ईरानी बाज़ार - 19
पानी को सभ्यताओं के अस्तित्व में आने की प्रक्रिया का सबसे मूल और महत्वपूर्ण कारक माना जा सकता है।
पुरानी सभ्यताएं बड़ी नदियों जैसे नील, दजला, फ़ोरात, सिंध, गंगा, हुवांग्हू, यांग त्से आदि के किनारे आबाद हुईं और उत्थान के चरम तक पहुंचीं। इसका सबसे बुनियादी कारण था खेती के लिए पानी की ज़रूरत और खेती इंसानों के सामूहिक जीवन के जारी रहने और आहार की ज़रूरत पूरी करने के लिए अनिवार्य थी। ईरान के लोगों को शुरू ही से पानी के महत्व का आभास था जो जीवन का आधार है। पानी की भारी ज़रूरत तथा पठारी क्षेत्र होने के नाते ईरान में जल संसाधनों की कमी के चलते ईरान के लोग हमेशा इस चिंता में रहे कि किस तरह पानी बचाया जाए। इसके लिए भूमिगत जलापूर्ति तंत्र बनाए जाते थे जिन्हें क़नात कहा जाता था। इस तंत्र के माध्यम से पीने के पानी तथा मूल प्रतिष्ठानों के निर्माण में प्रयोग के पानी की आपूर्ति होती थी।

इस समय आबादी बढ़ जाने के दृष्टिगत शुद्ध पेयजल की आपूर्ति एक महत्वपूर्ण काम होता है। इस जीवन रक्षक पदार्थ के किफ़ायती प्रयोग के लिए संबंधित उद्योगों को बढ़ावा मिला जिनमें एक सैनीटेशन इंडस्ट्री है जो पाइप बनाती है ताकि पानी के प्रवाह को आवश्यकता के अनुसार खोला या बंद किया जा सके। यह पाइप दो प्रकार के होते हैं, फ़ासेट सैनीटरी टैप्स और इंडस्ट्रियल वाल्व। इंडस्ट्रियल वाल्व वह पाइप हैं जो औद्योगिक परिसरों में पाइपिंग में प्रयोग होते हैं। यह पाइप पानी की सप्लाई, निकासी, प्रतिष्ठानो को वातानुकूलित रखने के लिए गर्म और ठंडे पानी की सप्लाई, बिजलीघरों, बांधों के निर्माण, तेल व गैस उद्योग और पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रयोग किये जाते है।
इस समय सैनीटरी इंडस्ट्री को दुनिया के महत्वपूर्ण उद्योगों में गिना जाता है। शहरी ज़िंदगी का विस्तार, जीवन शैली में बदलाव, आय में वृद्धि और सबसे बढ़कर निर्माण कार्य में विस्तार वह कारक हैं जिनके कारण सैनीटरी इंडस्ट्री में तेज़ी से विस्तार हो रहा है। इमारत की भीतरी ख़ूबसूरती के कारण सैनीटरी को प्राथमिकता प्राप्त हो गई है। पाइप के प्रयोग का इतिहास तो बहुत पुराना है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार 700 साल ईसापूर्व भी घरों और फ़व्वारों के लिए पाइप का प्रयोग किया जाता था। अलग अलग कालखंडों में अलग अलग चीज़ों से पाइप बनाए जाते थे। मिट्टी, मरमर, सोने, चांदी और फौलाद के पाइप बनाए जाने के साक्ष्य मिले हैं। यहां तक कि लकड़ी के भी पाइप बनाए जाते थे। इस समय अधिकतर पाइप पीतल के एलाय से बनते हैं।

ईरान में सैनीटरी उद्योग पचास साल से अधिक समय से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। ईरान में पाइप बनाने का पहला कारख़ाना वर्ष 1963 में स्थापित हुआ। इस समय 300 से अधिक कंपनियां इस उद्योग से जुड़ी हुई हैं। इन कंपनियों ने हालिया वर्षों में इस उद्योग की ज़रूरत की समीक्षा करके आधुनिक तकनीक की मदद से बहुत अच्छा उत्पाद तैयार किया और तेज़ी से विकास किया है।
सैनीटरी उद्योग उन क्षेत्रों में है जिनमें ईरान की नालेज बेस्ड कंपनियां सक्रिय हैं और नए नए आविष्कार कर रही हैं। इलेक्ट्रानिक सैनीटरी सामान्य सैनीटरी के साथ ही एक नई तकनीक पर आधारित है। यह हाई-टेक पाइप इस समय ईरान में बड़े पैमाने पर तैयार किए जा रहे हैं और इसकी तकनीक पूरी तरह स्थानीय है। इस तकनीक के ईरानी संस्करण की विशेषता यह है कि यह पाइप ईरान की जलवायु और ईरान में पाए जाने वाले पानी के लिए बहुत अनुकूल हैं। ईरान में चूंकि पानी कम है इस लिए सैनीटरी उद्योग में जो पाइप बनाए जाते हैं उनकी क्वालिटी और गुणत्ता पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है और इन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाया जाता है। इसका जाहिरी रूप भी बहुत अच्छा होता है और इससे उपभोक्ता की ज़रूरत कम ख़र्च में ही पूरी हो जाती है। इलेक्ट्रानिक सैनीटरी की सबसे बड़ी अच्छाई यह है कि इसमें पानी का ख़र्च 70 प्रतिशत तक कम हो जाता है। यह पाइप इस तरह डिज़ाइन किए गए हैं कि बहुमंज़िला इमारतों में ऊपरी मंज़िलों में भी पानी का दबाव बहुत सामान्य रहता है। अब तक ईरान में इस प्रकार के पाइप तथा पानी का ख़र्च कम करने वाले उपकरणों की 16 क़िस्में तैयार की जा चुकी हैं। इन्हें किचन, प्रयोगशालाओं, अस्पतालों तथा आप्रेशन थियेटरों में प्रयोग किया जाता है।

