19 नवंबर 1917 को इंदिरा गांधी का जन्म हुआ। वे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और उनका पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी था। वे वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 बार भारत की प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथे चरण में 1980 से लेकर 1984 में अपनी हत्या तक तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। 1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा गांधी ने शांति निकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही उन्हें प्रियदर्शिनी नाम दिया था। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं। लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज न इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में भूमिका निभाई। वर्ष 1975 में उन्होंने आपातकाल लागू कर दिया जिसके कारण उनकी बहुत अधिक आलोचना हुई और वर्ष 1977 में उन्होंने एवं कॉंग्रेस पार्टी ने आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। 31 अक्तूबर वर्ष 1984 में उनके अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।

 

19 नवम्बर सन 1977 ईसवी को मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादात अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस के लिए रवाना हुए। किसी अरब देश के राष्ट्राध्यक्ष की अतिग्रहित फिलिस्तीन की  यह पहली यात्रा थी। इस यात्रा का उद्देश्य मिस्र को ज़ायोनी शासन के निकट लाना और इस अवैध शासन के साथ एक तथाकथित शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना था। यही कारण था कि इस्लामी देशों विशेषकर फिलिस्तीनी जनमत ने इस पर आक्रोष व्यक्त किया। इसके बावजूद सादात ने सन 1978 ईसवी में अमरीका की मध्यस्थता से जायोनी शासन के साथ कैम्प डेविड नामक समझौते पर हस्ताक्षर किए। बहुत से अरब देशों ने इससे अप्रस्न्न होकर मिस्र के साथ अपने संबंध तोड़ लिए तथा सादात की इस कार्रवाई को अरबों और मिस्र की जनता के साथ विश्वासघात समझा गया जिसके बाद मिस्र में अशांति फैल गयी इसके अगले ही वर्ष 1981 में औपचारिक सैनिक परेड के दौरान खालिद इस्लामबूली नामक सैनिक अधिकारी ने सादात की गोली मार कर हत्या कर दी।

 

19 नवम्बर सन 1990 ईसवी को नैटो और वार्सा संधि के सदस्य देशों के नेताओं ने पेरिस में एक समझौते पर हस्ताक्षर करके पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉकों के बीच शीत युद्ध का अंत कर दिया। इन नेताओं ने इसी प्रकार इन दोनों संगठनों के हथियारों को कम करने तथा प्रचारिक युद्ध को रोकने पर सहमति जताई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका और रूस के दो बड़ी परमाणु शक्तियों के रुप में उभरने के बाद शीत युद्ध आरंभ हुआ था। रुस और अमरीका को परमाणु युद्ध को रोकने के उद्देश्य से एक समझौता करने पर विवश होना पड़ा। इसके बावजूद पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉकों में राजनैतिक, अर्थिक, प्रचारिक और जासूसी मंच पर युद्ध जारी रहा। इसी को शीत युद्ध कहा जाता है। 1980 के दशक में पूर्व सोवियत संघ और पूर्वी योरोपीय देशों में होने वाले परिवर्तनों से शीत युद्ध के समापन की भुमिका समतल हुई और अंतत: पूर्वी ब्लॉक के देशों में रुस का प्रभाव कम हो गया और सोवियत संघ टूट गया तथा शीत युद्ध समाप्त हो गया। इसके कुछ समय बाद वारसा संधि भी समाप्त हो गयी।

 

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3 रबीउस्सानी सन 1292 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध धर्मगुरु अबुल क़ासिम कलान्तरी का तेहरान में निधन हुआ।

वह धर्मशास्त्र के साथ साथ हदीस, तर्क शास्त्र और दर्शन शास्त्र में दक्ष थे।

आयतुल्लाह कलान्तरी ने पवित्र नगर नजफ़ के बड़े धर्मगुरुओं की सेवा में लंबे समय तक ज्ञान अर्जित किया। इसी प्रकार उन्होंने महान धर्मगुरु शैख़ मुर्तज़ा अंसारी से धर्मशास्त्र की उच्च शिक्षा प्राप्त की और इज्तेहाद नामक विशेष दर्जे तक पहुंचे। उन्होंने बहुत सी मूल्यवान किताबें यादगार के रूप में छोड़ी हैं।  

 

3 रबीउस्सानी सन 421 हिजरी क़मरी को ग़ज़नवी शासन श्रृंखला के तीसरे राजा महमूद ग़ज़नवी का निधन हुआ। वे सन 387 हिजरी क़मरी में अपने भाई इस्माईल को पराजित करने के बाद सत्ता में पहुंचे थे। महमूद ग़ज़नवी सफ़फ़ारी, सामानी, आले बुवैह आले ज़ियार और खवारज़्मशाहियान शासकों को हरकर उन्होंने पूर्वी और उत्तरी ईरान के क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था। और फिर धीरे धीरे उन्होंने भारी भूखंड अपने अधीन कर लिये । ग़ज़नवी ने 12 बार भारत पर आक्रमण किया।

24 वर्ष के शासन के बाद वर्तमान तेहरान नगर के निकट स्थित रै नगर में टीबी की बीमारी में उनका निधन हुआ।

 

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