Dec १३, २०१६ १६:२८ Asia/Kolkata

1631, इटली के माउंट विसुवियस में ज्वालामुखी विस्फोट से छह गांव तबाह, चार हज़ार से अधिक लोग मारे गये।

1707, जापान के माउंट फुजी पर्वत में अंतिम बार ज्वालामुखी विस्फोट हुआ।

1862, नेपाल ने संविधान को अपनाया।

1889, ब्रिटिश संसद की अधिकार घोषणा को राजा विलियम तथा रानी मेरी ने स्वीकार कर शासन में जनता के अधिकार को मान्यता दी

1927, आस्ट्रेलिया के महान् बल्लेबाज सर डान ब्रैडमैन ने न्यूसाउथ वेल्स और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच से अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत की।

1929, कलकत्ता वर्तमान में कोलकाता विद्युत आपूर्ति निगम ने हुगली नदी के भीतर नहर की खुदाई आरंभ की।

1951, हैदराबाद में सालार जंग संग्रहालय की स्थापना की गई।

1959, पश्चिमी पाकिस्तान के लोवाराय दर्रे में भारी बर्फ़बारी से 48 लोगों की मौत।

1971, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति के बाद बंगलादेश पाकिस्तान से पृथक् होकर स्वतंत्र राष्ट्र बना।

1985, तमिलनाडु के कलपक्कम में पहले फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर की स्थापना हुई।

1991, क़ज़ाख़स्तान ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की।

1994, पलाऊ संयुक्त राष्ट्र का 185वां सदस्य बना।

2006, नेपाल में अंतरिम संविधान को अंतिम रूप दिया गया। इसके तहत राजा ज्ञानेन्द्र को देश के प्रमुख के पद से हटा दिया गया।

2014, पाकिस्तान में पेशावर के एक स्कूल में तहरीक ए तालिबान के हमले में 145 लोगों की मौत हुई जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे।

 

16 दिसम्बर सन 1860 ईसवी को टीवी का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिकों में से एक पॉवेल नेपको का जन्म हुआ। एक निर्धन घराने में उनका पालन पोषण हुआ किंतु उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम के सहारे भौतिक शास्त्र की शिक्षा पूरी की। उन्होंने चित्रों को संचालित करने के लिए गहन अध्ययन किये यहॉ तक कि वे एक ऐसी मशीन बनाने में सफल हो गये जो तीस मीटर की दूरी तक अपनी लहरें पहुँचाकर चित्र दिखा सकती थी। बाद में कुछ दूसरे आविष्कारकों ने इस यंत्र की क्षमता बढ़ाई और अब यह यंत्र हज़ारों किलोमीटर की दूरी से चित्रों को प्रसारित कर सकता है।

16 दिसम्बर सन 1950 ईसवी को साइप्रस की जनता ने इस द्वीप से ब्रिटेन का अधिकार समाप्त करने के लिए स्वतंत्रता अभियान आरंभ किया।

साइप्रस भूमध्य सागर में स्थित एक द्वीप है।16 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर उसमानी शासन का अधिकार हो गया था। वर्ष 1877 में जब उसमानी शासन और रूस की सेना के बीच युद्ध चल रहा था तो ब्रिटेन को उस्मानी शासन की पराजय और क़ुस्तुन्तुनिया पर रुस के ज़ार शासकों के अधिकार का भय हुआ। इसी बात के दृष्टिगत ब्रिटेन ने उसमानी शासन की अनुमति से अपनी सेना साइप्रस में उतारी और इस क्षेत्र का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया। 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के आरंभ होने के साथ ही उसमानी शासन के जर्मनी के साथ मिल जाने के कारण ब्रिटेन ने साइप्रस द्वीप को अपने अधीन क्षेत्र में मिला लिया और 1925 में औपचारिक रुप से इसे अपना उपनिवेश घोषित कर दिया। उसी समय से साइप्रस के दो स्थानीय समुदायों यूनानियों और तुर्क जातियों के बीच आंतरिक युद्ध आरंभ हुआ। यूनानियों की इच्छा थी कि यह क्षेत्र यूनान से जुड़ जाए जबकि तुर्क यह चाहते थे कि यह एक स्वतंत्र देश बने। अंतत: 14 अगस्त 1960 ईसवी को साइप्रस को एक स्वतंत्र और राष्ट्रमंडल का सदस्य देश मान लिया गया। साथ ही इसे संयुक्त राष्ट्र की भी सदस्यता मिली। इन सब के बावजूद, इस क्षेत्र की उक्त दोनों जातियों के बीच तनाव, एक बड़ी समस्या के रुप में आज भी मौजूद है।

