Dec ०७, २०१६ १३:३६ Asia/Kolkata
  • बुधवार - 9 दिसम्बर

9 दिसम्बर सन 1608 ईसवी को विख्यात अंग्रेज़ शायर जान मिल्टन का जन्म हुआ।

9 दिसम्बर सन 1905 ईसवी को फ़्रांस में चर्च और सत्ता के अलगाव को क़ानूनी रूप दे दिया गया।

9 दिसम्बर सन 1946 ईसवी को भारत का संविधान बनाने वाली संविधान सभा की पहली बैठक हुई।

9 दिसम्बर सन 1758 ईसवी को भारत में मदरास का तेरह महीनों तक चलने वाला युद्ध आरंभ हुआ। भारत में ब्रिटेन व फ़्रांस के बीच होने वाला ये सबसे खतरनाक युद्ध था। फ़्रांस ने तीन हज़ार सैनिकों से मद्रास के तट पर आक्रमण किया जो 22 हजार ब्रिटिश सैनिकों के क़बज़े में था। इन दो साम्राज्यवादी शक्तियों के बीच होने वाले युद्ध में रसद न मिलने के कारण फ़्रांस के सैनिकों ने जनवरी 1761 ईसवी में अंग्रेज़ों के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया। इस प्रकार भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटेन के नियंत्रण की भूमि अधिक समतल हो गयी। मद्रास का नाम अब चेन्नई है।

 

9 दिसम्बर सन 1987 ईसवी को जार्डन नदी के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों और ग़ज़्ज़ा पटटी में ज़ायोनी अतिग्रहणकारियों के विरुद्ध फ़िलिस्तीनी जनता का संघर्ष आरंभ हुआ। इंतेफ़ाज़ा के नाम से प्रख्यात यह आंदोलन ज़ायोनी शासन द्वारा फ़िलिस्तीनियों के दमन और फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों के अतिग्रहण में वृद्धि के पश्चात आरंभ हुआ। यह ऐसी स्थिति में था कि जब फिलिस्तीनी जनता अपने अधिकारों की वापसी हेतु अरब देशों तथा अन्य फ़िलिस्तीनी संगठनों के प्रयास की ओर से निराश हो चुकी थी। इंतेफ़ाज़ा आंदोलन की विशेषता, इसका जनता पर आधारित होना और किसी देश से संबंधित न होना है।

 

9 दिस्मबर सन 1917 ईसवी को प्रथम विश्व विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के सैनिकों ने उसमानी शासन के सैनिकों को फ़िलिस्तीन में पराजित किया। और इस भूमि का अतिग्रहण कर लिया। अंग्रेज़ों ने अगले वर्ष के अक्तूबर महीने में दोनों पक्षों के बीच युद्ध रोकने और शांति के समझौते पर हस्ताक्षर होने तक मध्यपूर्व के अधिकांश क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। फ़िलिस्तीन पर ब्रिटिश सैनिकों का अधिकार इस लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री बेलफ़ोर के घोषणा पत्र का क्रियानवयन समझा गया जो एक महीने पूर्व जारी हुआ था। इस घोषणा पत्र में ब्रिटिश विदेश मंत्री ने फिलिस्तीन में ज़ायोनी देश बनाने का वचन दिया था और इस क्षेत्र पर ब्रिटेन के अधिकार से इस वचन के क्रियानवयन की भूमिका समतल हो गयी थी।

 

9 दिसंबर वर्ष 1742 को स्वीडन के प्रसिद्ध रसायनशास्त्री व आधुनिक रसायनशास्त्र के संस्थापकों में से एक कार्ल विलहेल्म शील का स्टॉकहोम में जन्म हुआ। परिवार की विषम आर्थिक स्थिति के बावजूद वे बड़ी लगन से ज्ञान की प्राप्ति में लगे रहे। शील जिस युग में पैदा हुए वह रासायन शास्त्र की उन्नति का काल था। पांच वर्षों के गहन अध्ययन व प्रयास से वह वर्ष 1772 में क्लोरिन गैस का पता लगाने में सफल हुए। क्लोरिन की महत्वपूर्ण रासायनिक तत्वों में गणना होती है और उद्योग में इसकी बहुत अधिक उपयोगिता है। इसी प्रकार कार्ल विलहेल्म शील ने गिलिसरीन और मैंगनीज़ की भी खोज की है। वर्ष 1786 में उनका निधन हुआ।

 

9 दिसंबर वर्ष 1748 को फ़्रांसीसी रसायनशास्त्री क्लॉड लुइस बर्थले का जन्म हुआ। शिक्षा प्राप्ति के पश्चात वे रसायनशास्त्र में शोधकार्य करने लगे और बहुत परीक्षण के पश्चात क्लोरिन के विसंक्रमण प्रभाव का पता लगाने में वे सफल हुए। बर्थले ने इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के बारे में भी शोधकार्य किए। वर्ष 1822 में उनका निधन हुआ।

 

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23 रबीउस्सानी 599 हिजरी क़मरी को दमिशक़ में सीरिया के प्रसिद्ध धर्मगुरु शहाबुद्दीन अब्दुर्रहमान दमिश्क़ी मुक़द्देसी का जन्म हुआ वे अबू शामा के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने दमिश्क में आरंभिक शिक्षा प्राप्ति के बाद मिस्र के इसकंदरिया नगर की यात्रा की और इस नगर में हदीस फ़िक़ह उसूल आदि इस्लामी विषयों का ज्ञान अर्जित किया।

उन्हें लेखन से भी बहुत लगाव था उन्होंने बहुत सी पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से कुछ अब भी सुरक्षित हैं। ये पुस्तकें साहित्य और इतिहास के विषय में लिखी गयी हैं। इन पुस्तकों में मुक़द्देमह फिन्नहव और शरहे मुखतसर तारीख़े दमिश्क़, आदि की ओर संकेत किया जा सकता है।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अबू शामा की अधिकांश पुस्तकें आग लगने की एक र्घटना में उनके पुस्तालय के साथ जल गयीं इस प्रकार ज्ञान का एक महत्वपूर्ण खज़ाना नष्ट हो गया।

 

 

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