मार्गदर्शन-6
एक परिपूर्ण धर्म को चुनना और उसकी शिक्षाओं का पालन, इंसान के जीवन की एक आवश्यकता है।
महान ईश्वर को याद करना और ईश्वर की बंगदी के मार्ग में चलने से इंसान को एक ऐसी शांति, आनंद और सुकून प्राप्त होता है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। ईश्वरीय धर्म इस्लाम की शिक्षाएं इंसान को यह संभावना प्रदान करती हैं कि वह बंदगी और स्वस्थ जीवन का स्वाद चखे और कल्याण और पूरिपूर्णता प्राप्त कर सकें। इस्लाम की दृष्टि में एक धर्मपरायण इंसान अलग- थलग और समाज से कटकर नहीं रहता बल्कि वह मज़बूत और प्रयास करने वाला होता है और वह समाज की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में अपनी भूमिका निभाता है। इसी प्रकार धर्मपरायण इंसान मनोरंजन करता और खेलों में भाग लेता है। इस्लाम की नज़र में मोमिन वह व्यक्ति है जिसने अपने भौतिक और आध्यात्मिक जीवन के लिए बड़ा उद्देश्य निर्धारित कर रखा है और वह ईश्वरीय मार्ग से नहीं हटता।
ईश्वरीय धर्म इस्लाम ने अपने अनुयाइयों का समस्त क्षेत्रों में मार्ग दर्शन किया है और जीवन के लिए व्यापक कार्यक्रम पेश किया है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई का मानना है कि इस्लाम ने इंसान के जीवन के समस्त पहलुओं पर ध्यान दिया है और इंसान के जीवन के हर पहलु के लिए उसके पास कार्य व दायित्व हैं।
दूसरे धर्मों के मध्य इस्लाम धर्म की अद्वितीय विशेषताएं हैं। इन विशेषताओं की व्यापक व विस्तृत समीक्षा इस धर्म की विशिष्टताओं की सूचक है। उदाहरण स्वरूप इस्लाम धर्म ने बुद्धि से काम लेने और ज्ञान अर्जित करने पर बहुत बल दिया है और यह इस आसमानी धर्म की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। इस्लाम धर्म में बुद्धि से काम लेने पर बहुत बल दिया गया है और इस्लाम सदैव अपने अनुयाइयों का बुद्धि से काम लेने और चिंतन- मनन का आह्वान करता है जबकि दूसरे धर्मों व विचार- धाराओं में इस प्रकार की बात नहीं है। उदाहरण स्वरूप ईसाई धर्म इस समय तसलीस यानी तीन ईश्वर और हज़रत ईसा मसीह को ईश्वर मानने की समस्या का समाधान करने में पूर्ण अक्षम है और इस समस्या का समाधान न कर पाने के कारण इस धर्म ने तक को स्वयं से अलग कर दिया है।
इस्लाम धर्म स्वीकार करने वाले अमेरिकी प्रोफेसर मोहम्मद लेगन हेन्सन कहते हैं” इस्लाम में जो चीज़ मेरे लिए सबसे अधिक रोचक व आकर्षक थी वह यह थी कि यह धर्म किस सीमा तक इंसानों के प्रश्नों का स्वागत करता है और यह धर्म सदैव अपनी शिक्षाओं में अधिक से अधिक अध्ययन का आह्वान करता है। वह आगे कहते हैं जब हम पादरियों से सवाल करते हैं कि हमारी समझ में नहीं आता है कि ईश्वर एक है और साथ ही वह तीन भी है? अधिकांश अवसरों पर यह कहा गया कि हम शिक्षा की गहराई को नहीं समझ सकते। केवल ईश्वर जानता है कि इस बात की वास्तविकता क्या है। यह ऐसा रहस्य है जिसे केवल ईश्वर जानता है और यहां पर बुद्धि बंद गली में पंहुच जाती है! जो चीज़ें जो मेरे लिए बहुत रोचक थीं उनमें से एक यह थी कि इस्लाम में यह नहीं कहा गया है कि धर्म के सिद्धांतों को आंख बंद करके स्वीकार कर लो बल्कि कहा गया है कि पूछो विशेषकर यह बात शीयों के अंदर बहुत अधिक है।“
