Dec ०५, २०१६ १२:०१ Asia/Kolkata
  • मंगलवार - 8 दिसम्बर

8 दिसम्बर सन 1868 ईसवी को जापान में शोगोन अर्थात सैनिक अधिकारियों की सरकार गिर गयी और उसके बाद इस देश में राजनैतिक सामाजिक और संस्कृतिक सुधार आरंभ हुआ।

शोगोन जापान के दसियों शक्तिशाली परिवारों में से एक था, जिन्होंने 12वीं शताब्दी से जापान पर तानाशाही शासन चलाया। उस समय क्योटो में सरकारी दरबार था किंतु सत्ता वास्तव में शोगोन के अधिकार में थी। कुछ समय बीतने के बाद सरकार शोगोन परिवार में वंशानुगत हो गयी और इस परिवार ने बहुत अधिक शक्ति प्राप्त करके जापान के सरकारी दरबार में अपना प्रभाव बढ़ा लिया। इन लोगों ने अपने प्रभाव का दूरुपयोग करते हुए दूसरे देशों के साथ जापान के संबंध स्थापित होने के मार्ग में रुकावटें पैदा की किंतु जापान के शक्तिशाली सम्राट मोत्सो हीटो ने सत्ता में पहुँचने के एक वर्ष बाद 1876 में शोगोन शासन का अंत कर दिया।

 

8 दिसम्बर सन 1914 ईसवी को फॉकलैंड का जल युद्ध एटलांटिक महासागर में इसी नाम के द्वीपों के आस पास ब्रिटेन और जर्मनी के बीच लड़ा गया।

इस युद्ध में जर्मनी की युद्धक नौकाएं ब्रिटेन की युद्धक नौकाएं से पराजित हुयी और फॉकलैंड द्वीपों पर ब्रिटेन का अधिकार हो गया।

उल्लेखनीय है कि 16वीं शताब्दी के अंत में इन द्वीपों की खोज हुई और फ़्रांस की सेना ने 1764 में इन द्वीपों पर अधिकार कर लिया। किंतु फॉकलैड द्वीपों में तेल के समृद्ध भंडारों का पता चलते ही यह क्षेत्र ब्रिटेन की नज़रों में चढ गया और ब्रिटेन की सेना ने क्षेत्र की घेराबंदी कर ली। अर्जेन्टिइना ने स्वतंत्रता के बाद इन द्वीपों को अपना भाग घोषित किया किंतु इन पर अब भी ब्रिटेन का अधिकार है। यह द्वीप अर्जेन्टाइना के निकट स्थित हैं।

 

 

8 दिसम्बर सन 1949 ईसवी को चीन के राष्टृवादी नेता चियान काय चिक माओत से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट सेना से पराजित होने के बाद अपने कुछ साथियों के साथ ताइवान द्वीप की ओर फ़रार करगए और राष्ट्रीय चीनी सरकार का गठन किया। उस समय अमरीका के समर्थन  से ताइवान चीन से अलग हो गया और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद आदि संगठनों में ताइवान को अलग स्थान मिला किंतु 1971 में चीन और अमरीका की वार्ता के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने बहुमत से चीन गणराज्य को औपचारिकता दी तथा ताइवान इस सदस्यता से वंचित हो गया।

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11 रबीउस्सानी सन 608 हिजरी क़मरी को इराक़ के मूसिल नगर में इब्ने ख़लकान नामक इतिहासकार और साहित्यकार का जन्म हुआ वे बहुत दिनों तक न्यायाधीश पद पर कार्यरत रहे। उन्होंने पहले तो मूसिल में ही शिक्षा प्राप्त की और फिर विभिन्न देशों की यात्राएं करके वरिष्ठ इतिहासकारों और विद्वानों से लाभ उठाया। वे बहुत दिनों तक दमिश्क़ नगर के न्यायाधीश रहे।

रजब सन 681 हिजरी क़मरी में एक लम्बी बीमारी के बाद इब्ने ख़लकान का निधन हुआ।

उनकी पुस्तकों में वफ़ीयातुल आयान का नाम लिया जा सकता है जिसमें उन्होंने विभिन्न विषयों के ज्ञानियों का उल्लेख किया है।

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