Nov २७, २०१६ १२:५५ Asia/Kolkata
  • गुरुवार - 3 दिसम्बर

3 दिसम्बर सन 1884 ईसवी को प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक और राजनेता डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के बिहार राज्य के एक गांव में जन्मे।

3 दिसम्बर सन 1469 ईसवी को इटली के विख्यात राजनेता और इतिहासकार निकोलो मैक्यावेले का फ़लोरेन्स नगर में जन्म हुआ।  उन्होंने राजनैतिक गतिविधियां करने के साथ ही फ़लोरेन्स नगर का इतिहास लिखना भी जारी रखा। मैक्यावेले का मानना था कि सत्ता की प्राप्ति और उसे अपने पास रखने के लिए हर साधन और मार्ग का प्रयोग किया जा सकता है तथा इस संदर्भ में नैतिक नियमों का पालन आवश्यक नहीं है। युद्ध कली उनकी विख्यात रचनाओं में से है। 1527 ईसवी में मैक्यावेले का निधन हुआ।

 

3 दिसम्बर सन 1851 ईसवी को पेरिस की जनता ने नेपोलियन बोनापार्ट के भतीजे लुईस नेपोलियन के विरुद्ध आंदोलन आरंभ किया। लुईस नेपोलियन ने अपने सत्ताकाल में अपने विरोधियों को, जिनमें कुछ फ़्रांस के बहुत ही महत्वपूर्ण लोग थे, गिरफ़तार करके लम्बे समय के लिए जेल में डाल दिया। इस पर पेरिस के लोगों में आक्रोश फैल गया। इस आंदोलन को लुईस नेपोलियन ने बड़ी निर्दयता से कुचल दया। बहुत से लोग मारे गए, बहुत से लोगों को देश निकाला दे दिया गया और बड़ी संख्या में लोगों को पकड़ कर जेल में डाल दिया गया। जिन लोगों को निर्वासित कर दिया गया था उनमें फ़्रांस के विख्यात लेखक विक्टर होगो भी शामिल थे।

 

3 दिसम्बर सन 1884 ईसवी को प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक और राजनेता डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के बिहार राज्य के एक गांव में जन्मे। उन्होंने घर की ख़राब आर्थिक दशा के बावजूद उच्च स्तरीय शिक्षा ग्रहण की और देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया। भारत को स्वतंत्रता मिल जाने और देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू हो जाने के पश्चात वर्ष 1950 में डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को पहला राष्ट्रपति चुना गया।

राजेन्द्र प्रसाद

3 दिसम्बर सन 1984 ईसवी को भारत के भोपाल नगर में अमरीकी केमिकल फैक्ट्री युनियन कारबाइड से गैस के रिसाव के परिणाम स्वरुप भयानक त्रास्दी हुई। कंपनी के अधिकारियों की ओर से सावधानी के नियमों की अनदेखी के कारण होने वाली इस त्रास्दी में कम से कम ढाई हज़ार लोग मारे गए और दसियों हज़ार लोग बीमार हो गए। गैस का रिसाव तीन भूमिगत भंडारों से हुआ और घातक ज़हरीली गैस एम आई सी वातावरण में फैल गई।

युनियन कारबाइड

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13 आज़र सन 1369 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध लेखक अध्ययनकर्ता और अंतर्राष्ट्रीय संस्था युनेस्को की सिल्क रोड के अध्ययन से संबंधित विज्ञान समिति के सदस्य डॉक्टर मोहम्मद हुसैन मशायेख़ फ़रैदनी का 76 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्होंने फ़ार्सी भाषा में डॉक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त की और विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अध्ययन किया। उन्होंने अपने अनुभवों और अध्ययनों को पुस्तकों का रुप दिया। विख्यात शायर अल्लामा  इक़बाल से उन्हें बहुत लगाव था। उन्होंने अल्लामा इक़बाल की उर्दू शायरी का फ़ार्सी में अनुवाद किया।

डॉक्टर मोहम्मद हुसैन मशायेख़ फ़रैदनी

 

13 आज़र सन 1369 हिजरी शम्सी को तेहरान में पहली बार फिलिस्तीन इस्लामी कॉफ़्रेन्स का आयोजन हुआ। इसका आयोजन फ़िलिस्तीन की अत्याचारग्रस्त जनता के प्रति एकजुटता और ज़ायोनी शासन के अत्याचारों के प्रति विरोध प्रकट करने के उद्देश्य से हुआ था। इसमें फ़िलिस्तीन, ईरान और दूसरे कई देशों के मुसलमान बुद्धिजीवियों ने भाग लिया था।

 

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17 रबीउस्सानी वर्ष 947 हिजरी क़मरी को भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार अब्दुल क़ादिर बदायूनी का जन्म हुआ। वे क़ादरी के नाम से प्रसिद्ध थे। वे मुग़ल बादशाह अकबर के दरबारी थे और न्यायाधीश के पद पर आसीन थे किन्तु वह दरबार की अनुचित स्थिति को सहन न कर सके और अपने पद को छोड़ दिया। अब्दुल क़ादिर बदायूनी वर्ष 987 हिजरी क़मरी से पुनः दरबार में जाने लगे और दरबारी सुलेखक के रूप में संस्कृत की पुस्तकों को एकत्रित करने और उनके अनुवाद का कार्य उन्हें दिया जाने लगा।

17 रबीउस्सानी वर्ष 657 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध धर्मगुरू, शब्दकोश विशेषज्ञ और इतिहासकार इब्ने रिज़वान का देहान्त हुआ। वे एंडूलूसिया के रहने वाले थे। उन्होंने युवाकाल में ही गणित और रेखागणित की शिक्षा प्राप्त की। उन्हें अरबी भाषा के व्याकारण और शब्दकोश में दक्षता प्राप्त थी। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों में मुख़्तसर एहयाओ उलूमिद्दीन का विशेष रूप से नाम लिया जा सकता है।

 

 

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