मार्गदर्शन -24
मुर्झाइ हुई कलियों के लिए वर्षा ज़रूरी है ताकि उनमें जान आ सके और वे देखने योग्य और आकर्षक पुष्पों में परिवर्तित हो सकें।
पैग़म्बरे इस्लाम की बेअसत अर्थात पैग़म्बरी की घोषणा भी वसंत ऋतु की वर्षा की भांति थी जिसने मृत समान लोगों में प्राण फूंक दिया और एक अद्वितीय मानवीय और नैतिक समाज को अस्तित्व प्रदान किया। बेअसत ईमान के सोतों के जारी होने और विशुद्ध मानवीय विशेषताओं के अस्तित्व में आने का कारण बनी और लोग जीवन के मूल्यवान उद्देश्य से अवगत हो गये।
महान ईश्वरीय दूत हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम की पैग़म्बरी की घोषणा ईश्वरीय संदेश के नगर अर्थात पवित्र नगर मक्का में हुई और पैग़म्बरे इस्लाम ने 13 वर्षों तक उस नगर में काफिरों और अनेकेश्वरवादियों द्वारा किये जाने वाले अपमानों और दिये जाने वाले दुखों व पीड़ाओं को सहन किया। जो पीड़ाएं पैग़म्बरे इस्लाम को दी गयीं उसके बारे में स्वयं पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं” जिस तरह से मुझे पीड़ा दी गयी उस तरह से किसी भी पैग़म्बर को पीड़ा नहीं दी गयी।“
किन्तु पैग़म्बरे इस्लाम को दी जाने वाली पीड़ाओं ने फल दिया और उच्च मूल्य स्पष्ट हो गये और इस्लाम उन महान हस्तियों का प्रशिक्षण कर सका जो इतिहास में सद्गुणों और ईश्वरीय भय का आदर्श बन गये।
बहुत अधिक कठिनाई और पीड़ा सहन करने के बाद पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैही व आलेही व सल्लम और उनके साथी यसरिब अर्थात वर्तमान पवित्र नगर मदीना पलायन कर गये। पवित्र नगर मदीना में इस्लाम की सुगंध फैल चुकी थी और उसमें बहुत मुसलमान थे। उस नगर के मुसलमानों ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैही व आलेही व सल्लम और उनके पलायनकर्ता साथियों व अनुयाइयों का बहुत अच्छे ढंग से स्वागत किया। मक्का से मदीना पलायन करके जाने वालों को मदीनावासियों ने अपने घरों में आतिथ्य रखा। मदीनावासी चाहते थे कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अनुयाई उनके घरों में रहें। मदीना में रुक जाने के बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने इस्लामी सरकार की स्थापना का प्रयास किया और एकेश्वरवाद और न्याय के आधार पर उसकी आधारशिला रखकर विश्ववासियों के समक्ष न्याय का उत्कृष्टतम उदाहरण पेश किया।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई का मानना है कि पैग़म्बरे इस्लाम की सरकार एक आदर्श व उदाहरणीय सरकार थी। इस बारे में वरिष्ठ नेता कहते हैं” इस्लाम के माध्यम से एक आदर्श सरकार अस्तित्व में आई। अगर हम संक्षेप में कहना चाहें तो मानवता को अन्याय, अज्ञानता और भेदभाव का सामना था। दुनिया की बड़ी सरकारें, जो उस समय कैसर और कसरा की सरकारें थीं चाहे ईरान में रही हों या रोम की साम्राज्यवादी सरकारें/ पूंजीवादी, अलोकतांत्रिक, ज़ोरज़बरदस्ती करने वाली और अज्ञानता में डूबी भ्रष्ट सरकारें थीं। छोटी सरकारें भी जो अरब में थीं उनसे बदतर थीं। कुल मिलाकर दुनिया में अज्ञानता फैली हुयी थी। इस मध्य इस्लाम का प्रकाश पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा, ईश्वर की सहायता से, महान संघर्ष और लोगों के अथक प्रयास से अरब के एक क्षेत्र को प्रकाशित कर सका और उसके बाद धीरे- धीरे फैल गया और उसका प्रकाश हर जगह फैल गया। जब पैग़म्बरे इस्लाम दुनिया से सिधारे तो यह सरकार मजबूत सरकार थी और वह पूरे इतिहास में समस्त मानवता के लिए आदर्श बन चुकी थी।“
