गुरुवार- 26 दिसम्बर
26 दिसम्बर सन 1530 ईसवी को भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल शासन के संस्थापक ज़हीरुद्दीन बाबर का आगरा में निधन हुआ।
26 दिसम्बर सन 1782 ईसवी को टीपू सुलतान अपने पिता हैदर अली के निधन के बाद तख़्त पर बैठे।
26 दिसम्बर सन 1994 ईसवी को उर्दू की मशहूर कवित्री परवीन शाकिर की इस्लामाबाद में कार दुर्घटना में मौत हो गई।
26 दिसम्बर सन 2004 ईसवी को इंडोनेशिया और दक्षिण पश्चिम एशियाई देशों मे चक्रवात और सुनामी से तीन लाख से अधिक लोग मारे गए।
26 दिसम्बर सन 1893 ईसवी को चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक व अध्यक्ष माओ ज़े तुंग का जन्म हुआ। उन्होंने वर्ष 1921 ईसवी में अपनी जैसी विचारधारा रखने वाले कुछ लोगों के साथ मिलकर कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। वे किसानों की सहायता पर बल देते थे इसी लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उनके समर्थकों की संख्या बहुत अधिक थी। उन्होंने 1934 ईसवी में विख्यात रैली का भी नेतृत्व किया जो एक वर्ष तक जारी रही थी। इसके दौरान 60 हज़ार से अधिक लोग मारे गये। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कम्युनिस्टों ने तत्कालीन शासक चियान काय चेक को पराजित किया और 1949 में चीन में अपनी सरकार का गठन किया। माओ ने अपने शासन काल में चीन को एक शक्तिशाली केंद्रीय सरकार दी। 1976 में उनका निधन हुआ।
26 दिसम्बर सन 1896 ईसवी को जर्मनी के इतिहासकार हेनरी होराइचेके का निधन हुआ। वे 1834 ईसवी में पैदा हुए थे। उनके द्वारा लिखा गया जर्मनी का इतिहास बहुत महत्वपूर्ण व विश्वसनीय माना जाता है। उनकी इस पुस्तक का नाम है जर्मनी 19वीं शताब्दी में।
26 दिसम्बर सन 1979 ईसवी को पूर्व सोवियत संघ की लाल सेना ने अफ़ग़ानिस्तान पर अधिकार करके एक स्वतंत्र देश के विरुद्ध अपनी सबसे लम्बी कार्रवाई का आरंभ किया। रुस की वर्तमान पीढ़ी के मतानुसार अफ़ग़ानिस्तान का अतिग्रहण क्रेमलिन की सबसे बड़ी भूल थी। रुस ने अफ़ग़ानिस्तान के तत्कालीन शासक बबरक कारमल की सहायता के बहाने इस देश पर आक्रमण किया। इस आक्रमण के एक दिन बाद कारमल ने अफ़ग़ानिस्तान में विद्रोह करके सत्ता हथिया ली। उसी समय से 1 लाख 30 हज़ार अफ़ग़ान लड़ाके रुस की लाल सेना का मुक़ाबला करने के लिए उठ खड़े हुए और आधुनिक शस्त्रों से लैस इस सेना को भरी पराजय का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर अमरीका जो अफ़ग़ानिस्तान में रुस की स्थिति की सुद्दढ़ता को अपने हितों के लिए ख़तरनाक समझ रहा था अफ़ग़ान गुटों को आर्थिक, सैनिक और राजनैतिक सहायताएं देने लगा। अफ़ग़ानिस्तान पर रुस के दस वर्ष के अतिक्रमण के परिणाम में दसियों हज़ार अफ़ग़ान नागरिक हताहत व घायल हुए। अंतत: रुस ने इस युद्ध के भारी ख़र्चों को देखते हुए अपनी नीति बदली तथा फ़रवरी 1989 में अपनी सेना को अफ़ग़ानिस्तान से वापस बुला लिया।