इस्लाम धर्म मनुष्य के जीवन के समस्त पहलुओं को महत्व देता है और उसके विभिन्न प्रश्नों का समूचित उत्तर देता है। वह कभी भी इंसान की इच्छाओं का दमन नहीं करता और अलग पड़े रहने और विवाह न करने का मुखर विरोधी है। विवाह करना और परिवार का गठन इस आसमानी धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में से है कि वह इंसान को मानसिक व आत्मिक शांति उपहार स्वरुप भेंट करता है और जीवन में प्रयास करने के लिए इंसान को नई ऊर्जा व शक्ति प्रदान करता है। इस्लाम कार्य व प्रयास के लिए प्रोत्साहित करता है और काम न करने वाले निठल्ले व्यक्ति को वह ईश्वरीय दया व कृपा से दूर समझता है। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजन सबके सब अपनी आजीविका कमाने के लिए परिश्रम करते थे और हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अकेले अपने पावन हाथों से खजूर के बहुत से बाग़ों को आबाद किया और बहुत से कुओं को खोदा और सार्वजनक लाभ के लिए उन्हें वक्फ कर दिया।
पवित्र कुरआन की शिक्षाओं और पैगम्बरे इस्लाम तथा उनके पवित्र परिजनों के सदाचरण के अध्ययन से हम यह बात समझ जाते हैं कि इस धर्म ने सही जीवन शैली को समस्त मानवता को उपहार स्वरूप भेंट किया है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई इस बारे में कहते हैं” इस्लाम केवल इसलिए नहीं आया है कि वह दिल और मस्तिष्क में विश्वास उत्पन्न करे यद्यपि उस विश्वास का इंसान के जीवन में कोई प्रभाव न पड़े। इस्लाम आया है ताकि जीवन को परिवर्तित करे और इंसान के मार्ग को सही करे। इस्लाम पर आस्था, इंसान के अमल का स्रोत है। इंसान के जीवन के समस्त क्षेत्रों में इस्लाम के आदेश और कानून मौजूद हैं। इंसान के सामाजिक,राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में इस्लाम के आदेश हैं और सबके लिए उसके पास कार्यक्रम व मार्गदर्शन हैं।
इस्लाम की शिक्षाओं का आधार वहि अर्थात ईश्वरीय संदेश है। इस धर्म में ऐसी शिक्षाएं हैं जिसमें इंसान के जीवन के समस्त क्षेत्रों का समावेश है और उसने शुभसूचना दी है कि जो भी इस आसमानी धर्म की शिक्षाओं का पालन करेगा उसे लोक-परलोक में कल्याण प्राप्त होगा यानी इस धर्म में ऐसी शिक्षाएं हैं जो इंसान के जीवन को लोक- परलोक दोनों में सफल बनाती हैं। इसी प्रकार इस धर्म में राजनीति, नैतिकता व धार्मिक शिक्षाओं से भिन्न नहीं है और बहुत से कार्यों का स्रोत इंसान की सद्बुद्धि है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई लोक-परलोक के संबंध के बारे में कहते हैं” दुनिया का अर्थ इंसान की ज़िन्दगी करने का अवसर, विश्व में फैली हुई नेअमतें, दुनिया का अर्थ सुन्दरता, अच्छाइयां, कटु बातें और मुसीबतें इंसान के परिपूर्ण होने का साधन हैं। धर्म के अनुसार ये चीज़ें हैं जिनके माध्यम से इंसान परिपूर्णता का मार्ग तय कर सके और उन योग्यताओं व क्षमताओं को निखार सके जो ईश्वर ने उसके अस्तित्व में रखी हैं। इन अर्थों में लोक को परलोक से अलग नहीं किया जा सकता। राजनीति, अर्थ व्यवस्था, सरकार, अधिकार, व्यवहार व नैतिकता, सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। धर्म आया है ताकि इस महान मंच पर और विभिन्न क्षेत्रों में इंसान के प्रयास को दिशा प्रदान करे और उसका मार्ग दर्शन करे। वरिष्ठ नेता, धर्म रहित दुनिया को अर्थहीन व हिंसात्मक बताते हुए कहते हैं दुनिया के अलावा कोई दूसरा स्थान नहीं है जहां धर्म की शिक्षाएं व्यवहारिक हो सकें। धर्म रहित दुनिया ऐसी दुनिया होगी जो आध्यात्म, वास्तविकता, प्रेम और जान व आत्मा से खाली होगी। धर्म रहित दुनिया जंगल के कानून, जंगल के वातावरण और जंगली जीवन में परिवर्तित हो जायेगी।