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता पैग़म्बरे इस्लाम की सरकार की विशेषताओं की ओर संकेत करते हुए कहते हैं पैग़म्बर इस्लाम की सरकार यह थी कि उसका आधार अन्याय के बजाये न्याय था। अनेकेश्वरवाद और इंसान की सोच में फूट व मतभेद के बजाये उसका आधार एकेश्वरवाद और महान ईश्वर की उपासना था। अज्ञानता के स्थान पर उसका आधार ज्ञान था। इंसानों के एक दूसरे से द्वेष करने के स्थान पर उसका आधार प्रेम, संपर्क और सहिष्णुता था। यानी बाहर और अंदर से एक शोभित सरकार।“
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि जिस इंसान की प्रशिक्षा ऐसी सरकार में होगी वह इंसान ईश्वर से भय रखने वाला,पवित्र, विद्वान, दूरदर्शी, सक्रिय, प्रसन्नचित्त और परिपूर्णता की ओर आगे बढ़ने वाला होगा।
वरिष्ठ नेता के अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम के जीवन का हर क्षण शिक्षाप्रद है और समस्त इंसान जिस पद पर भी हों उस महान हस्ती को अपना आदर्श बना सकते हैं। राजनेताओं को चाहिये कि वे विशेषकर पैग़म्बरे इस्लाम के राजनीतिक जीवन को अपने सामने आइने की भांति रखें और स्वयं को पैग़म्बरे इस्लाम के सरकारी व्यवहार से निकट करें। वरिष्ठ नेता पैग़म्बरे इस्लाम के सरकारी व्यवहार को इस प्रकार बयान करते हैं” वह अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम लोगों के मुकाबले में दासों की भांति खाना खाते थे, दासों की भांति बैठते थे। पैग़म्बरे इस्लाम इसी प्रकार न्याय करने वाले और सूझबूझ के साथ थे। जो व्यक्ति मदीना में पैग़म्बरे इस्लाम के प्रवेश के इतिहास को पढ़े वह इस इतिहास में एसी मजबूत सोच समझ और व्यापक तत्वदर्शिता को देखेगा जो हतप्रभ कर देने वाली है। पैग़म्बरे इस्लाम की सरकार की दूसरी विशेषता यह थी कि वह वचनबद्ध थे। पैग़म्बरे इस्लाम किसी भी समय वचन को नहीं तोड़ते थे। क़ुरैश ने वचन तोड़ा परंतु उन्होंने कभी वचन नहीं तोड़ा। वह इसी प्रकार किसी कारा राज़ नहीं खोलते थे।“
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता पैग़म्बरे इस्लाम की एक अन्य विशेषता को इस प्रकार बयान करते हैं” पैग़म्बरे इस्लाम दुश्मनों को एक दृष्टि से नहीं देखते थे। वह इस बारे में कहते हैं” कुछ दुश्मन ऐसे थे जिनकी दुश्मनी गहरी थी किन्तु अगर पैग़म्बरे इस्लाम देखते थे कि उनकी दुश्मनी से कोई महत्वपूर्ण खतरा नहीं है तो उनके विरुद्ध कुछ नहीं करते थे और उनके साथ नर्मी से पेश आते थे। कुछ दुश्मन ऐसे थे जिनसे खतरा था किन्तु पैग़म्बरे इस्लाम उनसे होशियार रहते और उन पर नज़र रखते थे जैसे अब्दुल्लाह बिन उबै। अब्दुल्लाह बिन उबै प्रथम नंबर का मिथ्याचारी था और वह पैग़म्बरे इस्लाम के विरुद्ध षडयंत्र करता था परंतु वह केवल उस पर नज़र रखते थे और उसके खिलाफ कुछ नहीं करते थे। पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास से कुछ समय पहले अब्दुल्लाह उबै दुनिया से चला गया किन्तु पैग़म्बरे इस्लाम ने उसे बर्दाश्त किया। ये वे दुश्मन थे जिनसे सरकार, इस्लामी व्यवस्था और इस्लामी समाज को कोई गम्भीर ख़तरा नहीं था किन्तु जिन दुश्मनों से गम्भीर खतरा था पैग़म्बरे इस्लाम उनसे कड़ाई से पेश आते थे।“
मोटे तौर पर वरिष्ठ नेता पैग़म्बरे इस्लाम के सरकारी व्यवहार को इस प्रकार बयान करते हैं” वह दुश्मनों की चालों से होशियार, मोमिनों के साथ विनम्र, ईश्वर के समक्ष केवल अनुपालनकर्ता और वास्तविक अर्थों में बंदा और मुसलमानों के हितों के लिए कार्यवाही करने के लिए व्याकुल रहते थे।“
