शुक्रवार- 27 नवम्बर
27 नवम्बर सन 1817 ईसवी को जर्मनी के विख्यात इतिहासकार और अध्ययनकर्ता थियोडर मोम्मसेन का जन्म हुआ।
उन्होंने शिक्षा प्राप्ति के बाद शोधकार्य आरंभ कर दिया। उन्होंने प्राचीन सभ्यताओं से संबंधित शिलालेखों का अध्ययन विशेष रुप से किया। प्राचीन रोम का विस्तृत इतिहास उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है जो रोम के बारे में इतिहास की अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक है। उन्हें वर्ष 1902 में नोबल पुरस्कार मिला और इसके एक वर्ष बाद 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वे राजनैतिक क्षेत्र में भी सक्रिय रहे और जर्मनी की संसद के सदस्य भी चुने गये। वे तत्कालीन जर्मन चान्सलर बिसमार्क के कट्टर विरोधियों में समझे जाते थे।
27 नवम्बर वर्ष 1907 ईसवी को भारत के प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन का उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में जन्म हुआ। उन्हें बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा या संतान होता है। बाद में वे इसी नाम से प्रसिद्ध हो गये। उन्होंने कायस्थ पाठशालाओं में पहले उर्दू की शिक्षा ली जो उस समय क़ानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था। इसके बाद उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम ए किया और उसके बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। 1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ किन्तु 1936 में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। पांच साल बाद 1941 में बच्चन ने तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं । इसी समय उन्होंने नीड़ का पुनर्निर्माण जैसी कविताओं की रचना की। तेजी बच्चन से अमिताभ तथा अजिताभ दो पुत्र हुए। उनकी कृति दो चट्टाने को 1968 में हिन्दी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। बिड़ला फाउन्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें सरस्वती सम्मान प्रदान किया। हरिवंश राय बच्चन को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1967 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
27 नवम्बर सन 1941 ईसवी को जर्मनी और सोवियत संघ के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान टैंक लड़ाई हुई। इसमें जर्मनी की पराजय होने के बाद लड़ाई बंद हुई। इस युद्ध में जर्मन सेनाओं ने रूस की राजधानी मास्को पर अधिकार करना चाहा जिसका उन्होंने एक महीने से परिवेष्टन कर रखा था। जर्मनी की यह पराजय द्वितीय विश्व युद्ध की महत्वपूर्ण घटना थी और यहीं से सोवियत संघ के मोर्चों पर जर्मनी की पराजय का क्रम आरंभ हुआ। मॉसको के निकट होने वाली इस लड़ाई में रुस और जर्मनी ने भारी संख्या में टैंकों का प्रयोग किया इसी लिए इसे टैंकों की लड़ाई का नाम दे दिया गया।
27 नवम्बर सन 1953 ईसवी को अमरीका के विख्यात ड्रामा लेखक यूजीन ओ नील का 65 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे सन 1888 में जन्में थे। उनका जीवन उतार चढ़ाव से भरा हुआ है। उन्हें ड्रामे से बड़ा लगाव था। सन 1936 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका एक ड्रामा एम्पेरर जोन्स है जबकि कुछ दूसरे ड्रामों के नाम वियोन्ड द होरिज़न द फ़ाउन्टेम और ब्रड एंड बरर है।
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7 आज़र सन 1359 हिजरी शम्सी को ईरान के विरुद्ध इराक़ के थोपे गये युद्ध के दौरान ईरान की नौसेना ने फ़ार्स की खाड़ी में एक कार्यवाही करके इराक़ की नौसेना को भारी पराजय का स्वाद चखाया। इस कार्यवाही में दोनों देशों की नौकाओ के बीच घमासान की लड़ाई हुई और इराक़ के कई जहाज़ डूब गये। इस प्रकार से फ़ार्स की खाड़ी में ईरानी नौसेना की स्थिति मज़बूत हो गयी। ईरान में 7 आज़र को नौसेना दिवस का नाम दिया गया है।
7 आज़र सन 1371 हिजरी शम्सी को तुर्कमनिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान, उज़बेकिस्तान क़ज़ाक़िस्तान, ताजेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और आज़रबाइजान के आर्थिक सहकारिता संगठन e.c.o में शामिल हो जाने के बाद इस संगटन के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर दस हो गयी। इस प्रकार इस दिन को e.c.o दिवस का नाम दिया गया। यह संगठन वर्ष 1363 हिजरी शम्सी में आपसी आर्थिक सहकारिता को बढ़ाने के उद्देश्य के अंतर्गत ईरान, पाकिस्तान और तुर्की द्वारा बनाया गया। इस संगठन का कर्तव्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही इस संगठन ने कुछ दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से भी सहकारिता समझौते किये हैं।
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11 रबीउस्सानी सन 608 हिजरी क़मरी को इराक़ के मूसिल नगर में इब्ने ख़लकान नामक इतिहासकार और साहित्यकार का जन्म हुआ वे बहुत दिनों तक न्यायाधीश पद पर कार्यरत रहे। उन्होंने पहले तो मूसिल में ही शिक्षा प्राप्त की और फिर विभिन्न देशों की यात्राएं करके वरिष्ठ इतिहासकारों और विद्वानों से लाभ उठाया। वे बहुत दिनों तक दमिश्क़ नगर के न्यायाधीश रहे।
रजब सन 681 हिजरी क़मरी में एक लम्बी बीमारी के बाद इब्ने ख़लकान का निधन हुआ।
उनकी पुस्तकों में वफ़ीयातुल आयान का नाम लिया जा सकता है जिसमें उन्होंने विभिन्न विषयों के ज्ञानियों का उल्लेख किया है।