Mar १४, २०१६ १७:०१ Asia/Kolkata

प्राचीन समय के शहरों के अध्ययन ख़ास तौर पर ईरान में इस्लाम के आगमन के बाद के शहरों के अध्ययन से पता चलता है कि शहर में चोराहे का वजूद बहुत अहम होता है।

प्राचीन समय के शहरों के अध्ययन ख़ास तौर पर ईरान में इस्लाम के आगमन के बाद के शहरों के अध्ययन से पता चलता है कि शहर में चोराहे का वजूद बहुत अहम होता है। किसी शहर में चोराहे का वजूद उस शहर में ज़िन्दगी की रौनक़ का पता देता है। ईरान की राजधानी तेहरान में अनेक महत्वपूर्ण मैदान हैं। इनमें से कुछ मैदान जैसे आज़ादी मैदान ईरानी व इस्लामी वास्तुकला के संगम का नमूना होने के साथ साथ समकालीन वास्तुकला की पहचान भी हैं। तेहरान के कुछ मैदान एतिहासिक अहमियत रखते हैं। ये मैदान सदियों से अनेक महत्वपूर्ण सामाजिक व राजनैतिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं।

अगर बहारिस्तान मैदान में मौजूद इमारतें बोल सकतीं तो आपको बतातीं कि उन्होंने उन्होंने अपने वजूद के आरंभ से अब तक कितने उतार-चढ़ाव देखे हैं। बहारिस्तान मैदान का इतिहास क़ाजारी शासक फ़त्हअली शाह से मिलता है। विगत में इस मैदान पर ईदुल अज़हा के मौक़े पर ऊंट की क़ुरबानी होती थी। लेकिन इस मैदान का नया स्वरूप नासिरुद्दीन शाह क़ाजार के दौर का पता देता है। उस दौर के प्रधान मंत्री मीरज़ा हुसैन ख़ान सिपहसालार ने बहारिस्तान महल व मैदान की योजना पेश की थी। बहारिस्तान महल, संविधान क्रान्ति के बाद पूर्व राष्ट्रीय संसद की इमारत के तौर पर इस्तेमाल होने लगा। आज भी यह इमारत बहारिस्तान मैदान के पूर्वी छोर पर मौजूद है। उसी दौर का सिपहसालार मदरसा व मस्जिद बहारिस्तान मैदान के दक्षिण-पूर्वी छोर पर मौजूद है। इसका निर्माण 1880 में हुआ था। इसी मैदान में इस्लामी गणतंत्र ईरान की संसद की इमारत भी है जिससे इस मैदान महत्व और बढ़ गया है। बहारिस्तान मैदान ऐसी घटनाओं की याद दिलाता है जो ईरान के इतिहास में अमर हैं। इन घटनाओं का उस समय के हालात में बहुत बड़ा रोल था। बहारिस्तान मैदान में रूस के कर्नल व्लादमीर पलातोनोविच लियाख़ोफ़ के सैनिकों ने तत्कालीन संसद की इमारत को तोपों से घेर लिया था जिसके नतीजे में 28 मुर्दाद का सैन्य विद्रोह हुआ था। अमरीकी समर्थित 28 मुर्दाद के सैन्य विद्रोह के समय इस मैदान में विद्रोह के तत्वों और आम लोगों के बीच झड़प हुयी थी। ईरान में इस्लामी क्रान्ति की सफलता के दिनों में बहारिस्तान मैदान को विशेष महत्व हासिल था। इस मैदान में प्रदर्शन करने के दौरान 100 से ज़्यादा लोगों का शहीद होना, बहारिस्तान मैदान में घटने वाली एक अन्य बड़ी घटना है। सैन्य शासन, तेहरान की क्रान्तिकारी जनता का प्रदर्शन और हज़ारों दूसरी घटनाएं इस मैदान में घटी हैं।