पैग़म्बरे इस्लाम की सरकार की एक विशेषता इंसानों का नैतिक व आध्यात्मिक प्रशिक्षण भी था। वरिष्ठ नेता इस संबंध में ध्यानयोग्य व आकर्षक बिन्दु को बयान करते हुए कहते हैं।“ पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा सरकार चलाना केवल यह नहीं था कि वह लोगों को इस्लामी आदेशों और नियमों की शिक्षा दें बल्कि वह लोगों को तत्वदर्शिता की भी शिक्षा देते थे जो एक दर्जा और उच्च व श्रेष्ठ है। ब्रह्मांड की वास्तविकताओं को उनके लिए बयान करते थे। पैग़म्बरे इस्लाम ने 10 वर्षों तक इस प्रकार जीवन व्यतीत किया। एक ओर राजनीति, सरकार का संचालन, इस्लामी सरकार, समाज व इस्लामी क्षेत्रों की रक्षा, इस्लाम के प्रचार- प्रसार के लिए मार्ग खोलना यानी मदीना से बाहर के लोगों के लिए इस्लाम स्वीकार करने के लिए रास्ते को खोलना कि एक -एक करके इस्लाम में प्रविष्ट हों और दूसरी ओर एक एक व्यक्ति की प्रशिक्षा और उसकी आत्म विशुद्धि।
हां जब महान ईश्वर के सबसे श्रेष्ठ बंदे के हाथ में सत्ता होगी तो उसका उद्देश्य केवल महान व सर्वसमर्थ ईश्वर की प्रसन्नता होगी और उसकी गतिविधियों व व्यवहार का केन्द्र बिन्दु ईश्वर की प्रसन्नता होगी। अतः इस सरकार का सबसे सुन्दर मानवीय प्रतीक व स्वरूप अस्तित्व में आयेगा। समाज न्याय व शिष्टाचार से सुगंधित हो जायेगा। लोगों को अपने अधिकार प्राप्त हो जायेंगे और वे उस वक्त आध्यात्मिक विकास के लिए तैय्यार होंगे। जब सरकार का संचालन भले लोग करेंगे तो अन्याय व अत्याचार के स्थान पर न्याय और मुरव्वत का बोलबाला होगा। इस कारण है कि पैग़म्बरे इस्लाम की सरकार आध्यात्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक समस्त पहलुओं को अपने अंदर लिए हुए है जो हर काल में समाजों के लिए सर्वोत्तम आदर्श बन सकती है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामनेई ने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पैग़म्बरे इस्लाम की प्रशंसा की है।
वरिष्ठ नेता कहते हैं” पैग़म्बरे इस्लाम की उपमा समूचे ब्रह्मांड में सबसे चमकते तारे से दी जा सकती है। हम क्यों कहते हैं चमकता हुआ तारा, क्यों सूरज नहीं कहते? क्योंकि सूरज एक स्पष्ट व निर्धारित पिंड है, प्रकाशमयी और भव्यशाली है किन्तु एक आसमानी तारा व ग्रह है परंतु जिन तारों को आप देखते हैं वे एक आकाशगंगा हैं और यह आकाशगंगा जिन्हें हम गर्मी की रातों को अपने ऊपर देखते हैं वे हज़ारों गुना बड़े हैं। आकाशगंगा यानी वह समूह जिसमें हज़ारों सौरमंडल और हज़ारों सूरज हैं। पैग़म्बरे इस्लाम का अस्तित्व आकाशगंगा की भांति है। उनके अंदर चमकते सद्गुणों के हज़ारों बिन्दु हैं। पैग़म्बरे इस्लाम का ज्ञान शिष्टाचार के साथ है, सरकार तत्वदर्शिता के साथ है, ईश्वर की उपासना लोगों की सेवा के साथ है, जेहाद दया के साथ है, ईश्वर से प्रेम उसकी रचनाओं से प्रेम के साथ है, इज्ज़त विनम्रता के साथ है। लोगों के साथ सच्चाई राजनीति की जटिलता के साथ है, ईश्वर की याद में लीन होना शरीर के स्वास्थ्य के साथ है। वह लोक- परलोक में साथ हैं, वह संपूर्ण आदर्श हैं कि ईश्वर ने इस ब्रह्मांड में उनसे परिपूर्ण किसी सृष्टि की रचना नहीं की। वह शुभ सूचना देने वाले हैं, वह डराने वाले हैं, वह समस्त मानवता और इतिहास के साक्षी व गवाह हैं, वह समस्त मानवता को ईश्वर की ओर बुलाने वाले हैं और इंसानों के मार्ग के प्रज्वलित दीप हैं।“ इसके बाद वरिष्ठ नेता पवित्र कुरआन की उस आयत की तिलावत करते हैं जिसमें महान ईश्वर कहता है” हे पैग़म्बर! हमने आपको गवाह बनाकर भेजा है, शुभ सूचना देने वाला और डराने वाला और आपको अल्लाह के आदेश से उसकी ओर बुलाने वाला और दीप बनाकर भेजा है।“