Nov ३०, २०१७ ०२:०० Asia/Kolkata
  • सोमवार- 30 नवम्बर

30 नवंबर वर्ष 1997 को भारत-बांग्लादेश विवादित सीमा क्षेत्र में यथास्थिति बनाये रखने पर सहमत हुए।

30 नवंबर वर्ष 1997 को भारत-बांग्लादेश विवादित सीमा क्षेत्र में यथास्थिति बनाये रखने पर सहमत हुए।

वर्ष 1974 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री श़ैख मुजीबुर्रहमान ने लैंड एकॉर्ड पर सहमति व्यक्त की थी। 1975 में शेख मुजीब की हत्या हो जाने के बाद यह प्रक्रिया लंबे समय तक ठंडी पड़ गई और बाद की सरकारें एनक्लेवों की अदला बदली के मुद्दे पर सहमति बनाने में असफल रहीं।

एनक्लेवों का अस्तित्व कई सदियों से है। इस पर पहले स्थानीय रजवाड़ों की मिल्कियत हुआ करती थी और वह परंपरा 1947 में ब्रिटिश शासन के अंत में हुए विभाजन से लेकर 1971 में बांग्लादेश और पाकिस्तान युद्ध के बावजूद बरक़रार रही।

6 जून 2015 में द्विपक्षीय समझौते के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के अधिकारियों ने एनक्लेवों में सर्वे कर लोगों से किसी एक देश की नागरिकता चुनने को कहा. बांग्लादेश के भारतीय एनक्लेवों में रहने वाले ज्यादातर लोगों ने बांग्लादेश की ही नागरिकता लेने की इच्छा जताई है. लेकिन ऐसे करीब एक हजार लोग हैं जो भारतीय नागरिकता लेना चाहते हैं और इसके लिए नवंबर तक भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में उनका पुनर्वास होना है। दूसरी तरफ, भारतीय सीमा में स्थित सभी 51 बांग्लादेशी एनक्लेवों के निवासी भी भारत की नागरिकता लेना चाहते हैं।

 

 

30 नवंबर सन 1667 ईसवी को जोनाथन स्विफ़्ट नामक आयरलैंड के लेखक का डबलिन में निधन हुआ  उन्होंने आयरलैंड के संघर्ष के काल में अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अथक प्रयास किए। बाद में वे लेखन में लग गये और अपने जीवन की जटिल परिस्थितियों को गोलीवर यात्रा वृतांत नामक पुस्तक में एकत्रित कर दिया। यह पुस्तक विश्व की साहित्य की शानदार रचनाओं में गिनी जाती है।

 

30 नवंबर सन 1804 ईसवी को फ़्रांस के आविष्कारक जोज़ेफ़ कोनियो का 79 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्हें गाड़ी का जनक कहा जाता है। उन्होंने जिस गाड़ी का आविष्कार किया, वो तीन पहियों पर भाप की उर्जा के सहारे चलती थी। इस गाड़ी के अगले भाग में भाप बनाने के लिए एक बड़ी सी पतीली रखी रहती थी। इसकी गति 5 किलोगीटर प्रतिघंटा थी।

 

30 नवंबर सन 1822 ईसवी को ब्रिटेन के चिकित्सक और चेचक के टीके की खोज करने वाले एडवर्ड जोन्ज़ का निधन हुआ। वे सन 1749 ईसवी को जन्मे थे और जब वे 45 वर्ष के थे तथा भारत में रह रहे थे वे चेचक के टीके का पता लगाने में सफल हुए। जोन्ज़ ने 1796 में पहली बार चेक के पानी को एक व्यक्ति की बॉह में इंजेक्शन द्वारा अंदर डाला। उनका मानना था कि चेचक के पानी को शरीर के भीतर पहुँचने से मनुष्य के शरीर पर हल्की चेवक निकलेगी और यही विषय मानव शरीर को इस रोग के मुक़ाबले में सक्षम बना देगा। जोन्ज़ की खोज से लाभ उठाकर दसियों लाख लोग इस घातक बीमारी से सुरक्षित हो गये।

 

30 नवंबर सन 1988 ईसवी को मिस्र के विख्यात क़ारी उस्ताद अब्दुल बासित अब्दुस्समद का क़ाहेरा नगर में निधन हुआ। उन्होंने बचपन से क़ुरआन की शिक्षा आरंभ की और 12 वर्ष की आयु में क़ुरआन का स्मरग करने का पुरस्कार प्राप्त करने में सफल हुए। उन्होंने कुछ समय विभिन्न देशों की यात्राओं में बिताया। उन्होंने क़ुरआन की क़िराअत की कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतीं। उनकी मनमोहक आवाज़ के बहुत से कैसेटे अब भी सुरक्षित हैं।

 

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14 रबीउस्सानी सन 66 हिजरी क़मरी को मुख़्तार बिन अबी उबैदा सक़फ़ी पैग़म्बरे इस्लाम के नवासे इमाम हुसैन अ.स. की निर्मम हत्या का बदला लेने के लिए उठ खड़े हुए। सन 61 हिजरी क़मरी में इमाम हुसैन अ और उनके सगे संबंधी, परिवारजन और साथी, एक असमान युद्ध में उमवी शासक यज़ीद की सेना द्वारा शहीद कर दिए गये थे। इस घटना का बदला लेने के लिए मुख़तार सक़फ़ी ने कूफ़ा नगर में संघर्ष आरंभ किया। उनसे पहले भी तव्वाबीन नामक गुट ने इमाम हुसैन अ.स. की शहादत का बदला लेने के लिए उमवी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था। मुख़तार सक़फ़ी ने अपने अभियान के दौरान यज़ीदी सैनिकों को मौत के घाट उतारा और इमाम हुसैन अ.स. के हत्यारों से चुन-चुन कर बदला लिया। उन्होंने कूफ़ा नगर पर लगभग एक वर्ष तक शासन किया किंतु बाद में उन्हें संघर्ष के दौरान पराजय हुई और वे शहीद कर दिये गये।

 

14 रबीउस्सानी सन 1023 हिजरी क़मरी को ईरान में सफ़विया शासन काल के सेनापति अल्लाहवरदीख़ान का निधन हुआ। वे जॉर्जिया के रहने वाले थे और युवाकाल में दास के रुप में बेच दिए गये और अंततः ईरानी शासक शाह तहमास्ब सफ़वी की सेवा में पहुँचे। वे सन 1004 हिजरी क़मरी में अपनी क्षमता और योग्यता के आधार पर फ़ार्स क्षेत्र के शासक बना दिए गये किंतु कुछ ही समय बाद क़ज़लबाश के शासन काल में वे सेनापति बन गये । सफ़वी शासन की उन्होने बड़ी सेवा की। साथ ही उन्होंने सराहनीय सामाजिक और जन कल्याण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए। इस्फ़हान में ज़ायन्दे रूद नदी पर बना पुल उन्हीं ने बनवाया है जिसकी इस वक़्त विश्व धरोहन में गिनती होती है।

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