26 दिसंबर वर्ष 2004 को हिंद महासागर में भीषण भूकंप आया जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर नौ मापी गयी। यह भूकंप सूनामी का कारण बना। सूनामी के कारण बड़ी बड़ी लहरें हिंद महासागर के पड़ोसी देशों के तट से टकराने लगीं और बहुत अधिक जानी एवं माली नुक़सान हुआ। चूंकि भूकंप का केन्द्र दक्षिणपूर्वी एशिया था इसीलिए इन्डोनेशिया, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड और इसी प्रकार भारत जैसे देशों को भारी हानि हुई। इस भीषण त्रासदी के कारण लगभग दो लाख बीस हज़ार लोग मारे गये और बीस लाख लोग बेघर हुए और अरबों डालर का नुक़सान हुआ। इस भीषण त्रासदी के बाद विभिन्न देशों की ओर से प्रभावित क्षेत्रों की ओर सहायता सामग्री भेजी गयी। इसके कारण विश्व के देशों ने प्राकृतिक आपदाओं को गंभीरता से लिया और वे इस प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए चेतावनी प्रणाली को सुदृढ़ करने पर विचार करने लगे।
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5 देय सन 1357 हिजरी शम्सी को तेहरान पोलीटेक्निक के प्रोफ़ेसर कामरान नजातुल्लाही की विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसरों के धरने के दौरान अत्याचारी शासक शाह ने हत्या करवा दी। उल्लेखनीय है कि विश्वपिद्यालय के शिक्षकों ने ईरानी जनता के स्वतंत्रता प्रेमी संघर्षों के शाह के सुरक्षा कर्मियों द्वारा कुचले जाने पर विरोध करते हुए यह धरना दिया था। यह धरना संस्कृति एवं शिक्षा मंत्रालय की एक इमारत में दिया गया था जिसके दौरान शाह के सुरक्षा कर्मियों ने प्रदर्शनिकारियों पर आक्रमण किया और परिणामस्वरुप नजातुल्लाही शहीद हो गये।
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29 रबीउस्सानी सन 673 हिजरी क़मरी को मोहम्मद बिन अहमद ज़हबी नामक विख्यात इस्लामी इतिहासकार का जन्म हुआ वे शम्सुद्दीन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों को एकत्रित करने में गहरी रुचि थी। उन्होंने ज्ञान के लिए बहुत सी यात्राएं कीं और इन यात्राओं में बहुत से महापुरुषों से भेंट की तथा उनसे पैग़म्बरे इस्लाम के कथन एकत्रित किए। उन्होंने इस्लाम के उदय से लेकर वर्ष ७०४ हिजरी क़मरी तक की महत्वपूर्ण घटनाओं और इस्लामी जगत के विख्यात लोगों के बारे में जानकारियां एकत्रित कीं और इन्हें तारीख़े इस्लाम नामक एक पुस्तक के रुप में प्रकाशित किया। उनके प्रयासों से आज भी अध्ययनकर्ता बहुत लाभ उठा रहे हैं।
उनकी पुस्तकों में अलकाशिफ़, तबक़ातुल कुर्रा, अलमोजमुस्सग़ीर, अलमोजमुल कबीर आदि की ओर संकेत किया जा सकता है। सन 748 हिजरी क़मरी में सीरिया की राजधानी दमिश्क में ज़हबी का निधन हुआ।
29 रबीउस्सानी सन 354 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम और उनके परिजनों के कथनों का ज्ञान रखने वाले व साहित्यकार इब्ने मुक़स्सिम का निधन हुआ। वह बग़दाद में जन्मे थे। उन्होंने अपने समय के प्रसिद्ध धर्मगुरूओं जैसे अब्बास इब्ने फ़ज़ल राज़ी से ज्ञान प्राप्त किया। यद्यपि इब्ने मुक़स्सिम ने अरबी व्याकरण पर पुस्तकें लिखी हैं किन्तु उन्होंने सबसे अधिक कार्य पवित्र क़ुरआन से संबंधित ज्ञान पर कार्य किया है। अलअनवार फ़ी तफ़सीरिल क़ुरआन उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में से है।