Aug ३०, २०१७ ११:४२ Asia/Kolkata

हालिया दिनों में मध्यपूर्व में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं जिनको अनदेखा नहीं किया जा सकता। 

इनमें इराक़, सीरिया और मस्जिदे अक़सा के संबन्ध में होने वाले परिवर्तन शामिल हैं।  तो आइए आरंभ करते हैं इराक़ के हालिया परिवर्तनों से।

20 अगस्त 2017 को इराक़ के नैनवा प्रांत के तलअफ़र नगर की स्वतंत्रता के लिए एक अभियान आरंभ किया गया।  इस सैन्य अभियान का उद्देश्य था तलअफ़र को आतंकवादी गुट दाइश से मुक्त कराना।  मसिल की आज़ादी के बाद इराक़ के केवल तीन शहर ही दाइश के नियंत्रण में रह गए थे तलअफ़र, होवैजा और अलक़ाएम।  जनू 2014 को दाइश ने तलअफ़र नगर पर क़ब्ज़ा कर लिया था।  रणनीतिक दृष्टि से दाइश के निकट तलअफ़र बहुत अहम था।  यहां पर आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता था और आतंकवादी कार्यवाहियां करने के लिए प्रशिक्षित आतंकवादियों को यहां से दूसरे स्थानों पर भेजा जाता था।

तलअफ़र की स्वतंत्रता के लिए चलाए जाने वाले अभियान को अपने आरंभिक चरण से ही सफलता मिलनी आरंभ हो गई थी।  24 अगस्त को इराक़ के रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि सेना की कार्यवाही में कम से कम 300 दाइशी मारे गए और तलअफ़र के 30 क्षेत्रों को दाइश मुक्त करा लिया गया है।  सैन्य अभियान आरंभ होने के एक सप्ताह के भीतर ही आधे से अधिक तलअफ़र को इराक़ी सैनिकों ने दाइश के चंगुल से आज़ाद करा लिया था।  28 अगस्त को इराक़ के संचार माध्यमों ने तेलअफ़र के दाइश के चंगुल से पूर्ण रूप से आज़ाद होने का एलान किया।

कई आयामों से तलअफ़र की आज़ादी के लिए चलाया जाने वाला अभियान विशेष महत्व रखता है।  एक कारण यह है कि तलअफ़र ऐसा नगर है जो इराक़ को सीरिया और तुर्की से जोड़ता है।  सीरिया और तुर्की की सीमाओं से यह मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  इस संबन्ध में इराक़ की मजलिसे आला के प्रवक्ता माजिद ग़म्मास ने कहा है कि तलअफ़र की भौगोलिक स्थिति ही उसके महत्व को बढ़ाती है।  तलअफ़र ही वह नगर है जहां सीरिया से दाइशी आते थे और फिर इराक़ में आतंकवादी हमले किया करते थे।  इन्ही बातों के कारण दाइश ने इस नगर पर नियंत्रण पाने के बाद इसे अपने हाथों में सुरक्षित रखने के लिए व्यापक स्तर पर रक्तपात किया।  इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम के पतन के बाद तकफ़ीरी आतंकवादियों ने इसको हासिल करने के लिए कई आतंकवादी हमले किये थे।  इतना सबकुछ होने के बावजूद इराक़ी सेना ने तलअफ़र को दाइश के चंगुल से निकाल लिया है।

 

आइए इराक़ के बाद अब हम सीरिया का रुख़ करते हैं।  सीरिया में इस समय महत्वपूर्ण घटनाएं घट रही हैं।  इन घटनाओं से एसा लगता है कि सीरिया में सक्रिय आतंकवादियों के दिन भी अब पूरे होने जा रहे हैं।  पिछले सप्ताह सीरिया ने 59वीं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी की मेज़बानी की।  दमिश्क़ में लगने वाली यह अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी, 17 अगस्त को आरंभ हुई और 26 अगस्त को समाप्त हो गई।  विशेष बात यह है कि दमिश्क़ में यह प्रदर्शनी 5 वर्षों के बाद लगाई गई।  अन्तिम बार यह सन 2011 में लगी थी।  सीरिया में जारी सशस्त्र आतंकवादियों की कार्यवाहियों के कारण 5 वर्षों तक यह प्रदर्शनी नहीं लग सकी।  दमिश्क़ में लगने वाली इस 59वीं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में ईरान सहित 43 देशों ने भाग लिया।  सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद की मीडिया प्रभारी बुसैना शाबान  ने कहा है कि 5 वर्षों के अंतराल के बाद दमिश्क़ में लगने वाली इस 59वीं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वागत यह दर्शाता है कि सीरिया में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है।  उन्होंने कहा कि अब सीरिया के पुनरनिर्माण का समय आ पहुंचा है।

सीरिया की ताज़ा अहम घटनाओं में से एक , इस देश के राष्ट्रपति का भाषण था।  बश्शार असद ने यह भाषण अगस्त के अन्तिम सप्ताह में सीरिया के विदेशमंत्रालय में एक कांफ़्रेस के अवसर पर दिया।  उन्होंने कहा कि सीरिया, शत्रु के लक्ष्यों का केन्द्र रहा है।  बश्शार असद के अनुसार सीरिया की लड़ाई में हमने बहुत ख़ून दिया लेकिन आख़िर में पश्चिमी षडयंत्र विफल हो गया।  उन्होंने कहा कि हम इस बात की अनुमति नहीं देंगे कि शत्रु, आतंकवाद के माध्यम से जो चीज़ हासिल नहीं कर सके उसे राजनीति के माध्यम से भी हासिल करें।  बश्शार असद ने सीरिया की एकता और उसकी अखण्डता पर बल दिया।  सीरिया के राष्ट्रपति ने इस देश को आतंकवादियों के षडयंत्र से निकाल बाहर करने में ईरान, रूस, हिज़बुल्लाह और चीन की भूमिका की सराहना की।