स्ट्रा युक्त पाइप भी बनाए जाने लगे हैं जो वाटर कूलर आदि में प्रयोग किए जाते हैं यह भी सैनीटरी उद्योग के उत्पाद हैं। इस पाइप को हर प्रकार के वाटर डिस्पेन्सर पर लगाया जा सकता है। डिस्पोज़ेब्ल गिलासों की तुलना में इसकी क़ीमत कम है। यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं, इनके प्रयोग से कूड़ा भी कम होता है, इसमें जगह भी बहुत कम लगती है और इसका प्रयोग किया जाए तो वाटर डिस्पेंसर के पास कूड़ेदान रखने की ज़रूरत नहीं रहती। यह पाइप इस तरह ड़िज़ाइन किए गए हैं कि पानी का दबाव इच्छा के अनुसार बढ़ाया घटाया जा सकता है। प्रयोग के बाद पानी पाइप और स्ट्रा में वापस नहीं जाता। यह पाइप अब व्यापारिक स्तर पर तैयार किए जा रहे हैं।
सैनीटरी उद्योग उन उद्योगों में है जिनके कई चरण हैं और इनमें अधिक संख्या में श्रमबल की ज़रूरत पड़ती है। इसमें बहुत अधिक दक्ष टेक्नीशियनों की ज़रूरत नहीं होती बल्कि इसके उत्पाद सामान्य श्रमबल द्वारा तैयार हो जाते हैं। सैनीटरी उद्योग में प्रयोग होने वाली अधिकतर मशीनें भी ईरान के भीतर ही बनती हैं। सैनीटरी उद्योग के कच्चे माल के रूप में ऐसे पदार्थों का प्रयोग होना चाहिए जो 90 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान को सहन कर सकें। प्रयोग के समय पाइप के अंदर किसी प्रकार का क्षरण नहीं होना चाहिए। यह पदार्थ एसे होने चाहिएं कि उनसे पानी के रंग, महक या स्वाद में कोई बदलाव नहीं आना चाहिए। यह भी ज़रूरी है कि मानकों का पूरा ध्यान रखा जाए ताकि इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बैक्टेरिया इसमें पैदा न हों। इसी लिए इन पाइपों को बनाने के लिए एसे एलाय का प्रयोग होता है जो मानव स्वास्थ्य को किसी तरह का नुक़सान न पहुंचाए। ईरान में चूंकि खदाने बड़ी संख्या में मौजूद हैं इस लिए उद्योगों की ज़रूरत का कच्चा माल सरलता से प्राप्त हो जाता है। यह सुविधा की सैनीटरी उद्योग के लिए भी है। इस उद्योग की ज़रूरत की 90 प्रतिशत चीज़ें ईरान के भीतर ही तैयार होती हैं। इस उद्योग में प्रयोग होने वाले सभी पुर्ज़े पीतल द्वारा बनाए जाते हैं। इन्हें पीतल से तैयार करने के बाद आवश्यकता के अनुसार अलग अलग रूप दिया जाता है। फिर इन पुर्ज़ों का पूरी तरह टेस्ट होता है और यह देखा जाता है कि इसमें कहीं सुराख़ या बुरादा न हर गया हो। इसके बाद इस पर पालिश किया जाता है और क्वालिटी चेक का चरण पूरा होता है। पालिश के लिए तांबा, निकिल और चांदी जैसी धातुओं का प्रयोग होता है। इसके नतीजे में यह पाइप हर प्रकार के घिसाव और क्षरण से सुरक्षित हो जाते हैं। इस चरण में इन पुर्ज़ों को ख़ूबसूरत बनाया जाता है तथा पुर्ज़े एसा रूप प्राप्त कर लेते हैं कि देखने वाले को आकर्षक लगें।
सैनीटरी उद्योग में सक्रिय कारखाने देश के भीतरी बाज़ार की ज़रूरत को पूरा करने के साथ ही अन्य देशों को भी अपने उत्पादों का निर्यात करते हैं। हालिया वर्षों में ईरान से हज़ारों टन सैनीटरी उत्पादों का विश्व के अनेक देशों, फ़ार्स खाड़ी के देशों, मध्य एशिया के देशों, उत्तरी अफ़्रीक़ा के देशों तथा सीरिया, लेबनान, अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ को निर्यात किया गया है। ईरान में कुछ कारख़ाने एसे हैं जो विदेशी मार्केट को दृष्टिगत रखकर अपने उत्पाद तैयार करते हैं। इन कारखानों ने निर्यात को ही अपना प्रमुख लक्ष्य बनाया है और आधुनिक मानकों व तकनीक के अनुसार उत्पाद तैयार करके उसे अंतर्राष्ट्रीय मंडियों में बेच रहे हैं। यह कारख़ाने उच्च क्वालिटी के उत्पाद तैयार करके और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपने उत्पादों को ढालकर आने वाले तीन से पांच साल के भीतर निर्यात को 10 करोड़ डालर के स्तर तक ले जाना चाहते हैं।