अमेरिकी लेखिका मार्गेट मार्केस ने मुसलमान होने के बाद अपना नाम मरियम जमीला रख लिया। वह इस्लाम धर्म की व्यापकता के बारे में इस प्रकार कहती हैं” समस्त बड़े धर्मों के विश्वासों की समीक्षा के बाद मैं इस परिणाम पर पहुंची कि ये समस्त धर्म समय बीतने के साथ खराब हो गये। हिन्दू धर्म में मूर्तिपूजा, पुनर्जन्म और वर्णव्यवस्था आ गयी। पूर्ण शांति, व सन्यास बौद्धधर्म की पहचान बन गया और कन्फ्यूशम में पूर्वजों की पूजा होने लगी। ईसाईयों का विश्वास है कि इंसान पापी पैदा होते हैं। इसी प्रकार वे तसलीस अर्थात तीन ईश्वर पर आस्था रखते हैं। यहूदी क़ौम ने भी स्वयं को चुनी हुई क़ौम समझ लिया परंतु जिन चीज़ों से मैं घृणित हुई थी उनमें से कोई भी चीज़ इस्लाम में मुझे नहीं मिली बल्कि मैं दिन- प्रतिदिन इस बात का आभास कर रही थी कि केवल इस्लाम अस्ली धर्म है जिसने अपनी पवित्रता को सुरक्षित रखा है। दूसरे धर्मों की केवल कुछ बातें वास्तविता से निकट हैं परंतु केवल इस्लाम है जिसने समस्त वास्तविकताओं की सुरक्षा की है।“
इस्लाम मानवता की मुक्ति का एकमात्र मार्ग है। इस्लाम न्याय, आज़ादी, सच्चाई और प्रेम का धर्म है। इस्लाम बुद्धि और ज्ञान का धर्म है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता इंसान की ज़िन्दगी में इस्लाम धर्म की शिक्षाओं के प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दु की ओर संकेत करते और कहते हैं” इस्लाम ज़िन्दगी का धर्म है परंतु वह ज़िन्दगी जो प्रतिष्ठा और आज़ादी से खाली हो उसे इस्लाम मृत्यु समझता है। इस्लाम बुद्धि से काम लेने का धर्म है परंतु इस्लाम उन महत्वाकांक्षों का मुकाबला करता है जो स्वयं को विवेक व बुद्धि रूप में पेश करती हैं और यह उन लोगों का विकल्प था जो अपने पैग़म्बरों को पागल कहते थे। इस्लाम एकता, भाइचारे और विश्व शांति का धर्म है परंतु वह अत्याचारग्रस्त से अत्याचारी की एकता और गर्मजोशी से अत्याचारी के स्वागत को विश्वासघात मानता है। इस्लाम वास्तविकता की दृष्टि से देखने का धर्म है परंतु वास्तविकता का नाम देकर विश्व के अत्याचारों के औचित्य दर्शाने को पाप समझता है। इस्लाम के आदेश अमर हैं परंतु वह रूढ़िवाद को स्वीकार नहीं करता है। इस्लाम प्रयास और नई सोच का धर्म है परंतु जो चीज़ें धार्मिक नहीं हैं उन्हें धर्म में शामिल किये जाने को वह रद्द करता है इस्लाम सभ्यता और ज्ञान का धर्म है परंतु जो ज्ञान दूसरों को दास बनाने और लोगों की हत्या का कारण बने, वह सभ्यता जिससे दूसरे इंसानों को गिरी हुई दृष्टि से देखा जाये, इस्लाम उसे अज्ञानता और हैवानियत मानता है। इस्लाम इंसानों की प्रतिष्ठा और अधिकारों का रक्षक है वह नैतिकता एवं सदगुणों को सुनिश्चित बनाने वाला है तो इस धर्म की जीवनदायक शिक्षाओं का पालन करके जीवन को स्वस्थ और सफल बनाया जा सकता है।