बश्शार असद के भाषण में दो बिंदु विशेष महत्व रखते हैं।  पहला बिंदु तो यह है कि उन्होंने सांकेतिक रूप में आतंकवादियों के विरुद्ध युद्ध में विजय की बात कही किंतु यह बात भी कही कि आतंकवाद से लड़ाई अभी भी जारी है।  इस बारे में संचार माध्यमों में कहा गया है कि बश्शार असद ने निकट भविष्य में मिलने वाली विजय का एलान किया है।  इस संबन्ध में एक इस्राईली टीकाकार, येरून एशनायर्ड का कहना है कि सीरिया के राष्ट्रपति यह समझ रहे हैं कि उन्हें सफलता मिली है किंतु सफलता अभी दूर है।  बश्शार असद के भाषण के बारे में दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि क़तर के अलजज़ीरा टीवी चैनेल ने 7 वर्षों के बाद पहली बार सीरिया के राष्ट्रपति के भाषणा को लाइव टेलिकास्ट किया।  यह विषय, सीरिया की सरकार के विरोधी देशों में से एक देश के दृष्टिकोण में खुले परिवर्तन का परिचायक है।

सीरिया के भीतर आतंकवादियों की कार्यवाहियों की ओर यदि हम नज़र डालें तो पता चलता है कि आतंकवाद वहां पर अब अन्तिम सांसे ले रहा है।  इस बारे में लेबनान की अलअहद वेबसाइट के अनुसार अमरीका, सीरिया की सेना की प्रगति को रोकने के प्रयास में था और अभी भी एसा ही कर रहा है।  अमरीकी प्रयासों के बावजूद यह बात अब सबके लिए स्पष्ट हो चुकी है कि सीरिया में सक्रिय आतंकवादी गुट, निरंतर पराजय का स्वाद चख रहे हैं।  आतंकवादियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र उनके हाथों से निकलते जा रहे हैं।  सीरिया के सक्रिय तकफ़ीरी आतंकवादी अब बहुत छोटे से क्षेत्र में सिकुड़ कर रह गए हैं।  इन बातों से यह समझ में आता है कि इराक़ की ही भांति सीरिया में भी बहुत ही जल्दी आतंकवादियों का बोरिया-बिस्तर लपेट दिया जाएगा। 

सीरिया के बाद मध्यपूर्व के एक अन्य विषय की ओर आते हैं।  21 अगस्त, वह तारीख़ है जिस दिन ज़ायोनियों ने मस्जिदुल अक़सा में आग लगाई थी।  48 साल पहले 21 अगस्त सन 1969 को कुछ अतिवादी ज़ायोनियों ने बहुत ही सुनियोजित ढंग से मस्जिदुल अक़सा को आग लगाई थी।  अतिवादी ज़ायोनियों ने ज़ायोनी शासन के अधिकारियों के साथ पूरे समन्वय से माइकल रोहन नामक व्यक्ति के नेतृत्व में मस्जिदुल अक़सा को आग लगाई जिससे इस मस्जिद को काफ़ी नुक़सान हुआ था।

21 अगस्त 2017 को मस्जिदुल अक़सा में आग लगाए जाने की घटना की 48वीं वर्षगांठ पर फ़िलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया।  इस बयान में कहा गया है कि मस्जिदुल अक़सा के विरुद्ध षडयंत्र अभी भी चल रहे हैं।  बयान के अनुसार ज़ायोनी, किसी न किसी सूरत में मस्जिदुल अक़सा को अपने अधिकार में लेना चाहते हैं।  इसी अवसर पर फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास ने एक बयान जारी करके ज़ायोनियों के विरुद्ध अपने संघर्ष को जारी रखने पर बल दिया।  हमास के बयान में बताया गया है कि ज़ायोनी, मस्जिदुल अक़सा के सम्मान का ख़याल नहीं रखते और उसका अनादर कर रहे हैं।  हमास के अनुसार मस्जिदुल अक़सा इस समय ज़ायोनी शासन के परिवेष्टन में है।  इस्राईल, फ़िलिस्तीनियों को जबरदस्ती पलायन पर विश्व कर रहा है और फ़िलिस्तीन को पूरी तरह से नष्ट करने की कोशिशें कर रहा है।

फ़िलिस्तीन की संसद के क़ुद्स आयोग ने अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से मस्जिदुल अक़सा और क़ुदस के फ़िलिस्तीनियों की सुरक्षा की गुहार लगाई है।  क़ुद्स आयोग का कहना है कि क़ुद्स के यहूदीकरण की प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए।  क़ुद्स आयोग के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को चाहिए कि वह उन इस्राईली अधिकारियों के विरुद्ध युद्ध अपराधी के रूप में मुक़द्दमा चलाए जिन्होंने निर्दोष फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध खुलकर अपराध किये और उनके जातीय सफ़ाए की कोशिश की है।