 

16 दिसम्बर सन 1991 ईसवी को सोवियत संघ के विघटन के समय इस संघ के गणराज्य क़ज़ाक़िस्तान ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। और नूर सुलतान नज़रबायोफ़ को इस देश का पहला राष्ट्रपति चुना गया। 18 वीं शाताब्दी के आरंभ से रुस ने इस पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।

 

16 दिसम्बर सन 1998 ईसवी को फ़्रांस के मुसलमान लेखक और दर्शनशास्त्री रोजर गैरोडी को कारावास और जुर्माने का दंड सुनाया गया। उन्होंने अपनी पुस्तक इस्राईल की नीति की असली कहानी में इस बात को प्रमाणित कर दिया था कि उसने द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ियों के साथ सहकारिता की थी। उन्होंने यह भी साबित किया कि ज़ायोनियों ने फ़िलिस्तीन में अपना देश बनाने हेतु विश्व जनमत का समर्थन जुटाने के लिए यहूदियों पर हिटलर के अत्याचारों को बढ़ा चढ़ाकर दर्शाया। प्रोफ़ेसर गैरोडी ने इस पुस्तक में इस दावे को भी हास्यास्पद बताया कि हिटलर ने 60 लाख यहूदियों का जनसंहार किया था। क्योंकि उस समय यहूदियों की कुल जनसंख्या भी इतनी नहीं थी।

ज़ायोनी शासन ने फ़्रांस पर अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए गैरोडी को कारवास का दंड दिलवाया जिससे फ़्रांस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रशन चिन्ह लग गया।

 

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19 रबीउस्सानी सन 403 हिजरी क़मरी को विख्यात मुस्लिम धर्मगुरु विद्वान और इतिहासकार अली बिन ख़लफ़ क़ीरवानी क़ाबुसी का निधन हुआ। वे टयूनेशिया के क़ीरवान नामक क्षेत्र के रहने वाले थे। उनका जन्म सन 324 हिजरी क़मरी में हुआ। उन्होंने बहुत कम समय में ज्ञान प्राप्त किया। जवानी में वे नेत्रहीन हो गये किंतु उनकी स्मरण शक्ति इतनी तेज़ हो गयी कि वे पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों और इस्लामी इतिहास को याद रखने के लिए लिखने पढ़ने पर विवश नहीं होते थे। उनकी पुस्तकों में अल मोमहहिद का नाम लिया जा सकता है।

19 रबीउस्सानी सन 663 हिजरी क़मरी को ईरान के विख्यात खगोल शास्त्री, दार्शनिक और गणितज्ञ असीरुद्दीन अबहरी का निधन हुआ। उन्होंने इमाम फ़ख़्रे राज़ी और कमालुद्दीन इब्ने युनुस जैसे विद्वानों से ज्ञान प्राप्त किया। अबहरी ने अपनी आयु का अधिकांश भाग शिक्षा-दीक्षा और लेखन में बिताया। उन्होंने तर्कशास्त्र, गणित और खगोल शास्त्र के विषयों में पुस्तकें लिखी हैं।

इनमें इसलाहे उसूल अक़लीदस और हिदायतुल हिकमह का नाम लिया जा सकता है।

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