दो इमारतों के वजूद से बहारिस्तान मैदान की शान बढ़ी है इसलिए कार्यक्रम के इस भाग इन दोनों इमारतों का उल्लेख कर रहे हैं। एक सिपहसालार मस्जिद और दूसरे संसद की लाइब्रेरी। सिपहसालार मस्जिद का निर्माण 1878 में शुरु हुआ। यह काम्पलेक्स दो मंज़िला है। इसमें जुलूख़ान, मुख्य प्रवेश द्वार, देहलीज़, कमरे, चार एवान, एक बड़ा गुंबद, चालीस खंबों वाला दालान, आठ कलश, टाइल के काम से सुसज्जित मीनार और लाइब्रेरी हैं। जुलूख़ान इस्लामी या ईरानी वास्तुकला में किसी मस्जिद, मदरसे, कारवांसराय या क़ब्रस्तान के मुख्य द्वार के पास मौजूद विशाल स्थान को कहते है। सिपहसालार मस्जिद व मदरसे का मुख्य द्वार बहारिस्तान सड़क की ओर खुलता है। इसी प्रकार पूर्वी छोर पर भी एक द्वार है जो मस्जिद और मदरसे की ओर खुलता है। प्रवेश होते समय मुख्य प्रांगण की ओर जाने वाला गलियारा ईरानी-इस्लामी वास्तुकला व टाइल के काम से सुसज्जित है। इस गलियारे में टाइल की विशेष शैली में काम किया गया है जिसे फ़ारसी में काशीकारीए हफ़्त कासे या काशीकारिए ताक़े मुअल्लक़ कहते हैं। इसी प्रकार इस काम्पलेक्स में खंबों पर संगतराशी का बहुत ही सुंदर काम हुआ है। सिपहसालार मदरसा, तेहरान का सबसा बड़ा धार्मिक मदरसा है। इस मदरसे का क्षेत्रफल 62 मीटर लंबा और 61 मीटर चौड़ा है। इसके प्रांगण में एक छोटा सा बाग़ भी है। सिपहसालार मदरसे की इमारत में 60 कमरे हैं। इस इमारत में एक गुंबद भी है। ज़मीन से गुंबद का सबसे ऊपरी भाग 37 मीटर की ऊंचाई पर है। इस गुंबद के बाहरी और भीतरी भाग दोनों में टाइल का सुंदर काम हुआ है। मस्जिद के ठंडक के ज़माने में इस्तेमाल होने वाले प्रांगण में एक बड़ा सा हाल है जिसमें 44 खंबे हैं। हर चार खंबे के ऊपर गुंबद के आकार जैसी छत है कि जिसके भीतर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का सुंदर काम हुआ है। इस हाल की छत के हर गुंबद वाले भाग के भीतर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से ईश्वर का एक नाम उकेरा गया है। जैसे किसी में रहीम, तो किसी में हलीम तो किसी में जलील तो किसी में ख़बीर इत्यादि। सिपहसालार मस्जिद में आठ कलश हैं और इन सब कलशों पर ईरानी टाइल का सुदंर काम हुआ है।

सिपहसालार मस्जिद व मदरसा विभिन्न दौर में अलग अलग नाम से मशहूर रहा है। नासिरिया, माक़ूल व मन्क़ूल कॉलेज, शहीद मुदर्रिस मदरसा और अब शहीद मुतह्हरी मदरसा के नाम से मशहूर है। इस वक़्त इस मदरसे में धार्मिक विषय पढ़ाए जाते हैं। इस मदरसे में स्नातक, परास्नातक और डाक्ट्रेट करने वाले छात्र पढ़ते हैं। तेहरान सहित ईरान के अन्य शहरों के अनेक मदरसे इसके अधीन हैं। शहीद मुदर्रिस मदरसे में एक बड़ी लाइब्रेरी और दस्तावेज़ का केन्द्र भी है। इस लाइब्रेरी में छपी हुयी किताबों और हाथ की लिखी दुर्लभ किताबों की प्रतियां मौजूद हैं। यह किताबे मुसलमानों के बीच प्रचलित कलाओं, विज्ञान और इस्लामी शिक्षाओं पर आधारित हैं। इस लाइब्रेरी के अनेक विभाग हैं। मल्टी मीडिया, हस्तलिखित किताबों और हस्तलिखित किताबों की माइक्रोफ़िल्म का विभाग। इस लाइब्रेरी के माइक्रोफ़िल्म के विभाग में ईरान की अनेक लाइब्रेरियों में मौजूद हस्तलिखित किताबों और दुनिया की मशहूर लाइब्रेरियों में मौजूद अनेक हस्तलिखित किताबों की माइक्रोफ़िल्म मौजूद हैं। इस लाइब्रेरी में दुनिया की जिन मशहूर लाइब्रेरियों की किताबें मौजूद हैं, उन लाइब्रेरियों के नाम इस प्रकार हैं, सीरिया की अहमदिया लाइब्रेरी, मोरक्को की पब्लिक लाइब्रेरी, तुर्की की सुलैमानिया लाइब्रेरी, अमरीका की हारवर्ड यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी, यूगोस्लाविया की ख़ुसरोबीक लाइब्रेरी इसी तरह दुनिया की अन्य मशहूर लाइब्रेरियों की किताबें यहां मौजूद हैं।

