मंगलवार - 10 दिसम्बर
10 दिसम्बर वर्ष 1998 को अमर्त्य सेन को स्काटहोम में अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
10 दिसम्बर वर्ष 1998 को अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। अमर्त्य सेन का जन्म ३ नवम्बर वर्ष १९३३ को हुआ था। वह एक अर्थशास्त्री हैं। उन्हें वर्ष १९९८ में अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे हार्वड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकनॉमिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं।
सेन ने एम.आईटी, स्टैनफोर्ड, बर्कली और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में अतिथि अध्यापक के रूप में भी शिक्षण किया है। उनका जन्म कोलकाता में शांति निकेतन में कायस्थ परिवार में हुआ था, जहाँ उनके नाना क्षिति मोहन सेन शिक्षक थे। उनके पिता आशुतोष सेन ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पढ़ाते थे। कोलकाता स्थित शांति निकेतन और प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ाई पूर्ण करने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन के कुछ वर्ष उन्होंने म्यांमार के मांडले में भी बिताए और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ढाका में हुई। उन्हें वर्ष 1998 में अर्थशास्त्र का नोबल सम्मान मिला और 1999 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
10 दिसम्बर सन 1896 ईसवी को स्वेडन के रसायनशास्त्री एलफ़्रेड नोबल का निधन हुआ। उनका जन्म 1833 ईसवी में हुआ। वे युवासवस्था में रुस पलायन कर गये। रसायनशास्त्र में गहन अध्ययन और शोधकार्य के पश्चात 1867 में उन्होंने डाइनामाइट नामक विस्फोटक की खोज की। परंतु यह पदार्थ शांति पूर्ण कार्यों के बजाए युद्ध में प्रयोग होने लगा इससे नोबेल को गहरा आधात पहुंचा उसके बाद वे शांति के कार्यों में लग गये। उन्होंने एक कोष बनाया जिससे हर वर्ष किसी ऐसे व्यक्ति को जिसने भौतिक रासायन चिकित्स साहित्य और विश्व शांति में से किसी एक क्षेत्र में सबसे अधिक प्रयास किये हों पुरुस्कार दिया जाता है। इस पुरुसकार को कोष के संस्थापक के नाम के अनुसार नोबल पुरुसकार कहा जाता है। किंतु अब इस पुरुस्कार के पात्र के निर्धारण में कभी बड़ी शक्तियां हस्तक्षेप करके वास्तविक पात्र को इससे वंचित कर देती हैं।
10 दिसम्बर सन 1948 ईसवी को संयुक्त राष्टृ की महासभा ने मानवाधिकार घोषणा पत्र किया। संयुक्त राष्टृ के निर्देश पर कई देशों की प्रतिनिधियों पर आधारित एक समिति ने इस घोषणा पत्र का मसौदा तैयार किया। यह 1 प्रस्तावना और 30 सूत्रों पर आधारित है। इसके पहले सूत्र में समस्त जनजाति के एकसमान होने ओर उसके बीच भाइचारे के प्रचलन की ओर संके किया गया है। खेदपूर्ण बात यह है कि बाद की घटनाओं से सिद्ध हो गया कि पश्चिमी देश मानवाधिकरों की सुरक्षा को एक हथकंडा बनाकर दूसरे देशों पर दबाव डाल रहे हैं तथा उनके आंतरिक मामलों हस्तक्षेप कर रहे हैं।
10 दिसम्बर सन 1996 ईसवी को दक्षिणी अफ़्रीक़ा के विख्यात संघर्षकर्ता और राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने एक नये संविघान पर हस्ताक्षर किये। उन्होंने इस देश में जाती भेदभाव को इतिहास के पन्नो तक की सीमित करने के लिए व्यापक प्रयास किए और एक निष्पक्ष सरकार का गठन किया।
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20 आज़र सन 1360 हिजरी शम्सी को प्रसिद्ध मुस्लिम धर्मगुरु और प्रख्यात मार्गदर्शक सैयद अबदुल हुसैन दस्तेग़ैब को आतंकवादी गुट एम के ओ ने नमाज़ पढ़ते समय शहीद कर दिया। वे सन 1291 हिजरी शम्सी में ईरान के दक्षिणी नगर शीराज़ में पैदा हुए। उन्होंने अत्याचारी शासक शाह के विरुद्ध संघर्ष भी किया। और कई बार जेल गये। ईरान में इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद वे शीराज़ की जनता की ओर से संसद के लिए प्रतिनिधि चुने गये। और फिर इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी ने उन्हे शीराज़ का इमामे जुमा नियुक्त किया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं।