शनिवार - 21 नवम्बर
1806, नेपोलियन बोनापार्ट की ओर से बर्लिन आदेश जारी हुआ। इस आदेश के अनुसार फ़्रांस के प्रभाव वाले समस्त यूरोपीय देशों के ब्रिटेन के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
21 नवम्बर सन 1806 ईसवी को नेपोलियन बोनापार्ट की ओर से बर्लिन आदेश जारी हुआ। इस आदेश के अनुसार फ़्रांस के प्रभाव वाले समस्त योरोपीय देशों के ब्रिटेन के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया। ब्रिटेन द्वारा फ़्रांस की समुद्री घेराबंदी की प्रतिक्रिया स्वरुप नेपोलियन ने यह आदेश जारी किया था।
21 नवम्बर सन 1867 ईसवी को लक्ज़मबर्ग को एक स्वतंत्र राष्ट घोषित किया गया। किंतु इसके बाद भी यह देश हॉलैड से जुड़ा रहा। 1890 में लक्ज़मबर्ग हालैंड से भी अलग हो गया। सन 1948 में इस देश ने नेटो की सदस्यता ली। यह छोटा सा यारोपीय देश इस महाद्वीप के पश्चिमी भाग में जर्मनी फ़्रांस तथा बेल्जियम के पड़ोस में स्थित है।
21 नवम्बर सन 1694 ईसवी को फ़्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक तथा लेखक फ़्रांसवा इस मैरी आरोए का जन्म हुआ वे वाल्टर के नाम से प्रसिद्ध हुए। वाल्टर को जीवन में दो बार कारवास और एक बार तीन वर्ष के लिए ब्रिटेन की ओर देशनिकाला दिया गया। जिसके कारण उनके मन में फ़्रांस की सरकार के प्रति द्वेष उत्पन्न हो गया। इस बात को उनकी रचनाओं में देखा जा सकता है। वाल्टर ने विभिन्न विषय में 50 पुस्तकें लिखीं।
21 नवम्बर सन 1783 ईसवी को पहली बार आकाश में गुब्बारे द्वारा मनुष्य ने उड़ने का प्रयास किया इस गुब्बारे में दो लोग सवार थे इनमें एक फ़्रांस के भौतिक शास्त्री डयूरेज़ थे। डयूरेज़ ने शिक्षा प्राप्ति के काल से ही उड़ने की योजना बनाई थी। जिसे बाद में उन्होंने व्यवहारिक किया। एक उड़ान के दौरान वे ब्रिटेन और फ़्रांस के मध्य पानी में डूबकर मर गये।
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5 रबीउस्सानी वर्ष 1328 हिजरी क़मरी को संविधान क्रांति के नेता सत्तार ख़ान एवं बाक़िर ख़ान ने, जिन्होंने तबरेज़ से तेहरान की ओर बढ़ना शुरू किया था विजयपूर्वक तेहरान में प्रवेश किया। इन स्वतंत्रता सेनानियों ने मोहम्मद अली शाह के काल में तबरेज़ के परिवेष्टन के दौरान नगर वासियों की सहायता से 11 महीनें तक अद्वितीय प्रतिरोध का प्रदर्शन किया और सरकारी बलों के हमलों को विफल बना दिया । उसके कुछ समय बाद उन्होंने तेहरान की ओर बढ़ना शुरू किया। सत्तार ख़ान ने, जिनका उपनाम सरदारे मिल्ली है एवं बाक़र ख़ान ने जिनका उपनाम सालारे मिल्ली है, संविधान क्रांति के दौरान बहुत ही होशियारी और वीरता से प्रतिरोध करके सदैव के लिए ईरान के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा दिया।