यमन में व्यापक स्तर पर हैज़ा।
अरब जगत का सबसे निर्धन देश यमन है जिसकी 2 करोड़ 55 लाख आबादी है।
इस समय लगभग 1 करोड़ 80 लाख से ज़्यादा लोगों को मानवीय सहायताओं की ज़रूरत है और लगभग 70 लाख लोग भुखमरी का शिकार हैं। भुखमरी के अलावा यमन पर आले सऊद शासन के बर्बरतापूर्ण हमले के कारण व्यापक स्तर पर आम नागरिकों का जनसंहार हुआ, मूल ढांचागत सुविधाएं तबाह हो गयीं और इस देश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का सामना है कि जिसकी वजह से यमनी नागरिक हैज़ा सहित अनेक तरह की बीमारियों से संघर्ष कर रहे हैं। यमन में हैज़ा बहुत तेज़ी से फैल रहा है और अब तक हैज़े से बड़ी संख्या में बच्चों और औरतों की मौत हो चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र संघ आपात राहत सेवा के संयोजक स्टीफ़न ओब्राएन ने सुरक्षा परिषद को पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, “यह कहना सही नहीं है कि यमन पर संकट का साया है, बल्कि यमन संकट में घिर गया है और हम देख रहे हैं कि इस संकट की क़ीमत आम लोग चुका रहे हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि सूखे से उत्पन्न ख़तरों के कारण टकराव और बुरी स्थिति में पहुंच गया है। अगर यमन में जंग न होती तो सूखा, दुर्भाग्य, रोग और मौत की कोई ख़बर न होती।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यमन में हैज़े से मरने वालों की बढ़ती संख्या की ख़बर देने के साथ ही कहा है कि अप्रैल से अब तक 1800 से ज़्यादा लोग हैज़े से मर चुके हैं। इस संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, यमन में लगभग 3 लाख 56 हज़ार 591 लोग हैज़े का शिकार हैं या उनके इस रोग में ग्रस्त होने का संदेह है। इस रिपोर्ट में यमन के पांच प्रांतों सनआ, हुदैदा, हज्जा, उमरान और इब्ब को सबसे ज़्यादा हैज़े से ग्रस्त बताया गया है। 53.9 फ़ीसद हैज़े के केस इन्हीं प्रांतों में दर्ज हुए हैं।
हज्जा भी उन प्रांतों में है जहां हैज़े से मरने वालों की तादाद सबसे ज़्यादा है। इस प्रांत में हैज़े से 346 लोग मौत की नींद सो गए। इसके बाद इब्ब का नबंर है जहां 231 लोगों की हैज़े से मौत हुयी। इसके बाद हुदैदा, तइज़ और उमरान का नंबर है जहां क्रमशः 210, 159 और 149 मौतें हैज़े से हुयी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यमन के 22 में से 21 प्रांतों में हैज़ा फैला हुआ है। सिर्फ़ पूर्वी यमन का अर्ख़बील सुक़ुतरा अकेला प्रांत है जहां हैज़े का एक मामला भी दर्ज नहीं हुआ है।

मानवीय संगठनों की ओर से यमन में हैज़े को नियंत्रण करने की कोशिशों के बावजूद यह बीमारी फैलती जा रही है। आम तौर पर यह बीमारी उन क्षेत्रों में ज़्यादा है जहां अतिक्रमणकारी सऊदी फ़ोर्सेज़ व उसके किराए के सैनिक और अंसारुल्लाह आंदोलन से जुड़ी फ़ोर्सेज़ के बीच झड़प हो रही है। जर्मन अख़बार टेगस श्पिगल ने इस ख़बर को प्रकाशित करने के साथ ही लिखा कि यमन के अलावा दुनिया में कहीं भी इतनी तेज़ी से हैज़ा नहीं फैला है। यमन में हैज़े से ग्रस्त लोगों की संख्या 3 लाख 60000 हो गयी है और इस तादाद के बढ़ने की आशंका है। यमन, दक्षिणी सूडान, सोमालिया, नाइजीरिया और केन्या में हैज़ा फैला है और पिछले महीनों के दौरान इसका दायरा भी बढ़ा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लेन्डमायर का इस बारे में कहना है, “इन देशों में हालात भी बीमारी के फैलने में ज़िम्मेदार हैं। गृह युद्ध और अशांति के कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए और बीमारी फैलाने वाले तत्वों के मद्देनज़र उसमें ग्रस्त होने की आशंका है।”
इंटरनैश्नल रेड क्रिसंट सोसाइटी के प्रमुख पीटर मॉरर यमन में व्यापक स्तर पर हैज़् फैलने के बाद पांच दिन के दौरे पर वहां गए। उन्होंने यमन में हैज़ा का दायरा बढ़ने और आले सऊद शासन द्वारा यमन की हर ओर से नाकाबंदी के कारण इस देश की जनता की स्थिति के ख़राब होने की ओर से सचेत करते हुए कहा कि जारी वर्ष के अंत तक यमन में 6 लाख से ज़्यादा लोगों के हैज़े से ग्रस्त होने की आशंका है। पीटर मॉरर का कहना है, “हमने हैज़े की रोकथाम के तौर पर कूड़ा इकट्ठा करने, पानी को स्वच्छ व पीने योग्य बनाने, पानी पहुंचाने के नेटवर्क की मरम्मत करने जैसे प्रयास तेज़ कर दिए हैं और दूसरे संगठनों के साथ मिलकर बीमारी के दायरे को फैलने से रोकने के लिए चिकित्सा प्रयास भी बढ़ा दिए हैं।”

