बुधवार- 25 दिसम्बर
336, रोम में क्रिसमस उत्सव मनाने के लिए पहले दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर हुए।
1771, मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय दिल्ली के सिंहासन पर बैठे।
1947, पाकिस्तानी सेना ने झनगड़ को अपने क़ब्जे में ले लिया था।
1977, मूक कमेडी फ़िल्मों के माध्यम से वर्षों तक दुनिया भर के लोगों का मनोरंजन करने वाले महान कलाकार चार्ली चैपलिन का स्विट्जरलैंड में देहान्त हुआ।
1974, रोम जा रहे एयर इंडिया के विमान बोइंग 747 का अपहरण कर लिया गया।
1991, सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिख़ाइल गोर्बाचोव के त्यागपत्र के साथ ही सोवियत संघ का विभाजन एवं उसका अस्तित्व समाप्त हो गया।
2002, चीन और बांग्लादेश ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।
2005, मारीशस में 400 वर्ष पूर्व विलुप्त 'डोडो' पक्षी का दो हज़ार वर्ष पुराना अवशेष मिला।
2008, भारत द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए चन्द्रयान-1 के 11 में से एक पेलोडर्स ने चन्द्रमा की नई तस्वीर भेजी।
25 दिसम्बर को महान ईश्वरीय पैगम्बर हज़रत ईसा मसीह का फिलिस्तीन में स्थित बैते लहम क्षेत्र में जन्म हुआ। वे ईश्वर की इच्छा के अनुसार चमत्कारिक रुप से बिना पिता के जन्मे थे। उनकी माता का नाम हज़रत मरियम था। जन्म के थोड़े ही समय के बाद हज़रत ईसा ने पालने में अपनी माता की पवित्रता की गवाही दी। अपने जीवन में उन्होंने सदैव दुखियों और वंचितों की सहायता की। उन्होंने सदैव सादा जीवन व्यतीत किया। उनका एक कथन है कि विनम्रता से तत्वदर्शिता फलती फूलती है न कि घमंड से, जैसे कि फ़स्ल समतल भूमि पर उगती है न कि पथरीले पहाड़ पर।
25 दिसम्बर सन 1665 ईसवी को चौदहवें लुई के शासनकाल में ब्रिटेन से राजनैतिक, आर्थिक व साम्राज्यवादी मामलों में प्रतिस्पर्धा के लिए भारत में फ़्रांस की ईस्ट इंडिया कम्पनी का गठन हुआ। इस कम्पनी की स्थापना से 66 वर्ष पूर्व ब्रिटेन की सरकार ने ईस्ट इंडिया व्यापारिक कंपनी स्थापित की थी। फ़्रांस की उक्त कम्पनी की स्थापना के परिणाम स्वरुप ब्रिटेन व फ़्रांस के बीच कई झड़पें हुईं।

25 दिसम्बर सन 1901 ईसवी को बेल्जियम के प्रख्यात भौतिकशास्त्री व आविष्कारक ज़ोनेबे ग्राम का 75 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्होंने 19 वर्ष की आयु से भौतिकशास्त्र के क्षेत्र में अनुसंधान आरंभ किया। उनके अनथक प्रयासों के परिणाम स्वरुप डायनामाइट का आविष्कार हुआ।
25 दिसम्बर सन 1979 ईसवी को ज़ायोनी शासन की गुप्तचर सेवा मोसाद के एजेंटों ने फ़िलिस्तीन के एक वरिष्ठ अधिकारी की हत्या कर दी। पी एल ओ की सुरक्षा संस्था के संचालक अली हसन सलामह को मोसाद के एजेंटों ने बैरूत में उनकी कार में बम रखकर शहीद कर दिया। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि ज़ायोनी शासन संसार के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवादी कार्यवाहियों द्धारा अपने विरोधियों की हत्या के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों का खुला उल्लंघन करता है।

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4 दैय सन 1375 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध कलाकार हसन पूर सनाई का निधन हुआ। उस्ताद हसन पूर सनाई ने पांच वर्ष की आयु से ही अपने पिता, मशहदी अब्दुलखालिक़ से छपाई की कला को सीखना आरंभ कर दिया था और बहुत कम समय में ईरान के बड़े डिज़ाइनरों में उनकी गणना होने लगी। पर्दे, शिलालेख, फ्रेम, टेंट, जानमाज़ और इस प्रकार के बहुत से सामना उन की यादगार के रूप में मौजूद हैं। उनकी कला के नमूने हमेदान ईरान के धार्मिक स्थलों में देखे जाते हैं। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद उन्हें विश्वविद्यालय में पढ़ाने का निमंत्रण दिया गया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। पचासी वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

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28 रबीउस्सानी सन 638 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध विद्वान व तत्वदर्शी अबू बक्र मुहियुद्दीन मुहम्मद का जो इब्ने अरबी के नाम से प्रसिद्ध थे, दमिश्क़ में निधन हुआ। इब्ने अरबी सन 560 हिजरी क़मरी में एंडलूसिया में जन्मे जिसे अब स्पेन कहा जाता है। वे अपने समय में प्रचलित शिक्षा प्राप्त करने के बाद आत्मनिरक्षीण व आत्मशुद्धि तथा अध्यात्म में लीन हो गए। उन्होंने विभिन्न देशों और नगरों की यात्रा की जिनमें ट्यूनीशिया, मक्का, बग़दाद और हलब शामिल हैं। इब्ने अरबी को इन सभी जगहों पर लोगों ने बहुत सम्मान दिया। उन्होंने विभिन्न विषयों पर 500 से अधिक छोटी बड़ी पुस्तकें लिखी हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध पुस्तक तफ़सीरे कबीर है। उनकी अन्य पुस्तकों में “फ़ूसूसुल हेकम” का नाम लिया जा सकता है जिसकी विभिन्न व्याख्याएं लिखी गई हैं।
28 रबीउस्सानी वर्ष 912 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध ईरानी शायर मिर्ज़ा शरफ़ जहान क़ज़वीनी, का क़ज़वीन नगर में जन्म हुआ। उन्होंने शीराज़ के प्रसिद्ध विद्वान अमीर ग़यासुद्दीन से शिक्षा प्राप्त की। मिर्ज़ा शरफ़ जहान विभिन्न ज्ञानों सहित साहित्य, संगीत इत्यादि में भी निपुण थे। वह अध्यात्म के उच्च स्थान के स्वामी होने के अतिरिक्त एक अच्छे शायर भी थे। मिर्ज़ा शरफ़ जहान का एक पद्य संकल्न भी है जिसका हस्तलिखित नुस्ख़ा भी मौजूद है।
28 रबीउस्सानी सन 1336 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध ईरानी साहित्यकार अदीबुल ममालिक फ़राहानी का देहान्त हुआ। उनको पुस्तकें लिखने में बहुत रूची थी इसीलिए उन्होंने अदब, मजलिस और आफ़ताब नामक समाचार पत्रों के प्रकाशन की ज़िम्मेदारी स्वयं ले ली थी। इसके अतिरिक्त वे राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। वह संविधान क्रांति के दौरान क्रांतिकारी संघर्षकर्ताओं से जा मिले और स्वतंत्रताप्रेमियों की सहायता की। अदीबुल मुमालिक फ़राहानी शेर कहने में दक्ष व निपुण थे और पुराने कवियों की शैली का बहुत अच्छे ढंग से अनुसरण करते थे। वह उन शायरों में शामिल थे जिन्होंने अपने शेरों और कविताओं में सामाजिक, राजनैतिक और विशेषकर देश प्रेम के विषयों को शेर का रूप दिया।