शहीद मुतह्हरी मदरसे व मस्जिद के बग़ल में लाइब्रेरी, म्यूज़ियम और ईरानी संसद का दस्तावेज़ केन्द्र भी है। यह लाइब्रेरी भी दुनिया में बहुत मशहूर है। संसद की लाइब्रेरी, संविधान क्रान्ति की सफलता और राष्ट्रीय संसद के गठन के बाद 1287 हिजरी शम्सी में स्थापित हुयी थी। यह लाइब्रेरी तत्कालीन संसद के प्रतिनिधि कैख़ुसरो शाहरुख़ सहित कई अन्य राजनेताओं की कोशिश से स्थापित हुयी और 1302 हिजरी शम्सी में यह लाइब्रेरी इस्तेमाल में आयी। उस समय से अब तक संसद की लाइब्रेरी का, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में उज्जवल रिकार्ड रहा है। यह देश की विधि पालिका की ज़रूरतों को पूरी करने के साथ साथ देश-विदेश के प्रसिद्ध शोधकर्ताओं, छात्रों शिक्षकों और अन्य वर्ग के लोगों की वैज्ञानिक ज़रूरतों को पूरा करती है। 1996 में इस लाइब्रेरी का नाम बदल कर संसदीय लाइब्रेरी, म्यूज़ियम व दस्तावेज़ केन्द्र हो गया। यह लाइब्रेरी संसद के अधीन है। इस बिन्दु का उल्लेख भी ज़रूरी लगता है कि ईरानी संसद लाइब्रेरी के दो विभाग हैं। लाइब्रेरी नंबर एक में जो किताबें हैं उनका विषय बहुत व्यापक है। यह लाइब्रेरी संसद की इमारत के बग़ल में बहारिस्तान मैदान पर है जबकि लाइब्रेरी नंबर दो इमाम ख़ुमैनी सड़क पर, संसद के म्यूज़ियम की इमारत और संगे मरमर महल की इमारत के बग़ल में स्थित है। इस लाइब्रेरी में मौजूद किताबें ईरान की पहचान, पूर्वी देशों की पहचान और इस्लाम को समझने से संबंधित किताबें मौजूद हैं। आपको यह भी बताते चलें कि संसद की लाइब्रेरी की किताबों का बड़ा भाग उन किताबों पर आधारित है जो तोहफ़े के तौर पर दी गयी हैं। राजनेताओं, सांस्कृतिक हस्तियों, प्रकाशकों, लेखकों पूर्व विदों और देशी विदेशी वैज्ञानिक हल्क़ों की रूचि के कारण इस लाइब्रेरी को बहुत ही मूल्यवान किताबें तोहफ़े के तौर पर दी गयी हैं। संसद की लाइब्रेरी में 22000 हस्तलिखित किताबें और लगभग 200000 छपी हुयी किताबें मौजूद हैं। इसी प्रकार इस लाइब्रेरी में क़ाजारी शासन के आरंभिक दौर के प्रकाशन की मूल्यवान प्रतियां मौजूद हैं जिंहें ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों में गिना जाता है।

संसद की लाइब्रेरी में बहुत ही दुर्लभ हस्तलिखित किताबें मौजूद हैं। जैसे इस लाइब्रेरी में तीसरी या चौथी शताब्दी हिजरी क़मरी के कूफ़ी लीपि का क़ुरआन मौजूद है। इसी प्रकार बीरूनी की अत्तफ़हीम की हस्तलिखित प्रति मौजूद है। संसद की लाइब्रेरी के कुछ दूसरे विभाग भी हैं। जैसे दस्तावेज़, प्रकाशन, माइक्रोफ़िल्म, इन्फ़ार्मेशन और शोध विभाग इत्यादि। संसद की लाइब्रेरी के प्रकाशन विभाग में नासेरी के दौर से अब तक प्रकाशित होने वाली चीज़ों की प्रतियां मौजूद हैं। इस समृद्ध व दुर्लभ समूह में 5000 शीर्षक के अंतर्गत 25000 जिल्द किताबें मौजूद हैं। संसद की लाइब्रेरी का दस्तावेज़ केन्द्र भी इस लाइब्रेरी का बहुत ही अहम विभाग है। इस केन्द्र में मौजूद दस्तावेज़ तीन प्रकार के हैं। एक ऐतिहासिक व राष्ट्रीय दस्तावेज़, संयुक्त राष्ट्र संघ और निर्भर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के दस्तावेज़ व प्रकाशन और तीसरे मल्टी मीडिया से संबंधित। ऐतिहासिक व राष्ट्रीय दस्तावेज़ के विभाग में 1 करोड़ 20 लाख से ज़्यादा दस्तावेज़ मौजूद हैं कि जिनका बड़ा भाग संविधान क्रान्ति के दौर का है। संयुक्त राष्ट्र संघ व निर्भर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रकाशन के दस्तावेज़, संसद की लाइब्रेरी का एक अन्य मूल्यवान विभाग है। इसी प्रकार मल्टी मीडिया विभाग भी बहुत ही मूल्यवान है। इस विभाग में पुरानी तस्वीरें, नक़्शे, ऑडियो व वीडियो कैसेट मौजूद हैं।


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