ऑक्सफ़ाम ने 21 जुलाई को यमन में फैल रहे हैज़े के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में भी आया है कि यमन में हैज़े से ग्रस्त होने वालों की संख्या 6 लाख से ज़्यादा होने की आशंका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि यमन के 3 लाख 70 हज़ार लोगों पर हैज़े से ग्रस्त होने का संदेह है और अप्रैल से अब तक 1828 लोग इस रोग के कारण काल के गाल में समा चुके हैं। यह तादाद, 2011 में हैटी के बारे में आयी रिपोर्ट से ज़्यादा है। उस समय हैटी में 3 लाख 40 हज़ार 311 लोग हैज़े की बलि चढ़ गए।
संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवीय मामलों के संयोजन विभाग की रिपोर्ट में आया है कि यमन में 2 करोड़ से ज़्यादा लोगों को मानवीय मदद की ज़रूरत है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2 करोड़ 7 लाख लोगों को मानवीय मदद की ज़रूरत है और इस तादाद का बढ़ना यमन में खाद्य असुरक्षा और हैज़े के फैलते वायरस से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। हैज़े के माइक्रोब दूषित पानी और खाने से शरीर में पहुंचते हैं। अफ़सोस की बात यह है कि यमन पर सऊदी अरब के बर्बरतापूर्ण हमले में यमन की सभी मूल ढांचागत सुविधाएं तबाह हो चुकी हैं। इसी प्रकार यह हमला व्यापक स्तर पर प्रदूषण और संक्रामक रोग के व्यापक स्तर पर फैलने का भी कारण बना है। यमन की जनता के पास स्वच्छ पानी व खाद्य पदार्थ नहीं है। अस्पतालों व उपचारिक केन्द्रों पर सऊदी अरब के हमलों के कारण बीमारों के एलाज में बड़ी मुश्किल पैदा हो रही है।
मानवाधिकार घोषणापत्र के अनुसार, स्वच्छ पानी और ड्रेनेज सिस्टम से संपन्नता मूल अधिकारों में है और जंग के दौरान इन प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं होना चाहिए। अगस्त 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव में जिसका शीर्षक है, “पानी और ड्रेनेज सिस्टम का अधिकार पीने के स्वच्छ पानी और ड्रेनेज सिस्टम से संपन्नता को इंसान के मूल अधिकार में बताया गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, “स्वच्छ पानी और ड्रेनेज सिस्टम का अधिकार मानवाधिकार में है कि जिससे संपन्न होना जीवन के लिए ज़रूरी है।”
इस प्रस्ताव में स्वच्छ पानी और ड्रेनेज सिस्टम तक पहुंच को मानवाधिकार को व्यवहारिक बनाने के मूल तत्व के रूप में मान्यता दी गयी है। इसी प्रकार सरकारों पर बल दिया गया है कि वे सारे मानवाधिकार का समर्थन करने और उसकी स्थिति बेहतर करने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं इसी प्रकार आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार समिति ने भी कहा है कि अगर लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पीने का पानी न होगा तो खाद्य पदार्थ से संपन्नता का अधिकार भी व्यवहारिक नहीं हो पाएगा। पानी पर इंसान का अधिकार हर शख़्स को यह अधिकार देता है कि उसके लिए पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी तक शारीरिक रूप से पहुंच और व्यक्तिगत व पारिवारिक स्तर पर पानी के इस्तेमाल का ख़र्च वहन करना मुमकिन हो।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी टेड्रोस एडहानोम ने यमन का दौरा करने के बाद फ़ेसबुक और ट्वीटर पर अपने यूज़र अकाउंट पर एलान किया कि यमन में हैज़े का फैलना दुनिया में इस बीमारी के फैलने का सबसे बड़ा संकट है। लेकिन इस वैश्विक महा संकट की जड़ की ओर ध्यान देना विश्ववासियों के लिए बहुत अहम है। रेड क्रेसेन्ट सोसायटी के प्रमुख पीटर मॉरर का कहना है, “रेड क्रिसेन्ट ने बहुत पहले यह चेतावनी दी थी कि यमन के मूल ढांचों की तबाही इस देश में मानवीय नियमों व क़ानून का सुनियोजित उल्लंघन है, हैज़ा का फैलना भी इन तबाहियों का सीधा नतीजा है।”

सऊदी शासन वर्चस्व जमाने के लिए पश्चिमी सरकारों के समर्थन से यमनी जनता की जान से खेल रहा है और हर दिन इस देश के बेगुनाह लोगों के लिए जीवन कठिन से कठिन करता जा रहा है। यमनी जनता को न सिर्फ़ यह कि तबाही, विस्थापन और सूखे का सामना है बल्कि अब उनके सामने संक्रामक रोग भी मुंह खोले खड़ा है जो उन्हें मौत की ओर ढकेल रहा है। सऊदी शासन ने यमन की नाकाबंदी कर रखी है और सनआ एयरपोर्ट को तबाह कर दिया है ताकि यमनी जनता तक दवा और मानवीय सहायताएं न पहुंच सकें। यमन के पहले से तबाह हो चुके स्वास्थ्य व चिकित्सा तंत्र के लिए इस देश में हैज़े के बढ़ते दायरे को रोकना मुश्किल है। यमन की बेगुनाह जनता की बढ़ती मुसीबतों के बावजूद दुनिया में मानवाधिकार की रक्षा का दम भरने वालों में एक अमरीकी राष्ट्रपति अपने पहले विदेशी दौरे पर सऊदी अरब गए और आले सऊद शासन से हथियारों का सबसे बड़ा समझौता किया ताकि यह शासन अमरीका के आधुनिक हथियारों से यमनी जनता का जनसंहार करे। सिर्फ़ अमरीका ही नहीं बल्कि ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी जैसी पश्चिमी सरकारें भी सऊदी अरब को हथियार बेच रही हैं।